दोहा :-
पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर ।
ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।।
प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग ।
बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।।
बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक । #कविता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :-
तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार ।
हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।।
इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार ।
लगकर सीने से कहो , हुआ हमें भी प्यार ।।
करता हूँ मैं आज कल , छोटा सा व्यापार । #कविता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :-
मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान ।
करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।।
जीवन मेरा धन्य है , स्वप्न सभी साकार ।
जीने का मुझको मिला , एक नया आधार ।।
अब तो आठों याम मैं, करता हूँ गुणगान ।
करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।। #कविता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।।
कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार ।
जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।।
कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । #कविता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विषय हिन्दी
विधा दोहा
हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान ।
इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१
हिन्दी से नित मिल रहा , भारत को सम्मान ।
हिन्दी ही पहचान है , करो सदा गुणगान ।।२ #कविता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान ।
ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर #कविता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- विषय हिंदी
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार । #कविता
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :-
माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ
हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ
राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ
प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ
आप बिन तो इस जहाँ में कुछ नही है
बात मिलकर ये बताना चाहता हूँ
दो कदम जो साथ मेरे तुम चलो तो #शायरी
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :-
यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए ।
बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।।
थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े
शीश चरणों में उनके झुका दीजिए
जख़्म जितने सहे हैं तुम्हारे लिए
फूल दामन में उतने ख़िला दीजिए
बाप का फर्ज जो भूल पाये नही #शायरी
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।
मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । #कविता