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shivanshupandey6058
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Shivanshu Pandey

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Shivanshu Pandey

नल अब केवल नल नही है
है अवश्य ही है शूरवीर कोई
अभय,अद्वतीय,अभेद्य, अजर
जो मन से भी गहरा है
और मानव से भी खतरनाक
जिसके मानस में बसती हैं
लाखो आस्थाएँ ,अर्घ्य,अस्थियाँ
पूजा,पिंडदान,पितरों के पुण्य
और पीढ़ियों के पाप

पुनीत गंगा औऱ
कालजयी यमुना,प्रबल कोसी
प्रचंड गंडक ,प्रपाती नर्मदा
और प्रगाढ़ परम्परा की
धात्री सरयू।
इन सबका स्वाद अलग है ,भरा
है चम्बल का पानी जंगली
सम्वेदनाओं के अंतर्विरोध से,अवशेष मिल जाएंगे शुको
और भोजो के बेतवा में
मिठास है महाकाल के पाँव पखारती शिप्रा में वहाँ के भजन की  और भोग की ,नर्मदा में रिश्तों
की कड़वाहट है और बेतवा में
पठारी संस्कृति के आंसुओं का
खारापन।  
पर ये नल जिनमे ये सब बसी 
हैं उसका पानी रिक्त है 
स्वाद से संवादों से प्रसादों से
इनका भी कोई कल नही है
नल अब केवल नल नही है
ये हैं हज़ारों आँखों में पसरा
घना इंतज़ार ।
आँखे जो शुष्क है मुन्सिपल्टी
के नल की तरह ।
वो अपने आखों में आसुओं
के आने का और जाने का
समय भी जानती नही है
वो नही जानती की क्या
कहे उस प्यासे कौए को
कहाँ डाले वो कंकड़ या
भर दे पहाड़ उसकी काया में
की उसके नैनो से नीर झरे
और उसकी प्यास बुझे
क्योंकि इक्कीसवीं सदी में इन
मटको को मारने वाला भी
नल ही हैं।तालाबो को सुखाने
वाला ,सिंधु के।कुओ को जलाने
वाला दिल्ली के  भी यही है
इसी ने
पाट दी टँकीया मार्ग में विकास के
पाट दी संस्कृतयाँ पानी की लाश से । ईस दौर में जब जल नही है
नल अब केवल नल नही हैं

नल अब वो प्रजाति है जो
तेज़ी से हो रही है विलुप्त
इनका नाम किसी सूची में
नही आया 
ना छपी सुर्खियां अख़बारों
में इनकी निर्मम हत्या की
गुमशुदा के इश्तिहार भी
नही मिले सरकारी दीवारों पे
न हुई रैलियां ,ना बहस चर्चा
लिखा गया तो एक समय कल
नुक्कड़ की पानी के टँकी पर
टैंकर के आने और जाने
खुशियों के जीने का और मर जाने का
एक बात बताऊँ 
ऐसा ही सन्नाटा था मरने से
पहले नदियों के,कुईओं के ,तालाबों के
लगता है अब वो 
समय दूर नही जब
नलों की आत्मकथा लिखी,
जाएगी तुम्हारी किताबों में।
होंगे उसपर शोध,लगाई जाएंगी
गांधी के साथ मे दीवार पर
उसकी चमचमाती सी तस्वीर
रख दिया जाएगा इन्हें संग्रहलयों
में शीशे के पीछे और
कर दी जाएगी घोषित एक
सरकारी छुट्टी नलों के नाम पर भी
और इस तरह बेचे जाएंगे
उपकरण ज़हर लीलने के
नन्घि प्यास के बज़्ज़ार में #abhivynjna
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Shivanshu Pandey

बंधन नल अब केवल नल नही है
है अवश्य ही है शूरवीर कोई
अभय,अद्वतीय,अभेद्य, अजर
जो मन से भी गहरा है
और मानव से भी खतरनाक
जिसके मानस में बसती हैं
लाखो आस्थाएँ ,अर्घ्य,अस्थियाँ
पूजा,पिंडदान,पितरों के पुण्य
और पीढ़ियों के पाप

पुनीत गंगा औऱ
कालजयी यमुना,प्रबल कोसी
प्रचंड गंडक ,प्रपाती नर्मदा
और प्रगाढ़ परम्परा की
धात्री सरयू।
इन सबका स्वाद अलग है ,भरा
है चम्बल का पानी जंगली
सम्वेदनाओं के अंतर्विरोध से,अवशेष मिल जाएंगे शुको
और भोजो के बेतवा में
मिठास है महाकाल के पाँव पखारती शिप्रा में वहाँ के भजन की  और भोग की ,नर्मदा में रिश्तों
की कड़वाहट है और बेतवा में
पठारी संस्कृति के आंसुओं का
खारापन।  
पर ये नल जिनमे ये सब बसी 
हैं उसका पानी रिक्त है 
स्वाद से संवादों से प्रसादों से
इनका भी कोई कल नही है
नल अब केवल नल नही है
ये हैं हज़ारों आँखों में पसरा
घना इंतज़ार ।
आँखे जो शुष्क है मुन्सिपल्टी
के नल की तरह ।
वो अपने आखों में आसुओं
के आने का और जाने का
समय भी जानती नही है
वो नही जानती की क्या
कहे उस प्यासे कौए को
कहाँ डाले वो कंकड़ या
भर दे पहाड़ उसकी काया में
की उसके नैनो से नीर झरे
और उसकी प्यास बुझे
क्योंकि इक्कीसवीं सदी में इन
मटको को मारने वाला भी
नल ही हैं।तालाबो को सुखाने
वाला ,सिंधु के।कुओ को जलाने
वाला दिल्ली के  भी यही है
इसी ने
पाट दी टँकीया मार्ग में विकास के
पाट दी संस्कृतयाँ पानी की लाश से । ईस दौर में जब जल नही है
नल अब केवल नल नही हैं

नल अब वो प्रजाति है जो
तेज़ी से हो रही है विलुप्त
इनका नाम किसी सूची में
नही आया 
ना छपी सुर्खियां अख़बारों
में इनकी निर्मम हत्या की
गुमशुदा के इश्तिहार भी
नही मिले सरकारी दीवारों पे
न हुई रैलियां ,ना बहस चर्चा
लिखा गया तो एक समय कल
नुक्कड़ की पानी के टँकी पर
टैंकर के आने और जाने
खुशियों के जीने का और मर जाने का
एक बात बताऊँ 
ऐसा ही सन्नाटा था मरने से
पहले नदियों के,कुईओं के ,तालाबों के
लगता है अब वो 
समय दूर नही जब
नलों की आत्मकथा लिखी,
जाएगी तुम्हारी किताबों में।
होंगे उसपर शोध,लगाई जाएंगी
गांधी के साथ मे दीवार पर
उसकी चमचमाती सी तस्वीर
रख दिया जाएगा इन्हें संग्रहलयों
में शीशे के पीछे और
कर दी जाएगी घोषित एक
सरकारी छुट्टी नलों के नाम पर भी
और इस तरह बेचे जाएंगे
उपकरण ज़हर लीलने के
नन्घि प्यास के बज़्ज़ार में #abhivynjna
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Shivanshu Pandey

#falconfilmslc
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Shivanshu Pandey

#Pehlealfaaz देवी

पड़े जरूरत संघार करना
कटे मुंडों से श्रृंगार करना
रणचंडी बन दुर्ग रचाना
लक्ष्मी सी तलवार नचाना
 बन जा दुर्गा दिखला दे तू
रण क्या हैं सिखला दे तू
छोड़ ममता अवगुंठन को
स्वार्थी मनुष्य के चिंतन को
फूलन और संतोष बन अब
रक्तिम रण का सृजन कर अब
सौ कोटि शत्रु तू एक अकेली
क्रीड़ा ऐसी छुटपन में खेली
तू खेल रण, चिंगारी है 
तू एक अकेली भारी है
तू नीलकंठ का विष विशाल
तलवार कटारी पाश कृपाल
चक्र ,वज्र ,ऋष्टि ,मुग्दर
शीश काट तू विचर विचर
शोणित सलिला की ओजस्र धार
करती है रण को तार तार
खड़ खड़ करती शिरीष बनी
कुंठित लोहित अवधूत बनी
थर थर थर्राए अवनि
गड़ गड़ कर गरजे नभ भी
सी सी  करती बहे मलय
सोम गरल का विमल प्रणय
लास्य जानता हर्षित जो मन
 तांडव रव से विचलित वो तन 
तेरे हृदय का हर विचार
भीषण दुविधा का द्वंद अपार
उस जलज सरीखा है
लड़ना ,बहना,सहना,कहना
जिसने प्रलयंकर से सीखा है
शंख नाद पर समर खेलती
सुर ,असुर अन्याय ठेलती
ज्वाल सदृश कुंतल बिखरा
पीड़ा का नंगा नाच दिखा
चिल्लर में तुझको  तौल दिया
जा अनल हस्त में ठेल दिया
हो कुंदन वीभत्स उठा
धमनी में रौद्र रस उठा
जहान्वी विस्तार  वृहद कर ले
वक्षस्थल सरहद कर ले
आज विचरेगा क्रंदन
बन कर काली के कपाल का मण्डन
सोहे विभावरी का चन्दन
मृत्यु सौ पाश बिछाएगी
सौ कोटि भक्ष के जाएगी
जो कनक कलेवर सोन चिरैया
उसे क्या बेचेगा रुपैया
दो उपलों की एक सलिल तू
शिरीष सेवती का सा दिल तू
तू गंगा का अविरल वेग पुनीत
तू सच्चे मोती का एक सीप
तू भूमि के भीतर ताप प्रबल
तू उत्तुंग शिखर तू ही समतल
तू तप्त रवि और सोती सन्ध्या
तू चंडीघाट  तू ही विंध्या
तू कामाख्या की अमर ज्वाल
तू हिमगिरि का पर्वत विशाल
तू ईला के वीना के शब्द ताल
तू मणिकर्णिका के नैन लाल
तू हिंगलाज और वैद्यनाथ
तू कोमल कठोर सब एक साथ
छन छन बजते नुपूर भी
तू पास मेरे और दूर भी
तू विजयी है निशस्त्र भी
तू शून्य और सहस्त्र भी
तू हाला में डूबा प्याला है
तू पूरी पूरी मधुशाला है
तू हल्दी चन्दन का पराग
नंदा देवी और अनंतनाग
तू झाँसी का द्वेष राग
गाँधी सुभाष सब एक साथ
हर हृदय खोल तू बस्ती है
तू ही तो सृष्टि रचती है


परिभाषाएं है आतुर
कण्ठ आज  बदलने को
तेरी गाथाओं के छन्द बिम्ब
अब चारण कारण भजने को
पर जो सृजन स्त्रोत है
जो वात्सल्य प्रेम से ओत प्रोत है
कष्ट सहकर आज भी उसने
मनुज तन को सिंचित किया है
सच तम रूपी वर्तिका ने
आलोक को लज्जित किया है #falconfilmsslc


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