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abhimanyukamlesh8412
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Abhimanyu Kamlesh Rana

मुख्तलिफ़ हो सकती हैं राहें तुम्हारी हमारी,मगर तलाश तो तुम्हें भी सुकून की ही है #लिखता हूँ जज्बे के साथ,जज्बात बयां करता हूँ Writer from #himachal insta id- jazbaaurjazbaat insta personal id- abhimanyu.rana.5099 Contact me on 9459688810,7018935490 "साहित्य विमर्श के लिए"

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Abhimanyu Kamlesh Rana

"इश्क हुआ उस मौसम से"

पनाह मेरे जिस्म में लेती
वफा उस से निभाती शराब
मुझे इश्क हुआ उस मौसम से
ज़माना जिसे कहता खराब

जागता हूँ
तो दिल देवालय में सिर्फ उसे आने की है इजाजत
मेरी नींद में आरक्षण पाते
उसके ख्वाब

समझने के बजाय
काश रट्टा मारा होता
चुनावी वादों की तरह
कब का भूल गया होता
सच्च कहते हैं बड़े
कुछ भी अच्छा नहीं बेहिसाब

मैं मोहब्बत में किसान हो गया
मेरे हिस्से आया इज्तिराब* 
आढती के सूट पर देख कमखाब* 
मुनाफे का अंदाज़ा लगा लें जनाब

रुका रहा
मैं निजी बस सा रुका रहा
उसकी खातिर
वो सरकारी में
निकल गया शातिर

अब ना महताब* भाता मुझे 
ना मीठा लगता राब*
मुझे इश्क हुआ उस मौसम से
ज़माना जिसे कहता खराब ।।।।
 -   अभिमन्यु कमलेश राणा 

1)इज्तिराब* - व्याकुलता, बेचैनी 
2) कमखाब* - सिल्क या रेशम के कपड़े पर किया जाने वाला सोने-चाँदी के तारों या कलाबत्तू से बेलबूटाकारी का काम। इसे ज़री का काम भी कहते हैं।
3)महताब* - चांद
4)राब* - खांड "इश्क हुआ उस मौसम से"

पनाह मेरे जिस्म में लेती
वफा उस से निभाती शराब
मुझे इश्क हुआ उस मौसम से
ज़माना जिसे कहता खराब

जागता हूँ

"इश्क हुआ उस मौसम से" पनाह मेरे जिस्म में लेती वफा उस से निभाती शराब मुझे इश्क हुआ उस मौसम से ज़माना जिसे कहता खराब जागता हूँ #कविता #freebird

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Abhimanyu Kamlesh Rana

"दिखा हरा जैसा"

#poetry #love #writersofinstagram #quotes #poet #poetsofinstagram #poems #instagram  #quote #shayari
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Abhimanyu Kamlesh Rana

पहली बरसात की महक सी
थी वो मुलाकात
करीब आया एक अज्ञात
बहुत करीब
उसकी सांसों की ध्वनि कानों में जो गई
मैं मृगतृष्णा में खो गई
उसकी बाहों में आत्मसमर्पण कर दिया ऐसे
बीज धरती में करता है जैसे
फिर खिल उठने की चाह में
पर बेपरवाह वो रेत 
बह निकली जलप्रवाह में
कहीं और
किसी और बीज की उम्मीद जगाने
फिर वही किस्सा दोहराने
सावन के मौसम में ना जाने
क्या है ऐसा
उन आंखों का भूरा रंग
दिखा हरा जैसा ।।।।
      - अभिमन्यु "कमलेश" राणा ।।।। पहली बरसात की महक सी
थी वो मुलाकात
करीब आया एक अज्ञात
बहुत करीब
उसकी सांसों की ध्वनि कानों में जो गई
मैं मृगतृष्णा में खो गई
उसकी बाहों में आत्मसमर्पण कर दिया ऐसे
बीज धरती में करता है जैसे

पहली बरसात की महक सी थी वो मुलाकात करीब आया एक अज्ञात बहुत करीब उसकी सांसों की ध्वनि कानों में जो गई मैं मृगतृष्णा में खो गई उसकी बाहों में आत्मसमर्पण कर दिया ऐसे बीज धरती में करता है जैसे #कविता #raindrops

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Abhimanyu Kamlesh Rana

हवा संग साज़िशें ना कर
मुझे पलटने की....
ऐ अगले पन्ने
तू क्यों बद्दुआ लेगा?
उसे पूरा पढ़ लेने दे
वो खुद पलट देगा ।।।
 
-अभिमन्यु कमलेश राणा । हवा संग साजिशें ना कर
मुझे पलटने की
ऐ अगले पन्ने
तू क्यों बद्दुआ लेगा?
उसे पूरा पढ़ लेने दे
वो खुद पलट देगा ।।।
-अभिमन्यु कमलेश राणा ।

हवा संग साजिशें ना कर मुझे पलटने की ऐ अगले पन्ने तू क्यों बद्दुआ लेगा? उसे पूरा पढ़ लेने दे वो खुद पलट देगा ।।। -अभिमन्यु कमलेश राणा । #शायरी

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Abhimanyu Kamlesh Rana

"जलेगा तू इस आग में
बस तब तक
गली नहीं दाल
जब तक"
ये कह कर दुनिया ठगेगी
मेरे भोले कुकर
.........
भूख उन्हें कल भी लगेगी
- अभिमन्यु कमलेश राणा ।।।।।। "जलेगा तू इस आग में
बस तब तक
गली नहीं दाल
जब तक"
ये कह कर दुनिया ठगेगी
मेरे भोले कुकर
.........
भूख उन्हें कल भी लगेगी

"जलेगा तू इस आग में बस तब तक गली नहीं दाल जब तक" ये कह कर दुनिया ठगेगी मेरे भोले कुकर ......... भूख उन्हें कल भी लगेगी #शायरी

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Abhimanyu Kamlesh Rana

"सब्र का बांध"
कविता caption में पढ़ें धीमी कर दी
उसकी रफ्तार
खड़ी कर
कंक्रीट की दीवार
ऊर्जा उसकी
4k resolution
Ac को दी गई
Brocolli lettuce blueberry अमीर की गई

धीमी कर दी उसकी रफ्तार खड़ी कर कंक्रीट की दीवार ऊर्जा उसकी 4k resolution Ac को दी गई Brocolli lettuce blueberry अमीर की गई #अनुभव

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Abhimanyu Kamlesh Rana

"अंग्रेजों का नीम"
पूरी कविता यहां paste नहीं हो पाई।caption में पढ़े अंग्रेजों का नीम
बड़ा होता जा रहा
इतनी शिद्दत से सींची जड़ें
पेड़ वन होता जा रहा
आज का कत्लेआम
धर्म की रक्षा नहीं
जहर का खेत जोता जा रहा
हमारे पूर्वज तो एक थे

अंग्रेजों का नीम बड़ा होता जा रहा इतनी शिद्दत से सींची जड़ें पेड़ वन होता जा रहा आज का कत्लेआम धर्म की रक्षा नहीं जहर का खेत जोता जा रहा हमारे पूर्वज तो एक थे #विचार

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Abhimanyu Kamlesh Rana

"हड़कंप मच गया"
पत्रकारिता का
"कड़े शब्दों में निंदा करते हैं"
राजनीति का
"अपवाद भी होते हैं"
मेरा
............
............
हथियार !
- अभिमन्यु कमलेश राणा । "हड़कंप मच गया"
पत्रकारिता का
"कड़े शब्दों में निंदा करते हैं"
राजनीति का
"अपवाद भी होते हैं"
मेरा
............
............

"हड़कंप मच गया" पत्रकारिता का "कड़े शब्दों में निंदा करते हैं" राजनीति का "अपवाद भी होते हैं" मेरा ............ ............ #विचार

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Abhimanyu Kamlesh Rana

अकेली हूं
तन्हा
अलमारी के कोने में
ऊपरी शेल्फ का यूं घूरना
असहज करता है मुझे
मन अशांत है
भविष्य को ले कर
आठवीं कक्षा के दो हफ्ते रह गए
ले दे कर
अंदर से कैसी हूं
किसी को परवाह नहीं
टॉर्च वाले हेलमेट
काले - सफेद कोट की इस दुनिया में
बेच देंगे मेरा जिस्म
चंद सिक्के ले कर
जिस्म का सौदागर
वो तराजू तौल पाएगा मेरी रूह को ?
मेेैं कौन?
हा हा हा!
मैं किताब
धर्म शिक्षा की किताब
मेरा वजूद?
मेरा महत्व?
अपने ही मुल्क में रेफ्यूजी सा।
- अभिमन्यु कमलेश राणा अकेली हूं
तन्हा
अलमारी के कोने में
ऊपरी शेल्फ का यूं घूरना
असहज करता है मुझे
मन अशांत है
भविष्य को ले कर
आठवीं कक्षा के दो हफ्ते रह गए

अकेली हूं तन्हा अलमारी के कोने में ऊपरी शेल्फ का यूं घूरना असहज करता है मुझे मन अशांत है भविष्य को ले कर आठवीं कक्षा के दो हफ्ते रह गए #विचार

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Abhimanyu Kamlesh Rana

क्या रौब है तेरा इस दिल पर
 ऐ कातिल??
सुनवाई के दौरान......
सबूतों का अभाव तलाशा जा रहा है ।।।
- अभिमन्यु कमलेश राणा । क्या रौब है तेरा इस दिल पर ऐ कातिल??
सुनवाई के दौरान
सबूतों का अभाव तलाशा जा रहा है ।।।
- अभिमन्यु कमलेश राणा ।

क्या रौब है तेरा इस दिल पर ऐ कातिल?? सुनवाई के दौरान सबूतों का अभाव तलाशा जा रहा है ।।। - अभिमन्यु कमलेश राणा । #शायरी

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