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shalini4248
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Dr Shaleni Saxcenna

"मैं कुछ चुप चुप सी रहती मैं एक खामोश पहेली हूं, मुझको समझना है तो पढ लो मैं अपनी रचनाओं में रहती हूं।" aap YouTube channel Shalini geetika par meri rachnayain sun sakte hain.

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Dr Shaleni Saxcenna

तकदीर
लूटा है तकदीर ने हमको हर एक कदम पे,
गम भी दिए हैं उसने हमको हजारो रंग के।

हर पल खिलाती रही हमको वो नये खेल, 
लुत्फ़ हमने भी उठाए जिंदगी से खेल खेल। 
वो जीत गई हमसे हर खेल में दगा देके,
लूटा है तकदीर ने हमको हर कदम पे।

उसने दिखाए सपने उसने ही तोड़ दिए हैं,
कर्मों का ताना-बाना बुन रंग ये भरे हैं।
कर्मों की दुहाई देके वो लूट गई हंस के,
लूटा है तकदीर ने हमको हर एक कदम पे।

बहती हवाएं हों तो आगे हम निकल जाएं, को
तूफ़ा हो कितना ज्यादा कश्ती बचा हम लाएं।
 तकदीर से भला हम कब तक जिएं यूं लड़के, 
लूटा है तकदीर ने  हमको हर एक कदम पे।
Dr. Shaline Sxcenna

©Dr Shaline Saxenaa
  #तकदीर #Dr. Shaline Sxcenna
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Dr Shaleni Saxcenna

आईने की सूरत भी बदलने लगी है,
कि तस्वीरें भी धुंधली अब होने लगी हैं।
जब देखते हैं खुद को आईने में,
खुद का चेहरा ही ढूंढते आईने में,
आईने में अक्स कुछ दिखता तो है,
 पर वह पहले की सूरत भी खोने लगी है।
 कि तस्वीरें भी धुंधली अब होने लगी हैं।
जमाने की थापें पड़ी इतनी गहरी हैं, 
कि परतों में परतें जमती गई हैं,
छुपाते रहे हैं जो सबसे अब तक,
वह परत आईने में अब दिखने लगी है
तस्वीरें भी धुंधली अब होने लगी हैं।

©Dr Shaline Saxenaa
  #Mirror #Dr Shaline Sxcenna #Ainaa
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Dr Shaleni Saxcenna

## ये मौसम और खिड़की
कूलर और एसी ने बंद कर दी है खिड़की
वो खिडकी आज कहीं खो गई है।
खिड़की से दिखती वो सावन की घटाएं,
वो झूले में झूलती हुई बालाएं,
वो बच्चों के खेलकूद की सदाएं,
वो तितलियों की खूबसूरत अदाएं,
वो खिड़की के संग ही कहीं खो गईं हैं।
वो खिड़की से इन्द्रधनुष का दिखना,
वो सुनहरी धूप में बारिश का गिरना,
वो कोयल की कूक का कानों में घुलना,
वो पत्तों पर बारिश की बूंदों का चमकना,
वो बूंदों को पकड़ने की कोशिश करना,
वो खिड़की के संग ही कहीं खो गईं हैं।
Dr Shalini Saxena 'geetika'

©Dr Shaline Saxenaa
  #Wokhidki #Dr Shaline Sxcenna

Wokhidki Dr Shaline Sxcenna

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Dr Shaleni Saxcenna

#IFPStorytelling  #Dr Shaline Saxenaa
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Dr Shaleni Saxcenna

अच्छी किताबें हमेशा अच्छी बातें ही सिखाती हैं,
बुराइयां सिखाने का काम तो ये दुनिया कर देती है।

©Dr Shaline Saxenaa #Two line
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Dr Shaleni Saxcenna

पापा की छैयां
ना कोई है ना कोई होगा
पापा जैसा न कोई साया
बैठे रहते थे जिसकी छैयां
अब कहां कोई ऐसी छाया
कितने ही दिन बीत गए हैं
वो छैयां जैसे न सोए हैं
इधर उधर हैं भटक रहे
सुकून कहीं न पाएं हैं
काश लौट सकते फिर वो दिन
चलती फिर वही उंगली थामे।
पर चक्र ये उलटा नहीं चलेगा
वो समय कभी न फिर आयेगा
ले गए पापा जो अपने संग ही
वो सारा प्यारा बचपन फिर न आयेगा
हां आज भी है पास हमारे
अनगिनत यादों का पिटारा
बीत जाएंगे शेष ये दिन भी 
पुनर्जन्म फिर है सहारा।
Dr Shaline Saxenaa

©Dr Shaline Saxenaa #foryoupapa
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Dr Shaleni Saxcenna

जो लोग सिद्धांतवादी होते हैं
विरोधी भी उनके ही होते हैं
जिनका कोई सिद्धांत नहीं 
उनका कोई विरोधी भी नहीं होता
क्योंकि
वो तो मुंह देखी बात करते हैं 
और हां में हां मिलाते हैं।

©Dr Shaline Saxenaa #एक सत्य
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Dr Shaleni Saxcenna

पशु का न बोल पाना उसके दुख़ का कारण है
और
 मानव का अधिक बोलना कष्टों का आमंत्रण है।

©Dr Shaline Saxenaa
  #Quotecontest #true line
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Dr Shaleni Saxcenna

बड़ी मुद्दत से संभले हैं हमें संभलने दीजिए
ये इश्क़ की बातों में न फिर से उलझाइए।

Dr. Shaline Saxenaa

©Dr Shaline Saxenaa
  #Quotecontest #इश्क़
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Dr Shaleni Saxcenna







चिन्हांकित पत्थर

आते जाते बैठ जाती हूं अक्सर किसी रास्ते पर
नहीं नहीं आते जाते राहगीरों को देखने नहीं
बल्कि उन राहों पर पड़े पत्थरों को निहारने
ढूंढती हूं उन में कुछ चिन्हांकित पत्थरों को
जो लगाए थे किसी महान पुरुष ने मानवता की सड़क पर
नए आने वाले पथिकों को रास्ता दिखाने के लिए 
खो गए हैं वो पत्थर कुछ नए दिखावटी पत्थरों के बीच
जैसे छुपा होता है हीरा कहीं कोयलों की खदानों के बीच
कुछ लोगों ने निकाल फेंका है इन पत्थरों को
शायद मानव को मानवता से भटकाने को
पर नहीं जानते वो कि इन पत्थरों की नींव बहुत गहरी है
किन्हीं तीव्र तूफानों से ये हिल तो सकती है पर गिर नहीं सकती
ये नींव की परतें कल की नहीं वरन् युगों से जमा हुई हैं
ये धरा पर नहीं बल्कि दिलों में बसी हुई हैं
आज उन पत्थरों को निकाल फेंककर देखो
कर लो नाकाम कोशिशें उन चिन्हों को मिटाने की
मिट जाओगे तुम पर हिला भी नहीं पाओगे
हमारी हस्ती को यूं मिटा नहीं पाओगे
कल जिन कुछ पत्थरों को तुमने निकाल फेंका था
अतीत के जिन चिन्हों को तुमने मिटाना चाहा था
आज देखा वहां फिर अनगिनत पत्थरों का झुंड था
मैं मुस्कराई कि नए पथिकों को फिर मार्ग मिल गया था
उन पत्थरों पर मैने फिर कुछ चिन्हों को देखा
जो पहले से भी काफी स्पष्ट और साफ थे 
जो विश्वास था वो और मजबूत हो गया था
विश्वास यह कि मेरे भारत की संस्कृति और सभ्यता की जड़े काफी गहरी है 
जो आने वाली पीढ़ी को उन चिन्हांकित पत्थरों की तरह हमेशा मार्गदर्शित करती रहेंगी
और जिन्हें बाहरी शक्तियां कभी नष्ट नहीं कर सकतीं।
-Dr Shaline Saxenaa

©Dr Shaline Saxenaa
  #HindiWritings #चिन्हांकित पत्थर #Dr Shaline Saxenaa
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