#retro ज़िंदगी
हसरतों को वक्त की आँधी निगल गई ।
इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई।
लाखों जुगत किए उम्र-ए-दराज की ।
दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई ।
सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले । #कविता
#yogaday गंगा-यमुना जिसका आँचल है,
बद्री-केदार जिसकी दो आँखेँ,
हर की पौड़ी सा निश्चछल मन,
गढवाल-कुमाऊँ जिसकी दो बाँहेँ।
महान हिमालय जिसका मस्तक है,
ममता का सागर है नैनी,
रानीखेत जिसका चंचलपन, #कविता