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shivamsinghsisod5329
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Poet Shivam Singh Sisodiya

कवि शिवम् सिंह सिसौदिया 'अश्रु' जन्मतिथि 26 जनबरी 1995

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Poet Shivam Singh Sisodiya

 🇮🇳
Martyr's Week
शहीदी सप्ताह
(7 फरवरी से 14 फरवरी)
🕯
आइये हम सब देशप्रेमी पिछले वर्ष 14 फरवरी को *पुलवामा* आतंकी हमले में शहीद हुए 44 वीर हुतात्मा शहीदों को समर्पित करते हैं आज से शुरु होने वाला सप्ताह |
💐💐💐
प्रेम का सप्ताह देशप्रेम के नाम

🇮🇳 Martyr's Week शहीदी सप्ताह (7 फरवरी से 14 फरवरी) 🕯 आइये हम सब देशप्रेमी पिछले वर्ष 14 फरवरी को *पुलवामा* आतंकी हमले में शहीद हुए 44 वीर हुतात्मा शहीदों को समर्पित करते हैं आज से शुरु होने वाला सप्ताह | 💐💐💐 प्रेम का सप्ताह देशप्रेम के नाम #nojotophoto

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Poet Shivam Singh Sisodiya

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा                                   2


फिर से पावस का बदरा नयनों में उमड़ते देखा है |
विरहातुर उर को फिर से पीड़ा से लड़ते देखा है |
सारे तप और दुआ प्रार्थना विफल हुई हम बिछड़े ज्यों,
आज भी फिर से नींद को यूँ आँखों से बिछड़ते देखा है ||

शिवम् सिंह सिसौदिया

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Poet Shivam Singh Sisodiya

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा                                 1

आज भी फिर से मुस्कानों का चमन उजड़ते देखा है |
आज उँगलियों को फिर आँसुओं से झगड़ते देखा है |
होठों पर पतझर छाया, पलकों में पावस की रितु है,
आज भी फिर से नींद को यूँ आँखों से बिछड़ते देखा है ||

शिवम् सिंह सिसौदिया

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Poet Shivam Singh Sisodiya

एक तरफ दर्द होता 
तो होता भला |
चैन से तू जो सोता 
तो होता भला |
दर्द से तू भी रोता है 
उलझन बड़ी,
सिर्फ मैं ही जो रोता 
तो होता भला ||
                  - शिवम् सिंह सिसौदिया तो होता भला

तो होता भला

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Poet Shivam Singh Sisodiya

गोवर्धनपतिः शान्तो गोवर्धनविहारकः |
गोवर्धनो गीतगतिर्गवाक्षो गोवृक्षेक्षणः ||

(गोपालसहस्रनामस्तोत्रम् 25) गोवर्धनपतिः शान्तो गोवर्धनविहारकः |
गोवर्धनो गीतगतिर्गवाक्षो गोवृक्षेक्षणः ||

(गोपालसहस्रनामस्तोत्रम् 25)

गोवर्धनपतिः शान्तो गोवर्धनविहारकः | गोवर्धनो गीतगतिर्गवाक्षो गोवृक्षेक्षणः || (गोपालसहस्रनामस्तोत्रम् 25)

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Poet Shivam Singh Sisodiya

श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता

यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी ।
यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।।

(गर्गसंहिता) श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता

यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी ।
यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।।

(गर्गसंहिता)

श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी । यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।। (गर्गसंहिता)

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Poet Shivam Singh Sisodiya

गोवर्धनगिरे तुभ्यं गोपानां सर्वरक्षकम् |
नमस्ते देवरूपाय देवानां सुखदायिने || गोवर्धनगिरे तुभ्यं गोपानां सर्वरक्षकम् |
नमस्ते देवरूपाय देवानां सुखदायिने ||

गोवर्धनगिरे तुभ्यं गोपानां सर्वरक्षकम् | नमस्ते देवरूपाय देवानां सुखदायिने ||

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Poet Shivam Singh Sisodiya

नमो वृंदावनैकाय तुभ्यं गोलोकमौलिने |
पूर्णब्रह्मस्य छत्राय नमः गोवर्धनाय च ||
 (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड)

अर्थात् अर्थात् जो वृंदावन के अंक में अवस्थित तथा श्रीकृष्ण के परमधाम गोलोक के मुकुट हैं, जो पूर्णब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण के छत्ररूप हैं, उन गिरिराज गोवर्धन को नमस्कार है | नमो वृंदावनैकाय तुभ्यं गोलोकमौलिने |
पूर्णब्रह्मतपत्त्राय नमः गोवर्धनाय च ||
 (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड)

अर्थात् अर्थात् जो वृंदावन के अंक में अवस्थित तथा श्रीकृष्ण के परमधाम गोलोक के मुकुट हैं, जो पूर्णब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण के छत्ररूप हैं, उन गिरिराज गोवर्धन को नमस्कार है |

नमो वृंदावनैकाय तुभ्यं गोलोकमौलिने | पूर्णब्रह्मतपत्त्राय नमः गोवर्धनाय च || (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड) अर्थात् अर्थात् जो वृंदावन के अंक में अवस्थित तथा श्रीकृष्ण के परमधाम गोलोक के मुकुट हैं, जो पूर्णब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण के छत्ररूप हैं, उन गिरिराज गोवर्धन को नमस्कार है |

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Poet Shivam Singh Sisodiya

इंद्र द्वारा स्तुति

ऊँ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्‍दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिरिजोद्धर्त्रे करूणानिधये जगद्विधये जगन्‍मंगलाय जगन्निवासाय जगन्‍मोहनाय कोटिमन्‍मथमन्‍मथाय वृषभानुसुतावराय श्रीनन्‍दराजकुलप्रदीपाय श्रीकृष्‍णाय परिपूर्णतमाय त्‍वसंख्‍यब्रह्माण्‍डपतये गोलोकधामधिषणाधिपतये स्‍वयं भगवते सबलाय नमस्‍ते नमस्‍ते नमस्‍ते ।

(गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड) गोवर्धन धारण लीला के बाद
 (इंद्र द्वारा भगवान की स्तुति)

ऊँ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्‍दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिरिजोद्धर्त्रे करूणानिधये जगद्विधये जगन्‍मंगलाय जगन्निवासाय जगन्‍मोहनाय कोटिमन्‍मथमन्‍मथाय वृषभानुसुतावराय श्रीनन्‍दराजकुलप्रदीपाय श्रीकृष्‍णाय परिपूर्णतमाय त्‍वसंख्‍यब्रह्माण्‍डपतये गोलोकधामधिषणाधिपतये स्‍वयं भगवते सबलाय नमस्‍ते नमस्‍ते नमस्‍ते ।

गोवर्धन धारण लीला के बाद (इंद्र द्वारा भगवान की स्तुति) ऊँ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्‍दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिरिजोद्धर्त्रे करूणानिधये जगद्विधये जगन्‍मंगलाय जगन्निवासाय जगन्‍मोहनाय कोटिमन्‍मथमन्‍मथाय वृषभानुसुतावराय श्रीनन्‍दराजकुलप्रदीपाय श्रीकृष्‍णाय परिपूर्णतमाय त्‍वसंख्‍यब्रह्माण्‍डपतये गोलोकधामधिषणाधिपतये स्‍वयं भगवते सबलाय नमस्‍ते नमस्‍ते नमस्‍ते ।

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Poet Shivam Singh Sisodiya

अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः |
स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः ||
धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् |

(श्रीमद् भागवत महापुराण ८. ८. ३४/३५)

उनके हाथों में कंगन और अमृत से भरा हुआ कलश है | वे साक्षात् भगवान् विष्णु के अंशांश अवतार हैं | वे ही आयुर्वेद के प्रवर्त्तक और यज्ञों के भोक्ता धन्वन्तरि के नाम से सुप्रसिद्ध हुए | अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः |
स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः ||
धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् |

(श्रीमद् भागवत महापुराण ८. ८. ३४)

उनके हाथों में कंगन और अमृत से भरा हुआ कलश है | वे साक्षात् भगवान् विष्णु के अंशांश अवतार हैं | वे ही आयुर्वेद के प्रवर्त्तक और यज्ञों के भोक्ता धन्वन्तरि के नाम से सुप्रसिद्ध हुए |

अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः | स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः || धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् | (श्रीमद् भागवत महापुराण ८. ८. ३४) उनके हाथों में कंगन और अमृत से भरा हुआ कलश है | वे साक्षात् भगवान् विष्णु के अंशांश अवतार हैं | वे ही आयुर्वेद के प्रवर्त्तक और यज्ञों के भोक्ता धन्वन्तरि के नाम से सुप्रसिद्ध हुए |

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