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vishaldixit6553
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UvVishal Dixit

nothing to be fear ...i have only dare 💐😊

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UvVishal Dixit

when you know about that you are only a chapter for someone

©UvVishal Dixit #Save
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UvVishal Dixit

प्रेम जब निस्वार्थ होता है तो वो किसी चीज की मांग नही करता।
धन्य है श्री राम जानकी भरत शत्रुघ्न हनुमान जी
धन्य है रघुकुल, धन्य है रामायण
जय श्री राम

©UvVishal Dixit #uv
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UvVishal Dixit

जो ताउम्र साथ न दे पाए, जो जीवन के हर मोड़ पे आपको आपकी कमियां गिनाएक्या 
आपकी तकलीफ को दरकिनार करके सिर्फ अपनी खुशियां सोच पाए
जिनके साथ आपने प्रेम किया वो आपसे बार बार छल कर जाए
यकीं मानिए वो आपको कभी समझ ही न पाए
वृक्ष पर लगा फल जब समंदर में गिरता है तो उसकी नियति निश्चित करती कि उसको कहा वृक्ष बनना जो उसको स्वीकार न कर पाए वो वृक्ष क्या बनेगा
और वो वृक्ष जिसने अपने अधिकार को न त्यागा, वो फल का दुश्मन बन बैठा
अंतरात्मा कभी गलत नहीं कहती क्युकी वो अंदर बसती
परमात्मा साधारण दिखते नही, जैसे आंखे स्वयं को दिखती नही पर दिखाती सब कुछ है।

©UvVishal Dixit #Anger
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UvVishal Dixit

बोलो, कहाँ तक टिक सकोगे.. यदि राम सा संघर्ष हो 


कर्तव्य सर्वोपरि रखा
त्याग, शील, संकल्प को
जिस तरह जीवित रखा..
बोलो कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..

कल मुकुट जिस पर साजना था
अब उसे सबकुछ त्यागना था..
निर्णयों के द्वन्द से,
एक बालपन का सामना था..
वचन भी था थामना,
आदेश भी था मानना..
तब इस तरह सोचो स्वयं को
धर्म पर तुम रख सकोगे ?
बोलो,कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..

प्रजा तो बस राम की थी
दुनिया उसे तो जप रही थी..
वचन ही था तोड़ देता
धर्म ही था छोड़ देता..
पर पीढ़िया क्या सीख लेंगी..
राम की चिंता यही थी..
हो छिन रहा एक क्षण में सबकुछ
सोचो एक क्षण..क्या करोगे ?
बोलो कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..

केवट न जाने क्या किया था
सौभाग्य जो उसको मिला था
राम से ही तारने को
राम से ही लड़ गया था..
कुल वंश उसके तर रहे थे
सब राम अर्पण कर रहे थे..
जब सबकुछ हो बिखरा हुआ
तुम सहज कब तक रह सकोगे..?
बोलो कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..


है याद वो घटना तुम्हे ?
जब राम थे वनवास में..
सिया थी हर ली गई
था कौन उनके साथ में..
कुटी जब सूनी पड़ी थी
दो भाई और विपदा बड़ी थी..
बोलो ऐसे मोड़ पर,
तुम धैर्य कब तक रख सकोगे...?
बोलो कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..!!

वह तो स्वयं भगवान था
पर कहाँ उसमे मान था ..
किरदार भी ऐसा चुना,
जिसमें सिर्फ़ बलिदान था..
मर्यादा के प्राण थे
रघुवंश के अभिमान थे ..
श्री राम के अध्याय से
एक पृष्ठ हासिल कर सकोगे..?
बोलो कहाँ तक टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो...

व्यथा इतनी ही नही है
कथा इतनी ही नही है..
कुछ शब्द उनको पूर्ण कर दे
राम वो गाथा नही है...
जब तपे संघर्ष में,
तब हुए उत्कर्ष में..
क्या तुम भी ऐसी प्रेरणा
पीढ़ियों के बन सकोगे..?
बोलो कहाँ तक तुम टिक सकोगे ?
यदि राम सा संघर्ष हो..

©UvVishal Dixit
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UvVishal Dixit

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UvVishal Dixit

ना फिक्र कोई न जुस्तजू है
न ख्वाब कोई न आरजू है
ये शख्स तो कब का मर चुका है
तो बेकफन ये लाश क्यों है?

©UvVishal Dixit #zindagi 

#Time
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UvVishal Dixit

अपना समझकर सब कुछ किया और अगर अपमान मिला तो आपने सब कुछ कर लिया
जिंदगी अपने लिए नहीं, अपनो के लिए ज़िया तो आपने सब कुछ किया।
वो शख्स जिसकी नजरों में आप एक वस्तु हो, तो आपने सब कुछ किया
अब अगर रास्ते बदल गए है तो भी आपने सब कुछ किया
अगर किसी की खुशी के लिए आपने अपनी खुशी त्याग दी तो आपने सब कुछ किया
बस एक सवाल उसकी खुशी के लिए क्या किया?
जिसका जवाब अब नही चाहिए।

©UvVishal Dixit #Seating
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UvVishal Dixit

someone judges me as a book by it's cover
one day i will show you that some great books also found in junk bin..

©UvVishal Dixit #foryoupapa
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UvVishal Dixit

कि बड़ी मुश्किल से मिला हूं मैं खुद से 
अब मैं दिल की बात पर विश्वास नहीं करता

©UvVishal Dixit #sad

#YouNme
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UvVishal Dixit

नैनों से बरसे शब्दों की हकीकत मैं यूं बताता हूं। कोरे कागज सी है जिंदगी पर आशियां तूफानों में बनाता हू। 
बहती कागज की नाव पर सवारी यूं मैं  बैठाता हूं कि उफनते दरिया को भी उसकी औकात दिखाता हूं।
अधरों में अपने मौन लिए मैं हालातों को बताता हूं
उठापटक जिंदगी के तो देख लिए, अब खुद सर्कस चलाता हूं

©UvVishal Dixit #uv#zindagi

#lovebond
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