*जब वो मेरी थी (शायद अब वो मेरी नहीं)~Part-2*
जो कभी मिलते ही मुझमें समा जाती थी मेरी जान की तरह,
आज मिली भी तो जैसे किसी अंजान की तरह
जो हर्फ़-हर्फ़ पढ़ती थी हमें शिद्दत से कभी,
आज नजरअंदाज कर दिया किसी अजनबी के पैगाम की तरह
#शायरी#drowning#urstrulyShiv
Shivansh Srivastav
*जब वो मेरी थी~Part-1*
मेरे लिए अपने अपनों से भी लड़ती थी,
मुझसे भी ज़्यादा मेरी परवाह करती थी
हो जाए न जुदा कभी हम एक दूजे से,
इस ख़्याल भर से वो हमेशा डरती थी
#Stars#शायरी#urstrulyShiv