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santoshavya3783
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संतोष

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संतोष

वर्ष!

तु आता हैं हर वर्ष
तु जाता हैं हर वर्ष
तु हंसाता हैं हर वर्ष
तु रुलाता हैं हर वर्ष
उम्मीदे जगाता हैं हर वर्ष
ख्वाब दिखाता हैं हर वर्ष
कुछ देता हैं हर वर्ष
कुछ ले लेता हैं हर वर्ष
कुछ तारिखो से जीवन को
सजाता हैं हर वर्ष
कुछ दिनांको से आंसू
 बहाता हैं हर वर्ष
किसी को जीवन साथी
दिलाता हैं हर वर्ष
किसी को मंजिल तक
पहुंचाता हैं हर वर्ष
एक गुजरा हुआ वक्त
बन जाता हैं हर वर्ष
कुछ खट्टी, कुछ मिठी यादें बनकर
दिल में रह जाता हैं हर वर्ष















.....

©संतोष
  #Happy newyear

#Happy newyear

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संतोष

#ShamBhiKoi
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संतोष

शीत ऋतु

दिवस की निशा जो छोटी थी
अब बडी़ होकर इठलाती हैं
ढ़ल जाता है भानु शिघ्र
और  संध्या खूब  इतराती हैं
तपता सुरज सुकुन देता हैं
और हवाये प्रहार बराबर हैं 
पसीनो की बूंदे बदन पर थी
अब ओस की बूंदे धरा पर हैं
सब छिप रहे थे जो छाये में
अब धूप उन्हें खूब भाये हैं
जो जल शीतल लगता था
वह कांटे सा अब चुभता हैं
जो भिनसार अंशु लाता था
वह अंधकार में ही रहता हैं
स्वयं रवि देर से जगता हैं
और सबको भी सुलाता हैं
वातावरण बनकर ठिठुरन
कोहरे से सज जाता हैं
लिपटकर चादर में तब
जीवन चलता जाता हैं
जीवन चलता जाता हैं

©संतोष #Winter
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संतोष

 दिनांत के विधान का
सूर्यास्त के सम्मान का
विहान के विश्वास का
दिवस के न्यास का 
तमस के विनाश का 
उत्कर्ष के प्रकाश का
हो तन्मय भक्तिभाव में
मन के ठहराव में
हो निर्जला जलधाम में
रख आस्था अंशुमान में
संग श्रद्धा व अराधना 
महाव्रत में उपासना
हैं अनन्य पर्व अर्घ्य का
आदित्य के सौजन्य का










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©संतोष
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संतोष

दिनांत के विधान का
सूर्यास्त के सम्मान का
विहान के विश्वास का
दिवस के न्यास का 
तमस के विनाश का 
उत्कर्ष के प्रकाश का
हो तन्मय भक्तिभाव में
मन के ठहराव में
हो निर्जला जलधाम में
रख आस्था अंशुमान में
संग श्रद्धा व अराधना 
महाव्रत में उपासना
हैं अनन्य पर्व अर्घ्य का
आदित्य के सौजन्य का











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©संतोष
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संतोष

दिनांत के विधान का
सूर्यास्त के सम्मान का
विहान के विश्वास का
दिवस के न्यास का 
तमस के विनाश का 
उत्कर्ष के प्रकाश का
हो तन्मय भक्तिभाव में
मन के ठहराव में
हो निर्जला जलधाम में
रख आस्था अंशुमान में
संग श्रद्धा व अराधना 
महाव्रत में उपासना
हैं अनन्य पर्व अर्घ्य का
आदित्य के सौजन्य का

©संतोष #chhathpuja
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संतोष

"इस दिवाली बेशक तुम
दीपो को जला लेना
एक दीपक मन में भी
प्रकाश का दिखा देना
फुलझडी़यो से आकाश
बेशक जगमगा देना
थोडी़ रौशनी हृदय के
भीतर भी पहुचा देना
लौट आये हैं राम अयोध्या
तो घर घर में दिवाली हैं
तुम अपने अंदर भी
एक अयोध्या बसा लेना"













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©संतोष #Diwali
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संतोष

इस दिवाली, दिलो में
प्यार हम बढा़ लेंगे
अंधेरे को ऊजाले का
पाठ हम पढा़ देंगे
उल्लास की फुलझड़ीया
आकाश में लहरा देंगे
खुशीयो के दिपक से
धरा को जगमगा देंगे
चमका उठे मोमबत्तियां
उससे घर को सजा देंगे
इस दिवाली, दिलो में
प्यार हम बढा़ लेंगे



















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©संतोष #Diwali
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संतोष

सत्य की हो सम्पन्नता 
तो धनतेरस हैं
प्रेम की हो पूर्णता
तो धनतेरस हैं
करूणा की ऋद्धि हो
तो धनतेरस हैं
स्नेह की सिद्धि हो
तो धनतेरस हैं
सोम्यता सम्पत्ति हो  
तो धनतेरस हैं
उदारता विभूति हो
तो धनतेरस हैं
कि सदाचार ही 
स्वर्ण मुद्राए हैं
हृदय में भर लो 
तो धन तेरस हैं
मानवता ही धन हैं
ध्यान में धर लो 
तो धनतेरस हैं









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©संतोष #Dhanteras
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संतोष

On confusion


" Confusion is a mindful state of our minds in which the mind clearly understands that it has not understood clearly and is minded to clear its  understanding "





©️Santosh Gupta












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©संतोष #delusion
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