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कुछ लिखने की चाह रखता हूं.. कुछ पढ़ने की चाह रखता हूं. के साथ साथ.. मैं भी बदलने की चाह रखता हूं.. पढ़ लेता हूं.. अल्फाजो के फ़नकारों को इत्मिनान से.. कुछ समझ लेता हूं... दर्द ऐ गम उनका... कुछ खुशियों में उनके... मैं भी खुश हो जाता हूं कभी लिख लेता हूं.. दरमियान ऐ हालात कभी यूं ही खामोश हो जाता हूं! कुछ-कुछ उतर जाता हूं शब्दों में... कुछ कुछ खुद में ही रह जाता हूं!