मेरे शहर में आज दंगे हुए,
कुछ दुकानें जलाई गई,
तो कुछ पर पत्थर फेंके गए ।
सड़कों के हथेली पर मेहंदी लगाई गई थी,
जिसकी पत्तियों को हटा कर सुर्ख़ रंग चड़ाई गई।
कहीं ख़ामोशी थी,तो कहीं चीखें
कहीं पर किताबे सुलग रही थी।
तो कहीं पर बेमेल चप्पले बिखरी पड़ी थी। #poem