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madhumadhubala8185
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Madhu Madhubala

creative writer ,a poet,anchor, singer

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Madhu Madhubala

वो मेरे दिल से लिखे भावों
को क्या समझेंगे जो अक्सर
मेरी कविताओं ग़ज़लों में 
उभरकर दस्तक दे जाता है।
यहाँ रिवायत है तू मुझे पसंद 
कर मैं तुझे ,फिर क्या मोल
उन अनमोल अल्फ़ाज़ का
जो ज़िंदगी को नई दिशा दे जाते है

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Madhu Madhubala

सब कुछ सस्ता है इस देश में।
इंसान की ज़िंदगी सस्ती है
मां बहन  की अस्मत सस्ती है
फ़ोन की काल सस्ती है
किसान की मेहनत सस्ती है।
खामखा ही पेट्रोल ,डीज़ल और 
राशन को रोते हो

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Madhu Madhubala

           "नज़्म"
तेरे  साथ जी रहे है, तेरे साथ मर रहे है
जिसे इश्क हम हैं कहते ,सब गुनाह कह रहे हैं।

सब तोड़ रिश्ते नाते ,तेरे साथ चले आये
अब ठोकरों को भी हम तेरी चाह कह रहे हैं।

तेरे बिन इक पल भी जीना गवारा नहीं मेरे हमदम
तेरी बाहों को खुदा की ,हम पनाह कह रहे हैं।

मधु मधुबाला

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Madhu Madhubala

दिल मिला है जबसे तुझसे
कोई और न अब भाता है
तुझसे रूठा न जाये
तू याद बहुत आता है
सब तोड़ के तुमसे नाते
क्यों ज़ार ज़ार रोते हैं
कैसी ये है मज़बूरी
क्या इश्क इसे कहते हैं?

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Madhu Madhubala

सोचा न था मुहब्बत में
कभी ऐसे दिन आयेंगे
इक राह पे चलते चलते
हम दोनों खो जायेंगे

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Madhu Madhubala

कविता:- पापा हंसकर बस चुप रह जाते

कविता:- पापा हंसकर बस चुप रह जाते

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Madhu Madhubala


१२२----१२२----१२२----१२२
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ये दिल हाथ से क्यूँ फिसल जा रहा है
ये हद से ज़ियादा निकल जा रहा है

जिसे याद तेरी कभी भी न आई
तू उसके लिये ही मचल जा रहा है।

तू नादां बड़ा है उसे क्यूँ न समझा
वो बातों ही बातों में छल जा रहा है

मुहब्बत निभाना उसे कब है आया
वो अरमान दिल के मसल जा रहा है

ऐ *मधु* सीख ले अब तो चालाकियाँ भी
ये  ज़ालिम  ज़माना बदल जा रहा है।
 
*मधु मधुबाला* एक नई ग़ज़ल आप सबके लिए।

एक नई ग़ज़ल आप सबके लिए।

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Madhu Madhubala

एक कविता माँ को समर्पित

एक कविता माँ को समर्पित

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Madhu Madhubala

तेरे सीने से लगकर
न भय कोई सताता है
आँचल में ले लेती मुझको
स्वर्ग मुझे मिल जाता है
जब रोता माँ झट आती है
चूम मुझे लोरी गाती है
मुझसे क्या क्या बातें करती
समझ न मुझको आता है
तेरे सीने से लगकर बस
स्वर्ग मुझे मिल जाता है। dedicated to all mothers.

dedicated to all mothers.

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Madhu Madhubala

दिल की दुनिया ही कुछ ऐसी है 
पैदा होनेसे जो धड़कना चालू होता है
 आखिरी साँस तक धड़कता 
ही जाता है।उसपे आलम ये कि
लोग कहते है कि दिल 
नाज़ुक होता है।

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