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ashvanikumar4853
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Ashvani Kumar

I'm electrical engineer, but I like written poem & muktak just like as poet.

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Ashvani Kumar

मैं तो प्रेम हूँ..

तुम्हारे हर किए धरे पर पनप आऊंगा.. 
बालों को संवारो, गोल बिन्दी लगा लो, 
चाहो तो मंद-मंद मुस्कुरा लो... 
मैं कभी नजाकत, कभी सजावट, 
कभी होंठो पर उतर जाऊंगा... 
मेरा क्या करोगे.... 
मैं तुम्हारे हर किए धरे पर पनप आऊंगा..!

©Ashvani Kumar
  मैं प्रेम हूं

मैं प्रेम हूं #लव

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Ashvani Kumar

बिगड़ गये थे हम इश्क में थोड़े बहुत,
दिल टूटा और फिर दिल तोड़े बहुत.......

©Ashvani Kumar Dil

#apart
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Ashvani Kumar

सूरज इतना याद रहे संकट एक सूरज वंश में है,
लंका के नीच राहु द्वारा आघात दिनेश अंश पर है,
इसलिये छिपे रहना भगवन जब तक जड़ी पहुंचा दूं मैं,
बस तभी प्रकट होना भगवन जब संकट निशा मिटा दूं मैं,
अन्यथा छमा करना दिनकर अंजनी तनय से पाला है,
बचपन से जान रहे हो तुम की हनुमत कितना मतवाला है ।।

©Ashvani Kumar हनुमत कितना मतवाला है

#SunandMe

हनुमत कितना मतवाला है #SunandMe #पौराणिककथा

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Ashvani Kumar

"  लिखना कुछ तुम भी मेरे बारे में "

©Ashvani Kumar लिखना कुछ

लिखना कुछ #शायरी

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Ashvani Kumar

जब थककर भी नही थकता, 
तब माँ तुम्हें याद करता हूँ, 
जब सबके दर्द की दवा बनकर 
खुद अपने दर्द में पिघलता हूँ 
                 तब ....
जब दिल की कह नहीं पाता 
भीतर ही बिखरता व सिमटता हूँ 
बाहर से शीतलता ओढकर 
जब अन्दर आग सा तपता हूँ
               तब... 
वैसे मैं सबका व मेरे अपने सब है 
जब सबके साथ अकेला होता हूँ
               तब....
यूँ कभी हँसता कभी रो लेता हूँ 
जब अन्दर रोता बाहर हँसता हूँ
               तब....
तुम्हें ही देखा मेरे लिए दुःख सहते हुए
जब भी मन्दिर में सर झुकाता हूँ
              तब....
जब पग पग गिरता व सम्भलता हूँ 
माँ तुम्हें मैं याद करता हूँ ।।

©Ashvani Kumar माँ तुम्हे मैं याद करता हुं

#Travel

माँ तुम्हे मैं याद करता हुं #Travel #समाज

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Ashvani Kumar

स्त्री वो कविता है
जिसपर सबकी नज़र पड़ती हैं
लेकिन
बहुत कम लोगों द्वारा पढ़ी जाती है
पढने वालों में सबके समझ में आ जाये
ये जरूरी नहीं।

©Ashvani Kumar स्त्री

#feelings

स्त्री #feelings #शायरी

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Ashvani Kumar

# voise

# voise #Life

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Ashvani Kumar

बचपन और माँ  जब बच्चे ने काग़ज़ खाया माँ ने डाँटा

रो कर बोला माँ काग़ज़ पर खीर बनी थी।

©Ashvani Kumar maa

#BachpanAurMaa
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Ashvani Kumar

मैंने तो यूँ ही राख में फेरी थीं उँगलियाँ
देखा जो ग़ौर से तेरी तस्वीर बन गई ।।

©Ashvani Kumar तेरी

तेरी #Quotes

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Ashvani Kumar

जिश्म बेंचकर जीना उसकी भी कोई मजबूरी रही होगी,
मुमकिन है कि दास्तानें इश्क उसकी भी अधूरी रही होगी ।।

©Ashvani Kumar #doubleface
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