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prachisingh5689
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Prachi Singh

“मुझमें थी एक विकलता तुम्हारे लिये, द्वार दीपक-सा जलता तुम्हारे लिये, और जो होता पता तुम यहीं आओगे, मैं ना घर से निकलता तुम्हारे लिये.”

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Prachi Singh

White मेरा मन शून्य होना चाहता है।
शून्य बन शून्य छूना चाहता है।।

©Prachi Singh #good_night_images
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Prachi Singh

#poetryunplugged
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Prachi Singh

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Prachi Singh

जो नज़र से उतर जाए फिर वो नजर के, 
.
.
सामने भी आ जाए तो नजर नही आता!!

©Prachi Singh
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Prachi Singh

Shree Ram अयोध्या हर्षित हो, पुलकित हो,उत्सव मनायें, रामलला आये मेरे रामलला आये ।
पुष्प बिछाए कोई नैना बिछाए,
सरयू के तट देखो कैसे मुस्काये,
रामलला आये मेरे रामलला आये....
गलियां सजी ऐसे,जैसे कोई दुल्हन सजायें,
सदियों के दीप बुझे आज जगमगायें,
रामलला आये मेरे रामलला आयें ....

©Prachi Singh
  #shreeram
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Prachi Singh

विश्वास पत्थर को देव बना देती है जबकि अविश्वास मानव को दानव ।

©Prachi Singh
  #thelunarcycle
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Prachi Singh

किसी से मिलते ही फ़ैसला ना किया करो
 ये जो इंसान है न वो कई परतों में खुलता है...

©Prachi Singh
  #dhoop
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Prachi Singh

उन बादलों को क्या ग़म?
 जो जहां जी किया बरस गये,
तड़फ तो उस सींप को होती है,
जो सिर्फ स्वाति बूंद की इंतजार में होती है।
उन्हें इंतजार का क्या अहसास
जिसे सब कुछ समय से पहले मिल गया हो....

©Prachi Singh
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Prachi Singh

ये संसार सागर है,तू,
 है खिवाइया।
 तेरे ही भरोसे पर ,
है मेरी नैइया।

©Prachi Singh
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Prachi Singh

हर शाम जो सूर्य ढलता है,
 बड़े थकान में आकर,
सुबह उगता वहीं है सूर्य,
अपनी मधुमयी मुस्कान को लेकर 
 फिर वो पथिक प्रिय प्राण मेरे,
 पर तू संभालता क्यूं नहीं?
 बस एक बार गिरने पे ...

©Prachi Singh
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