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halendraprasad5961
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🇮🇳🙏🏻🌹मेरा मुझमें कुछ नहीं जो कुछ है तोर, तेरा तुझको सौपते क्या लगता है मोर।।🇮🇳🙏🏻🌹

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HP

★🙏🏻सुरात्री🙏🏻★
हम तेरे इश्क़ में रूबरू, किस कदर हो गए
 तू उधर हो गई और मैं इधर हो गऐ
 
हर इश्क़ तेरी जुल्फों की शिकार हो गया
हम मोबाईल पर इधर हो गए और तू मोबाईल पर उधर हो गई

प्यार मुहब्बत सब के सब बेअसर कर गया
ऐ छोटी सी जिंदगी दरबदर कर गया

दिन में हमने चमकते सितारों को देखा
ऐ कौन सी अजीब बात है, दरबदर ज़िन्दगी में कितने,
 ऐसे पतवारें को हमने देखा
          ★ 🙏🏻सुरात्री🙏🏻★
🎊🎊🎊💝🎊🎊🎊
HP #alone
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आज का ज्ञान मेहनत सीढियों की तरह होती है और भाग्य लिफ्ट की तरह...... 
किसी समय लिफ्ट तो बंद हो सकती हैं
लेकिन सीढियॉ हमेशा ऊँचाई की तरफ ले जाती हैं।। #aajkagyan
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सदा सेवा करने को तैयार रहो। शुद्ध प्रेम, दया और नम्रता सहित सेवा करो। सेवा करते समय कभी मन में भी खीझने या कुढ़ने का भाव मत आने दो।

पं श्रीराम शर्मा आचार्य #Janamashtmi2020
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तिनके के समान हलका बनने से, वृक्ष के समान सहिष्णु बनने से, मान छोड़कर दूसरों को मान देने से, इष्ट की महिमा समझने से तथा अभिमान का त्याग करने से साधना शीघ्र सफल होती है। 

जय माँ गायत्री #clouds
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किसी चीज से भी न चिढ़ो काम उसी निर्लिप्त भाव से करो जिस तरह वैद्य लोग अपने रोगियों की चिकित्सा करते हैं और रोग का अपने पास नहीं फटकने देते। सब उलझनों से मुक्त अथवा दृष्टा साक्षी की भावना से काम करो।

स्वामी रामतीर्थ #alone
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सत्संग से दुर्जनों में साधुता आती ही है, साधुओं ही में दुष्टों की संगत से दुष्टता नहीं आती। फूल के गन्ध को मिट्टी ही ले लेती है, मिट्टी के गन्ध को फूल नहीं धारण करते ।
चाणक्य #peace
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केवल शास्त्र का सहारा लेकर कर्तव्य का निर्णय नहीं होता। जिस विचार में युक्ति नहीं है। उससे धर्म की हानि होती है।

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प्रति दिन सच्चे दिल से पवित्रता के लिए की गई प्रार्थना से आदमी दिनों दिन पवित्र होता है।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य #alone
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एक भी शब्द ऐसा मत कहो जिससे दूसरों को ठेस पहुँचे। बोलने से पहले भली प्रकार विचार करो और देख लो कि जो कुछ आप कहने लगे हो वह दूसरों के चित्त को दुखी तो नहीं करेगा।

पं श्रीराम शर्मा आचार्य #alone
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bharat quotes  जब सृष्टि के सारे साधन, सारे उपकरण और समस्त सम्पदायें सुख साधन करने के लिये ही मिली हैं तो क्या कारण है कि उनके बीच रहते उनका उपयोग करते हुए भी मनुष्य दीनता दयनीयता और दुःख को प्राप्त होता जा रहा है। जो दूध, दही, घी, अन्न आदि पदार्थ मनुष्य को बच्चे से बड़ा कर, जवान कर स्वास्थ्य एवं सुन्दरता प्रदान करते है एक दिन मनुष्य उन्हीं का उपयोग करता करता रोगी बन जाता है, क्षीण हो जाता है और सारी शक्ति खो देता है।

इसका कारण है मनुष्य का असंयम एवं नियति नियमों के प्रति विद्रोह। जो विद्युत शक्ति मनुष्य के बड़े-बड़े कार्य सम्पादित करती है, वही बिजली अनियमपूर्वक छूने अथवा अनियमित रूप से उपयोग करने पर विनाश का कारण बन जाती है। जो अन्न मनुष्य को जीवन देता है, उसका प्राण कहा जाता है? उसका अनियमित उपयोग प्राणों का संकट बन जाता है।

नियम-नियमनों के अनुकूल चलने और नैसर्गिक अनुशासन मानने पर ही मनुष्य उन्नति एवं समृद्धि की दिशा में अग्रसर हो सकता है। इसके अतिरिक्त ऐसा कोई अन्य उपाय नहीं है, जो मनुष्य को सुखी अथवा शान्त बना सके।
अखंड ज्योति

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