A poet (prem rasa),a comedian,and national level dancer
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Manish Joshi
ज़रूरतें नहीं है मेरी जिंदगी से, मुझे तो खोए हुए अरमानों को जगाना है बस।
तुम हो तो हो बाकी सब फसाना है।
सोते हुए तो जाग जाएंगे एक दिन,
जो जागें है उनको उठाना है और बस।
तुम सच हो बाकी सब फसाना है बस।।
#Opinion#Nojoto
Manish Joshi
मंदिर ढूं ढा , मस्जिद ढूंढा ढूंढा ये जग सारा,
अम्बर ढूंढा, उम्बर ढूंढा , ढूंढा बस ये दिल तुम्हारा
ना मिली तुम ना हुआ अपना ये जग सारा
बस एक तलक तुम दिख जाओ , देखो कैसे संवर जाएगा दिल ये आवारा।। #Poetry
Manish Joshi
वो " नो कमेंट" बोलकर शब्दों को साबुत निकल गए।
बेटी के " बचाओ - बचाओ" की चीख पर लिखने की जुर्रत को सियासत के ताबूत निगल गए।।
ना जाने कितना इंसाफ मिलेगा उस बच्ची को ,क्यूंकि इन सियासी नेताओ। अब नहीं दम बाकी है।।
जनता मांगे जवाब उनसे क्या सिर्फ अब भ्रम बाकी है।।।।।
#justiceforasifa#justiceforwomen#Poetry
वो अपना मुक्कदर खुद ही बना लेगी
उसे दुनिया में आने तो दो।
वो अपना साज खुद है सजा लगी
उसे थोड़े ख्वाब सजाने तो दो।।
ना जाने लोग क्यों डरते हैं उसके आने से
वो तुम्हारा भाग्य जगा देगी
उसे खुद को जगाने तो दो।।। #Poetry
Manish Joshi
लेखक हुं मैं भावनाओ को संजोड़ना जानता हूं
हर किसी तस्वीर को अक्षरों में बटोरना जानता हूं
भले ही जमाना समझें पागल हमें
मै झूठ को सच बताना जानता हूं।। #Poetry
लेखक हुं मैं भावनाओ को संजोड़ना जानता हूं
हर किसी तस्वीर को अक्षरों में बटोरना जानता हूं
भले ही जमाना समझें पागल हमें
मै झूठ को सच बताना जानता हूं।। #Poetry
नर हूँ कैसे हार मान लूँ,
कुंद हो चुकी तलवार मान लूँ।
अभी लहू दहाड़ रहा है,
धक धक सीना फाड़ रहा है,
कैसे ये चीत्कार थाम लूँ।
नर हूँ कैसे हार मान लूँ।
अभी अनगिनत काम सामने,
सुबह ठिठुरती शाम सामने, #Poetry
नर हूँ कैसे हार मान लूँ,
कुंद हो चुकी तलवार मान लूँ।
अभी लहू दहाड़ रहा है,
धक धक सीना फाड़ रहा है,
कैसे ये चीत्कार थाम लूँ।
नर हूँ कैसे हार मान लूँ।
अभी अनगिनत काम सामने,
सुबह ठिठुरती शाम सामने, #Poetry