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neelamnegi8675
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Neelam Negi

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Neelam Negi

तुम्हारे प्यार के गुमनाम  शहर में 
 मैं खुद को खोती जा रही  हुँ 
जितना  तुम  मे खोती जा रही हुँ 
मैं उतना तुम्हारे  होती  जा रही हुँ ,

एक नयी दुनिया हैं आश्चर्य से भरी 
जिस मै तुम  मुझे लेकर चल रहे हो
हर तरफ जिधर भी देखु
मैं हैरान सी होती जा रही हुँ ,

एक सपना है जो हकीक़त बन के चल रहा है .
या फिर मैं सुनहरे सपनो मैं खोती जा रही हुँ 
जितना मैं तुम्हारी होती जा रही हुँ 
मैं खुद से बिछड़ के तुम घुलती जा रही हुँ ,

तुम्हारे प्यार के इस गुमनाम शहर में 
तुम मुझ मैं ओर  मैं  तुम मैं खोते जा रहे हैं .!नीर ..
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Neelam Negi

तुम्हें भर के खुद में 
मैंने खुद को आधा कर लिया
मोहब्बत में थोड़ा सा 
मोहब्बत को ज्यादा कर लिया ।

आजकल हर पल 
याद बहुत आने लगे हो तुम
लगता है तुमने अब
पास  आने का इरादा कर लिया ।

तुम्हें भी गुजरना है
इश्क़ के हालातों से एक दिन
समझा कर दिल को
 मैने आमादा कर लिया ।

रोज तेरी यादों की 
आग सुलगाने के लिये मैंने
ख़रोंच-ख़रोंच कर
एहसासों को बुरादा कर लिया ।

बस कुछ पल की हैं जो दुरी 
उस में हैं अब बहुत बेचैन सी 
फिर गुजरेगा  हर पल  तेरी पनाह में 
 तेरी आंखों  के साये में ...नीर
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Neelam Negi

सब कहते हैं मुझे की मेरा 
बचपन नहीं जाता अभी तक 
तो वो क्या जाने की मेरा बचपनापन ने ही 
तो मुझे समेटे  कर और जिन्दा  रखा है 
वरना  कब के बिखर  गयी होती
  बचपनापन ही तो है  एक ज़रिया खुशी से  जिने  का
  समझदार होने की कोशिश करती हु
 तो बस अपने दर्द ओर अकेले पन  से
 मुलाक़ात होने लगती हैं नीर .....
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Neelam Negi

Hum sab ke liye achhe ho
 jaruri to nhi 
Hum sab ke liye bure ho 
ye v jaruri nhi h 
Jo hume jis najar se dekhe 
us ke liye hum waise hi hai
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Neelam Negi

#मकान_या_घर ..
---
भीड़ भरी उस गली में
एक सुनसान इमारत है
ना जाने लोग उसे मकान क्यों कहते हैं
मेरे लिए तो वो आज भी घर है
दरवाजों और खिड़कियों पर एक धूल की चादर है
लाल पत्थरों के उस चबूतरे पर पत्ते ही पत्ते बिखरे हैं
लकड़ी के उस दरवाजे पर एक जंग लगा ताला लटका है
मैं जब भी उस छत पर निगाह उठाकर देखती हूं
किस्से-कहानियों में लिपटी यादें मुस्कुराकर नीचे झांकती हैं
ना जाने फिर भी लोग उस 'घर' को 'मकान' क्यों कहते हैं।  नीर.....
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Neelam Negi

Tere aachal me chhupe hai mere bachapan ki Kuchh yaade ....
samabhal kar agar Mai un yaado ko na
rakh saku to tu sambhal lena meri yaado ko.....
taki agar Mai kabhi khud bikharane lagi to 
tu khud mujh sambhal le mujhe meri yaado ke saath .....neer
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Neelam Negi



गरज गरज कर बूंदे बरस रही है,
जैसे रोक रहा हो इनको कोई...
ये धरा से मिलने को तरस रही है,

गरज गरज कर बूंदे बरस रही है,
बादलों को चिर आती है बूंदे ,
जैसे इनको ये भूमि खींच रही है,

गरज गरज कर बूंदे बरस रही है,
लिपट कर ज़मी से अस्तित्व खोती,
हर बूंदे दूसरी बूँद को ढूंढ रही है,

गरज गरज कर बूंदे बरस रही है हिम की,
कुछ ज़मीं पर आती बिखर गई है,
कुछ पेड़ों पर रूककर निखार गई है,

गरज गरज कर बूंदे बरस रही है,
कुछ   पिघल कर नदियों से बहकर गुज़र रही है,
कुछ चेहरे पर आकर बिखर रही है...नीर
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Neelam Negi

खिलखिलाती सुबह,ताज़गी से भरा सवेरा होता  है  जहा
फूलों और बहारे हमरे लिए रंग बिखेरे है जहा
सुबह की हवा कहती कानों में  चुपके से जाग जाओ,

जरा देखो तो हेमवन्त भी सुरज की पहेली किरणो से 
कैसे मुस्कुराहट लिए  अपनी चोटीयो  से चमचमा के हमारे चेहरे 
पे अपनी चमक बिखेर रहा है  जहा
ओर कहता है आपकी मुस्कुराहट के बिना सब अधूरा है। 

चिड़ियो के मीठी सी चहेक के साथ खिलखिलाता है  
हर एक सुबह  जहा   चारो ओर सरसराती
 हरियाली फैली  है जहा मेरा गाँव है वहा ......नीर 

 नील...

नील... #Poetry

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Neelam Negi

ये जीवन एक खूबसूरत किताब है
इसके हर एक पन्ने पर
कोई नया एक सवाल है...
रंग बिरंगे पन्नो पर,कभी ख़ुशियों के मेले हैं
कभी कोरे पन्नों पर,सिर्फ आंशू अकेले हैं
है कभी तो आशा किसी लच्छय को पाने की...
और कभी निराशा है
किसी मुश्किल के आने की...
पलकों तले पलते,
न जाने कितने ख्वाब है..
यहाँ हर एक दिन के,एक नए हालात हैं
ये जीवन एक,खूबसूरत किताब है...
इस जीवन रूपी रात में,थक थक के सो जाना
फिर नई सुबह में
एक जोश से उठ जाना..
कुछ खोना,कुछ पाना
और कुछ नया बनाना
हर पन्ने पर कोई एक ,नया सा अफ़साना
बचपन की मस्तियाँ
,लड़कपन के सपनें
अलग अलग भूमिकाओं के
अनेक रिस्ते हैं अपने...
अच्छाई और बुराई का पूरा पूरा हिसाब है
मानो तो ये जीवन
एक खूबसूरत किताब है...नीर
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Neelam Negi

जब जब दुख महसूस हुआ तब तब याद आई बस हर एक रात का इन्तजार रहा ख्वाब आये तो उसका प्यार मिला वो मुझे बहुत प्यार करता है पर बोलता नही पर प्यार देता है हर एक रात उसकी गोद मिल जाती 
ना जाने क्यो वो मुझे इतना प्यार करता है जब जब मै रोयी उसकी याद आती पर वो नही आता पर जब नीद आई तब तब मैने उसे अपने पास पाया बस कभी खुली आँखो से उसे नही देख पायी
नीर......
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