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H S Rawat

M R Mehata(रानिसीगं )

हस्ती

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जय माता दी 

सम्भल कर चल ऐ दिल नादान
यह इंसानो की बस्ती है 

यहा राम को भी आजमा लिया जाता है सोच तेरी क्या हस्ती है

©M R Mehata हस्ती

निशान्त चौहान

Saba Singh

हस्ती

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Vivek Chandraker

उन्हें हमसे अगर प्यार ही नही तो जबर्दस्ती कैसी।।

अगर जबर्दस्ती है तो हमारी हस्ती कैसी।। #हस्ती

Manmohan Dheer

हस्ती

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अपनी हस्ती मिटा के सिकंदर ने क्या पाया था
आधी दुनिया जीत फिर खाली हाथ गवांया था
जो तुम सरहद सरहद खेल रहे हो इस टुकड़े पर
बस एक छोटे से ज़लज़ले में ऊपर आया था
डूब भी जाएगा इक दिन बदन की गर्मी जो बढ़ी
बहुत ठंडे दिमाग से किसी ने इसे बसाया था
आँखें न खुलती हो तो दिमाग तो खोलो जरा
रोटी कपड़ा मकान से जरूरी क्या बोलो ज़रा
कोई रुक कर नही रहा शहर में जाना सबको है
जाएगा इक इक बंदी जो हसीं जेल में आया था

धीर..... हस्ती

S. Bhaskar

हस्ती

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मासूम है नादान है वो सर्द गर्म से अनजान है,
खुशियों की पकड़ते परछाई वो परेशान है,
हमें हर मौसम कुदरत से खतरा रहता है,
देखो इं मासूमों में खुद कुदरत अंदर रहता है,
इनको गर्मी और बरसात की परवाह नहीं रहती, यू
ये कौन है और क्या है कोई थाह नहीं रहती,
ये वो दुखियारे है जो सब हसीं खुशी झेल लेते है,
ये गरीब के बच्चे है ये काटों में खेल लेते है 

तीन पहर का अन्न कहां नसीब इनको होता है,
ये वो है जो हर रात भूखे पेट सोता है,
इनकी ख्वाहिशें सब मज़बूरी में तब्दील होती है,
तंग हालातों में भी माएं कभी धीर नहीं खोती है,
इन को भी सब खबर है कि परिस्थिति कैसी है,
ये खुश है हर हाल में चाहे मंजिलें इनकी कुछ अलग ही हस्ती है। हस्ती

Vijay Sharma

dilip khan anpadh

हस्ती
*****
महज इल्जाम गढ़ने से
समंदर छोटा नही होता
कई सिक्के जमाने मे
सभी खोटा नही होता।।

तुम मुट्ठी भींच तो लोगे
आसमां को झुकाने को
तेरी औकात है कितनी?
धुआं भी हाथ न होगा।

कभी जो शोर करते हो
बगावत की लकीरों पर
महज बदनामियों से क्या
खुदा का खेद जता लोगे?

जमीं पर पांव रखते हो
बड़प्पन खूब गाते हो
जब सांसे छोड़ आओगे
यही सीने लगा लेगा।

जिसे अदना जताते हो
सगा इंसान है कोई
फकत चिंगारियों से क्या
तुम दुनियां जला दोगे?

कभी हुंकार सुनना हो
धरा के छोर पर जाओ
तेरी बुलंद आवाज़ों का
अनुत्तर शोर पाओगे।

अमिट ये छाप होता है
इंसाँ जो संजोता है
फकत तुम नाम गढ़कर क्या
खुदाई को मिटा दोगे??

लिखावट मौन है मेरा
ऊंचाई व्योम में पसरा
तेरे चीखने से क्या
तुम धरती हिला लोगे?

ये दुनियां मंच है ऐसा
कई आए,चल दिये
महज रुतवा दिखाकर क्या
इसे अपना बना लोगे??

कफन से वास्ता तेरा
कफन से वास्ता मेरा
तुम ऊंचे घर मे रहकर क्या
मेरी हस्ती मिटा दोगे??

दिलीप कुमार खां""""अनपढ़"" #हस्ती

arvind bhanwra

हस्ती

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कहकहो की है दुनिया,                                     कहकहो से चलती है,                              अपनी तो शुरत ही नामुराद है,                      फिर अपनी यन्हा....क्या हस्ती है ।                   arvind bhanwra हस्ती
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