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R...anu
अब ये आरोग्य सेतू भी ना जले पर नमक छिड़क रहा है.... लॉकडाउन हुए डेढ़ महीना हो गया, लेकिन पूछता है पिछले 28-45 दिन में कोई विदेश यात्रा की ? अबे 54 दिन से पडोसयात्रा नहीं हुई है....😞 तू विदेशयात्रा की पूछ रहा है आरोग्य सेतू....
आरोग्य सेतू....
read moreमैत्रेय
#भरती समुद्रावरून येणारा अंगाशी सलगी करणारा सुखद वारा, पार्श्वभूमीला समुद्राची बेधुंद करणारी गाज आणि सोबतीला तो, ती त्याला अशी काही बिलगली होती जसं काही एकच कुडी होती ती. सगळं कसं स्वप्नवत वाटत होतं तिला.ती आणि तो बराच काळ असेच चालत राहिले, निःशब्द, बराच काळ चालल्यावर ती भानावर आली तर तो नव्हताच कुठेही. म्हणून तिने मागे वळून पाहिलं तर तिच्या एकटीच्याच पाऊलखुणा उमटल्या होत्या तिथल्या रेतीत. आज बरोबर सहा महिने झाले त्याला जाऊन.तिच्या डोळ्यातली लाट हलकेच जाऊन धडकली किनाऱ्याला आणि समुद्राला भरती आली. मैत्रेय(अंबादास) #भरती
रामसेवक मीना
"आजकल, प्यार में प्यार का मज़मून नहीं है, लोग हसरतें तो पूरी कर रहें हैं, पर सुकून नहीं है।" ........ ✍️'सेवक' ©रामसेवक मीना #सेवक
रामसेवक मीना
"सपना, जो सोच से थोड़ा बड़ा हो गया, तो सफर सामने आकर खड़ा हो गया, पहले जैसी अब वो रातों में आती ही नहीं, लगता है नींद का रात से झगड़ा हो गया।" ......... ✍️'सेवक' ©रामसेवक मीना सेवक
सेवक
read moreManish Kumar Savita
गर सभी सफेद पोशाक वाले जनता के सेवक होते तो यकीन मानो गरीबों तुम लोग पैदल न चल रहे होते।। #Manish Kumar Savita #सेवक
Dr. Sunil Haridas
ज्याप्रमाणे आपण म्हणतो *"जगा आणि जगु द्या"* तसं आज देशासाठी नव्हे तर जगासाठी घरी बसुन कार्य करण्याची सुवर्णसंधी आहे. *कोरोना* या महामारीच्या लोकजागृतीसाठी *"आपण घरी बसा इतरांना घरी बसायचे सांगा"* एवढे जरी महान कार्य केले तरी आजचा *"जागतिक आरोग्य दिन"* सफल झाला असे म्हणायला हरकत नाही. *जागतीक आरोग्य दिनाच्या सर्वांना हार्दीक शुभेच्छा* डॉ.सुनिल हरिदास बीड जागतीक आरोग्य दिन
जागतीक आरोग्य दिन
read moreShreya Joshi
एक गांव में एक किसान अपने चार बेटों के साथ रहता था. उसके पास खेत का एक छोटा टुकड़ा था.जिस पर कड़ी मेहनत करने के बाद भी ज्यादा अनाज उत्पन्न नहीं होता था.उसके चारों बेटे भी उसकी मदद किया करते थे. पर फिर भी मेहनत के अनुरूप अनाज नहीं मिलता था. पर जो भी उगता था, उसे बेचकर जो पैसे मिलते उनसे घर चलाना मुश्किल था. इसलिए वह दूसरों के खेतों में भी काम किया करता था ,जिससे घर आसानी से चल सके. उसका सबसे छोटा बेटा सोहन बचपन से ही शिव जी का भक्त था, पर घर की आर्थिक स्थिति बहुत सुदृढ़ ना होने के कारण वह कोई मूर्ति खरीदने के बजाय, अपने खेत की मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा पूरी श्रद्धा से किया करता था. खेत में काम करना हो या फिर कहीं और वह निरंतर शिव नाम का जाप किया करता था. उसकी इस श्रद्धा को देखकर शिव जी ने प्रसन्न होकर उसे एक वरदान देने का निश्चय किया पर उससे पहले वे उसकी ईमानदारी की परीक्षा लेना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उसके खेत में कुछ सोने के सिक्के बिखेर दिए, और उसकी प्रतिक्रिया जानने के लिए अपनी शक्ति से कुछ ऐसा कर दिया की सिक्के केवल उसे ही दिखाई दें वह सुबह जब खेत में आया तब सिक्के देखकर आश्चर्यचकित रह गया, पर उन सिक्कों को हाथ नहीं लगाया और शिव जी का नाम जपता हुआ अपने काम में लग गया.उस रात शिवजी उसके सपने में आए और उन सिक्कों को हाथ ना लगाने का कारण पूछा तब उसने कहा कि प्रभु! आपकी कृपा से मेहनत के फल स्वरुप खाने भर को अनाज मिल जाता है, और मेरे मन में सोने चांदी की लालच नहीं है. और जिस वस्तु की मुझे आवश्यकता नहीं होती मैं उसे हाथ नहीं लगाता शिवजी उसकी भक्ति से तो पहले ही प्रसन्न थे अब उसकी इमानदारी से भी प्रभावित हो चुके थे.और उससे एक वरदान मांगने को कहा उसने कहा प्रभु मैं केवल इतना चाहता हूं की जिस पंडिका को आपका स्वरूप मानकर पूजता हूं,आप उस में विराजमान हो जाए ताकि मैं साक्षात आपकी सेवा कर सकूं. शिव जी तथास्तु कह कर चले गए वह सब जब सुबह उठे तो देखा कि झोपड़ी एक सुंदर बंगले में बदल गई है.घर के उस कोने में जहां सोहन पूजा किया करता था,वहां एक सुंदर मंदिर बन गया है. यह सब देखा तब सोहन ने सबको अपने सपने के बारे में बताया तब सब ने हर हर महादेव के घोष के साथ गांव में भंडारा करने का निश्चय किया. भक्तों के निश्चल भक्ति के आगे ईश्वर को भी झुकना पड़ता है. © kalyani ©Shreya Joshi शिव सेवक
शिव सेवक
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