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Vikas Sharma Shivaaya'
पतिबरता मैली भली-गले कांच की पोत । सब सखियन मे यो दीपै-ज्यो रवि शीश की जोत ।। संत कबीर जी कहते है कि यदि कोई स्त्री पति व्रता है - तो फिर चाहे उसके गले में सुहाग के नाम पर सिर्फ धागे की एक माला हो या वो तन से मैली भी है, फिर भी वो अपने सभी सखी सहेलियो में सूर्य के किरण सामान चमकती है अथार्त जो स्त्री पतिव्रता है उसे सुन्दर दिखने के लिए किसी भी गहने या बाहरी श्रृंगार की आवश्कता नहीं है। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' पतिव्रता
पतिव्रता
read moreAjay Shrivastava
Girl quotes in Hindi आनंद का समय था वही, ईश्वरीय गुणों से जिसकी रचना हुई। स्नेह के सभी भावों से युक्त, प्रकृति की अलंकृत संरचना हुई। जब हुई थी वह उसके परिवार में, लक्ष्मी का संदर्भ दिया था सबने। हताश मन से समाज को, बस वह सोचे जा रही है। क्या देवी का संदर्भ, सच में समाज समझ पा रहा है। पल पल बढ़ती हुई वह, अपने कष्ट को सोच रही है। समाज के रूढ़िवादी दृष्टिकोण को, वह अब समझ रही है। त्रेता में सीता, द्वापर में द्रौपदी ! सबका हाल सोच रही है। कलयुग के समाज के आईने में, स्वयं का प्रतिबिंब देख रही है। लक्ष्मी का संदर्भ पाकर, क्यों वह अब कोसे जा रही है। आखिर झूठे सम्मान का भाव दिखा कर, वो छली जा रही है। समाज की विषमता को समझकर, वो बस लड़ती जा रही है। अपनी इच्छाओं को दबा कर, वह जीवन पार की जा रही है। उसकी इच्छाओं का वास्तविक सम्मान कर, वह आस लगाए जा रही है। अपने विचारों में उलझकर, वह हताश हुई जा रही है। भविष्य की चिंता में, न वह बढ़ पा रही है। समाज के विभिन्न प्रसंगों से, अपमानित हुई जा रही है। चरित्र की पराकाष्ठा का प्रमाण, प्रत्येक क्षण दिए जा रही है। लक्ष्मी के संदर्भ की आस का, आशय में मन में संजोए जा रही है। आकाश से ऊंचे गौरवगान के लिए, स्वर दिए जा रही है। बस बढ़कर कुछ कर पायें, वह दिखाने का संकल्प लिए जा रही है। लक्ष्मी, अहिल्या आदि के चरित्र प्रमाणों से, खुद को दृढ़ किए जा रही है। ©Ajay Shrivastava स्त्री- एक स्पर्श और एक स्पर्श पहचान
स्त्री- एक स्पर्श और एक स्पर्श पहचान
read more'आज़ाद' कलम
पहचान करो उचित की पहचान करो मुहब्बत की। ना चरित्र की पहचान करो।। पहचान करो आत्मा की। ना कलेवर की पहचान करो।। पहचान करो गुणों की। ना शब्दों की पहचान करो।।
पहचान करो मुहब्बत की। ना चरित्र की पहचान करो।। पहचान करो आत्मा की। ना कलेवर की पहचान करो।। पहचान करो गुणों की। ना शब्दों की पहचान करो।।
read moreSatish Kumar Meena
स्त्री की परिभाषा सही मायने में यह है कि अपने सामर्थ्य से सहनशीलता के साथ अपनों के सेवाभाव में प्रगति के पथ पर लक्ष्मी जी की तरह परिवार का उत्थान करें वो स्त्री है। ©Satish Kumar Meena स्त्री की परिभाषा
स्त्री की परिभाषा
read moreparitosh@run
कोई स्त्री जितनी उलझी हुई प्रतीत होती है उतनी वास्तव में होती है नहीं, या यूं कहा जाए कि हर स्त्री को समझना बहुत आसान है, स्त्री बहुत सरल है, बस आप 'सरल' बन जाइये स्त्री समझ आ जाएगी। उसमें कोई दिखावा नहीं होता है, कोई आडम्बर नहीं होता है,कोई स्वार्थ नहीं होता है,वो हर तरह से बस वास्तविक होती है, स्वच्छ होती है, सरल होती है। विश्व की हर स्त्री हृदय से एक जैसी ही है फिर वो कितनी भी आधुनिक संस्कृति की ही क्यों न हो। उलझा हुआ तो पुरुष है, वो बहोत हद तक काल्पनिक हो चुका है, अस्थिर मन का गुलाम हो चुका है, यदि पुरुष अपने मन को मात्र सरल बना ले तो सारी बुराइयां ही खत्म हो जाए जो स्त्री को लेकर उसके मन में होती हैं। यदि वो स्वयं 'सरल 'हो जाए तो बहोत आसानी से एक स्त्री के अंतर्मन को समझ सकता है। क्योकि स्त्री को समझने के लिए सरल होना ही आवश्यक है। "वास्तव में स्त्री एक खुली हुई किताब है उसे पढ़ने की बस शर्त ये है कि उसमें लिखी भाषा को पढ़ना जानते हो। एक ऐसी भाषा जिसे सिर्फ वही पढ़ और समझ सकता है जो उसे स्नेह के साथ-साथ सम्मान देना जनता हो।" _paritosh@run स्त्री की सरलता...
स्त्री की सरलता...
read moremamta jaiswal
फ़ितरत (स्त्री की) हमने माफ करना अपनी फ़ितरत बना ली है,वरना गलती की सजा देने का हक़ हमें भी है। 😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔 ©sneha jaiswal #फ़ितरत (स्त्री की)
#फ़ितरत (स्त्री की)
read moreMamta kumari
Young and Beautiful स्त्री की त्वचा कोमल और सरल होती है और गुलाब की पंखुड़ी सी नाज़ुक होती है इनकी यही बात सभी को भा जाती है और आस-पास के वातावरण को खुशहाल करती रहती है । इसीलिए तो स्त्री को अन्नपूर्णा कहलाती है । स्त्री की सुंदरता ।
स्त्री की सुंदरता ।
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