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Rimjhim
White किसी भी पुरुष के लिए शायद..... खुबसूरत औरत इतनी मायने नहीं रखती, जितनी उसकी पसंदीदा औरत रखती है!! ©Rimjhim किसी भी पुरुष के लिए 🥀💕🧿
किसी भी पुरुष के लिए 🥀💕🧿
read moreAnuradha T Gautam 6280
विध्वंस
White स्त्री को समझाना शायद मुश्किल हो परंतु पुरुष को समझने की मंशा नहीं रखता समाज💔 ©Basdillachchahai #love_shayari स्त्री को समझाना शायद मुश्किल हो परंतु पुरुष को समझने की मंशा नहीं रखता समाज💔 आज का विचार सुप्रभात अनमोल विचार बेस्ट सुव
#love_shayari स्त्री को समझाना शायद मुश्किल हो परंतु पुरुष को समझने की मंशा नहीं रखता समाज💔 आज का विचार सुप्रभात अनमोल विचार बेस्ट सुव
read moreSatish Kumar Meena
White स्त्री का दर्जा समाज में भले ही कम हो पर पुरुष को बल और सहयोग स्त्री से ही मिलता है इस प्रकार दोनों को ही बराबर महत्व देना स्वीकार्य होना चाहिए। ©Satish Kumar Meena स्त्री और पुरुष
स्त्री और पुरुष
read morezindagi ko aawaz
आखिर कैसे मालूम चलेगा कि कोई पुरुष सही है या गलत?? 🌻❤️ urdu poetry poetry poetry in hindi poetry quotes hindi poetry
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
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White छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की पुलिस इतनी बेकार हो चुकी है की क्या बोला जाए। एक महिला और एक पुरुष थाने मे जाते है। महिला ने थाने के (Ghanshyam sahu) जो की एक फुल वाला पुलिस कर्मी है। वो पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोला की तुम बेकुफ और चुतीया इन्सान हो। ये कहेना है उस पुलिस कर्मी का जिसका नाम है (ghanshyam sahu) है। ये पुलिस कर्मी का कार्य नही होता है। दोनो पक्ष की बात सुनकर फैसला देना चाहिए। लेकिन ये पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोलता है की तेरे उपर (fir) दर्ज़ कर के जेल भेजूगा। लेकिन ये पुलिस कर्मी जिस पुरुष को ये सब बोल रहा है वो ये नही जानता है की वो पुरुष एक पत्रकार है। वो इसकी बात को क्यु चुप चाप से सुन रहा था। अब आप ही देखीये की पुलिस कर्मी किस प्रकार से अपना कार्य कर रहे है। ये पुलिस कर्मी (ghamshayam sahu) अपने आप को थाना प्रभारी समझने लगते है। ©amnewsnational छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प
छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प
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छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की पुलिस इतनी बेकार हो चुकी है की क्या बोला जाए। एक महिला और एक पुरुष थाने मे जाते है। महिला ने थाने के (Ghanshyam sahu) जो की एक फुल वाला पुलिस कर्मी है। वो पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोला की तुम बेकुफ और चुतीया इन्सान हो। ये कहेना है उस पुलिस कर्मी का जिसका नाम है (ghanshyam sahu) है। ये पुलिस कर्मी का कार्य नही होता है। दोनो पक्ष की बात सुनकर फैसला देना चाहिए। लेकिन ये पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोलता है की तेरे उपर (fir) दर्ज़ कर के जेल भेजूगा। लेकिन ये पुलिस कर्मी जिस पुरुष को ये सब बोल रहा है वो ये नही जानता है की वो पुरुष एक पत्रकार है। वो इसकी बात को क्यु चुप चाप से सुन रहा था। अब आप ही देखीये की पुलिस कर्मी किस प्रकार से अपना कार्य कर रहे है। ये पुलिस कर्मी (ghamshayam sahu) अपने आप को थाना प्रभारी समझने लगते है। ©amnewsnational छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प
छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- आजादी के दीवानों का , आज देख लो मेला । एक हाथ में लिए तिरंगा , बढ़ता जाये ठेला ।। आजादी के दीवानों का... जिनके पैरो से चलकर कल , घर आजादी आई । याद करूँ उन वीर पुरुष को , जिसने हमें दिलाई ।। वो भी भारत माँ के बेटे , अपने दादा भाई । पढ़ लूँ मैं इतिहास पुराना , कैसे दुख को झेला ।। आजादी के दीवानों का... क्यों सहना अन्याय किसी का , बनें आज फौलादी । डटकर करें सामना अब जो , दिखे आतंकवादी ।। हम हैं वीर बहादुर बेटे , क्यों उनसे घबराना । कदम बढ़ाकर याद दिला दें , कैसे उसे धकेला ।। आजादी के दीवानों का... अभी अगर आ जाये दुश्मन , हाजिर जान हमारी । मुझको इन प्राणो से पहले , भारत माँ है प्यारी ।। जिसकी रक्षा का अब सुन लो , है दायित्व हमारा । लेकिन धोखे में मत रहना , मैं हूँ यहाँ अकेला ।। आजादी के दीवानों का ... आजादी के दीवानों का , आज देख लो मेला । एक हाथ में लिए तिरंगा , बढ़ता जाये ठेला ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- आजादी के दीवानों का , आज देख लो मेला । एक हाथ में लिए तिरंगा , बढ़ता जाये ठेला ।। आजादी के दीवानों का... जिनके पैरो से चलकर कल , घर
गीत :- आजादी के दीवानों का , आज देख लो मेला । एक हाथ में लिए तिरंगा , बढ़ता जाये ठेला ।। आजादी के दीवानों का... जिनके पैरो से चलकर कल , घर
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