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Rahul Raj Patel
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!! फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!! नहीं जरूरत, बूढ़ों की अब, हर बच्चा, बुद्धिमान बहुत है!! उजड़ गए, सब बाग बगीचे, दो गमलों में, शान बहुत है!! मट्ठा, दही, नहीं खाते हैं, कहते हैं, ज़ुकाम बहुत है!! पीते हैं, जब चाय, तब कहीं, कहते हैं, आराम बहुत है!! बंद हो गई, चिट्ठी, पत्री, व्हाट्सएप पर, पैगाम बहुत है!! झुके-झुके, स्कूली बच्चे,बस्तों में, सामान बहुत है!! नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!! सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!! ©Rahul Raj Patel "अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!! #rahul #kishan karn #nandkishor
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!! #Rahul #kishan karn #Nandkishor
read moreF M POETRY
White जब छत पे तुम आ जाते हो ज़ुल्फ़ों को बिखेरे.. चाँद आता है दीदार ही करने को तुम्हारे.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #जब छत पे तुम....
#जब छत पे तुम....
read moreF M POETRY
White छिप भी जाता है नज़र आता है.. चाँद है हुश्न पे इतराता है.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY #चाँद है हुश्न पे इतराता है....
#चाँद है हुश्न पे इतराता है....
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White पता न पूछिये मुझ जैसे ग़म के मारे का.. नयी सड़क पे पुराना मक़ान है मेरा.. यूसुफ आर खान.... ©F M POETRY #नयी सड़क पे पुराना मक़ान...
#नयी सड़क पे पुराना मक़ान...
read moreF M POETRY
White उड़ जायेंगे तस्वीर से रंगों की तरह हम.. हम वक़्त की टहनी पे परिंदों की तरह हैँ.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY #हम वक़्त की टहनी पे..
#हम वक़्त की टहनी पे..
read morePoonam Archana Singh
इन उम्र से लंबी सड़कों को मंज़िल पे पहुंचते देखा नहीं, बस दौड़ती फिरती रहती हैं हमने तो ठहरते देखा नहीं.... ❤️ nojoto #nojotoshayari gulza
read moreAnant Nag Chandan
रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत ©Anant Nag Chandan रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत
रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत
read moreJashvant
White क़रीब मौत खड़ी है ज़रा ठहर जाओ क़ज़ा से आँख लड़ी है ज़रा ठहर जाओ थकी थकी सी फ़ज़ाएँ बुझे बुझे तारे बड़ी उदास घड़ी है ज़रा ठहर जाओ नहीं उमीद कि हम आज की सहर देखें ये रात हम पे कड़ी है ज़रा ठहर जाओ अभी न जाओ कि तारों का दिल धड़कता है तमाम रात पड़ी है ज़रा ठहर जाओ फिर इस के बा'द कभी हम न तुम को रोकेंगे लबों पे साँस अड़ी है ज़रा ठहर जाओ दम-ए-फ़िराक़ मैं जी भर के तुम को देख तो लूँ ये फ़ैसले की घड़ी है ज़रा ठहर जाओ ©Jashvant लबों पे सांस अड़ी है
लबों पे सांस अड़ी है
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