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Parasram Arora
मेरी चेतना की छिपी हुई तहो. मे वो तमाम घुटन पीड़ा की वृहद अभिव्यक्तिया व्यग्र है आतुर है बाहर आने क़े लिए और वे कदाचित साक्षातकार करना चाहती है अपनी सार्थकता पर प्रश्न चिह्न लगने से पहले सोचता हूँ क्या होगा मेरा उत्तर. उन सवालों पर ज़ब वे सामना करेंगी मेरे ही पूछे गए प्रश्नों का? साक्षात्कार........
साक्षात्कार........
read moreHP
प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का निवास है। इस घट-घट वासी परमात्मा का जो दर्शन कर सके समझना चाहिए कि उसे ईश्वर का साक्षात्कार हो चुका। साक्षात्कार
साक्षात्कार
read morePoonam Mehta
*साक्षात्कार* बड़ी दौड़ धूप के बाद , मैं आज एक ऑफिस में पहुंचा।आज मेरा पहला इंटरव्यू था , घर से निकलते हुए मैं सोच रहा था, काश ! इंटरव्यू में आज कामयाब हो गया , तो अपने पुश्तैनी मकान को अलविदा कहकर यहीं शहर में सेटल हो जाऊंगा, मम्मी पापा की रोज़ की चिक चिक, मग़जमारी से छुटकारा मिल जायेगा । सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक होने वाली चिक चिक से परेशान हो गया हूँ ।जब सो कर उठो , तो पहले बिस्तर ठीक करो , फिर बाथरूम जाओ, बाथरूम से निकलो तो फरमान जारी होता है*नल बंद कर दिया?**तौलिया सही जगह रखा या यूँ ही फेंक दिया?* नाश्ता करके घर से निकलो तो डांट पडती है *पंखा बंद किया या चल रहा है?* क्या - क्या सुनें यार , *नौकरी मिले तो घर छोड़ दूंगा. उस ऑफिस में बहुत सारे उम्मीदवार बैठेथे , बॉस का इंतज़ार कर रहे थे ।दस बज गए । मैने देखा वहाँ आफिस में बरामदे की बत्ती अभी तक जल रही है , *माँ याद आ गई* , तो मैने बत्ती बुझा दी ।ऑफिस में रखे *वाटर कूलर से पानी टपक रहा था* , पापा की डांट याद आ गयी , तो *पानी बन्द कर दिया ।*बोर्ड पर लिखा था , इंटरव्यू दूसरी मंज़िल पर होगा । *सीढ़ी की लाइट भी जल रही थी* , बंद करके आगे बढ़ा , तो एक कुर्सी रास्ते में थी , *उसे हटाकर ऊपर गया* । 🌷देखा पहले से मौजूद उम्मीदवार जाते और फ़ौरन बाहर आते , पता किया तो मालूम हुआ बॉस फाइल लेकर कुछ पूछते नहीं , वापस भेज देते हैं ।🌷नंबर आने पर मैने फाइल मैनेजर की तरफ बढ़ा दी ।कागज़ात पर नज़र दौडाने के बाद उन्होंने कहा *"कब ज्वाइन कर रहे हो?"* उनके सवाल से मुझे यूँ लगा जैसे मज़ाक़ हो , वो मेरा चेहरा देखकर कहने लगे , *ये मज़ाक़ नहीं हक़ीक़त है ।* आज के इंटरव्यू में किसी से कुछ पूछा ही नहीं , *सिर्फ CCTV में सबका बर्ताव देखा* , *सब आये लेकिन किसी ने नल या लाइट बंद नहीं किया ।* *धन्य हैं तुम्हारे माँ बाप , जिन्होंने तुम्हारी इतनी अच्छी परवरिश की और अच्छे संस्कार दिए ।* *जिस इंसान के पास Self discipline नहीं वो चाहे कितना भी होशियार और चालाक हो , मैनेजमेंट और ज़िन्दगी की दौड़ धूप में कामयाब नहीं हो सकता ।*घर पहुंचकर मम्मी पापा को गले लगाया और उनसे माफ़ी मांगकर उनका शुक्रिया अदा किया । *अपनी ज़िन्दगी की आजमाइश में उनकी छोटी छोटी बातों पर रोकने और टोकने से , मुझे जो सबक़ हासिल हुआ , उसके मुक़ाबले , मेरे डिग्री की कोई हैसियत नहीं थी और पता चला ज़िन्दगी के मुक़ाबले में सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं , तहज़ीब और संस्कार का भी अपना मक़ाम है...*संसार में जीने के लिए संस्कार जरूरी है । संस्कार के लिए मां बाप का सम्मान जरूरी है । *जिन्दगी रहे ना रहे , जीवित रहने का स्वाभिमान जरूरी है ।*पोस्ट अच्छी लगे तो, आगे बढ़ाने में हर्ज़ नही है । दो कदम यथार्थ की ओर। 🙏🙏🙏🙏 साक्षात्कार
साक्षात्कार
read moreBabli BhatiBaisla
खुले किवाड़ सत्य साक्ष्यों के तथ्यों से साक्षात्कार हुआ खुल गई कलई महान महात्मा के महात्म्य की दिखा नहीं कहीं जिन्न से भी कहां कोई चमत्कार हुआ नहर में बह रहे उ पप्पू का अजब गजब सा हाल हुआ कैंब्रिज आक्सफोर्ड में पढ़कर भी तो रहे बेहद कमजोर भारत के ही ऋतुराज ने गूगल हिला दिया एक रोज अंग्रेजी में ही सीख लेते हिंदी और थोड़ी संस्कृति भी जो राजा क्या राज़ की नीति क्या भव्य प्रीति से सिखाते तुमको बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla साक्षात्कार
साक्षात्कार
read moresurajkumaregoswami
*पुस्तक वाचताना* *आवडलेली अंडर* *लाईन केलेली ओळ* *पुस्तकात बंद होते वाचून* *झाल्यावर* *हे गणित असेच आहे* *जगण्याचे रोज हजारो* *विचारांच्या गर्दीत विरगळून* *जाते नेकमे स्वतःच्या हितासाठी* *एक,स्वप्नं ठरवलेले* *एकांती ध्यानात मग्न होता* *व्हावा साक्षात्कार* *जिवाशिवाचा गोंधळ सारा* *शांत झाल्यावर शोधावे* *स्वतः ला आत्मा एकरूप* *झाल्यावर* . ©surajkumaregoswami साक्षात्कार
साक्षात्कार
read moreDwipen Shah
पिंजरे के भीतर हु, वहां भी बंधी हु हवा भी बड़ी सिसक सिसक के आती हैं मेरे क़ैद खाने मैं इतना की, सिर्फ मरने नहीं देती अपने सपनों को पूरा करने निकली थी कब दूसरों की उम्मीदों पे चलने लगी, पता ही नहीं चला मेरी भूल हैं किसी और का दोष नहीं जब खुद की अहमियत अपनी नजरो मैं ना हो तो औरों की तारीफों के मोहताज हो ही जाते हैं और अपना अस्तित्व खो देते हैं आज एक रोशनी की किरण मेरे मन के इस कैद खाने मैं कहीं से आयी हैं थोड़ा ही सही, खुद से बहुत दिनों बाद मुलाकात हुई हैं अह्सास हुआ, इतनी भी बूरी नहीं मैं, ©Dwipen Shah साक्षात्कार #WalkingInWoods
साक्षात्कार #WalkingInWoods
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