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نمیش
सजन वे करण वरण हरण न ते पर शरण तरण धरण करण करना तरण उबरना वरण चयन करना हरण छीनना धरण धरना
करण करना तरण उबरना वरण चयन करना हरण छीनना धरण धरना
read moreSURAJ आफताबी
ब्याह के रख ले मुझे तू काजल से अपने ये आंखें एक युग से दूजे युग का तरण है तेरे गीले गेशुओं की बूंदों के सावन में है मुकम्मल जीवन तेरा तौलिये से झटक कर इन्हें जुदा करना भी मुकम्मल मरण है ! चाहे निस्तेज हो गई हो मेरी कलम की नोक भले या बुझ गई हो स्मृतियों की फड़फड़ाती जोत भले मगर धड़कनों की आरतियों की वंदना अब भी तुम्हारे चरण है कभी अपनी अंजुरियों में हीना सजाई होगी तो गौर किया होगा अब भी वहीं मौजूद हमारी दो कुंवारी भावनाओं का वरण है ! तुम्हारी स्मित रेखा में बांध थी अपनी तरूणाई कभी जो होंठ तुम्हारे खिले तो जुड़े मुझमें तरूण जिंदगी, जो आंसू से भीगे होंठ तो भरे यौवन में भी जरण है तेरे गीले गेशुओं की बूंदों के सावन में है मुकम्मल जीवन तेरा तौलिये से झटक कर इन्हें जुदा करना भी मुकम्मल मरण है ! तरण - पार जाना वरण - चयन, चुनाव जरण - क्षीणता, वृध्द #कविताएँज़िंदारहतीहैं #कविता #yqbaba #yqdidi #yqhindi
तरण - पार जाना वरण - चयन, चुनाव जरण - क्षीणता, वृध्द #कविताएँज़िंदारहतीहैं #कविता #yqbaba #yqdidi #yqhindi
read moresandy
।।जाणो सद्गुरुपाय आम्ही।गुरुचरणाविण या भवसागरी।नाही तरणोपाय।। प. पू. गुरूदेवता श्री कलावतीमाता की जय..!!👏 सर्वांना आई कडून कोजागिरीच्या खूप
।।जाणो सद्गुरुपाय आम्ही।गुरुचरणाविण या भवसागरी।नाही तरणोपाय।। प. पू. गुरूदेवता श्री कलावतीमाता की जय..!!👏 सर्वांना आई कडून कोजागिरीच्या खूप
read moreAlok Vishwakarma "आर्ष"
सांझ ढल रवि दिन उगे, मधु नींद से सोवत जगे । मननन विवेच लिखन छके, हिलमिल जिवन चल तन थके ।। स्वर काव्य के तव गावती, चित प्यास पढ़त बुझावती । आलोक के एकात्म में, अवचेत तरण समावती ।। As you retire to your subconscious, I try depicting the phenomenon in the way I do.. deepti T Much Love 😍🐝😍 मननन - मनन कर के विवेच - विवेच
As you retire to your subconscious, I try depicting the phenomenon in the way I do.. deepti T Much Love 😍🐝😍 मननन - मनन कर के विवेच - विवेच
read moreअबोध_मन//फरीदा
. . ©अबोध_मन//फरीदा निर्झर लोचन, करे करुण क्रंदन, रुग्ण सी लागे काया, जग ने कैसा भरमाया.? मन पावन, कुछ है अनमन, कोई समझ न पाया,
निर्झर लोचन, करे करुण क्रंदन, रुग्ण सी लागे काया, जग ने कैसा भरमाया.? मन पावन, कुछ है अनमन, कोई समझ न पाया,
read moreParamjeet kaur Mehra
कविताओं द्वारा बोलता है जिस कारण से प्रसिद्ध कवि कहलाता है परंतु वह स्वयं कविर्देव पूर्ण परमात्मा ही होता है। हाड चाम लहू नहीं मेरे, कोई जान
read moreअबोध_मन//फरीदा
. . ©अबोध_मन//फरीदा निर्झर लोचन, करे करुण क्रंदन, रुग्ण सी लागे काया, जग ने कैसा भरमाया.? मन पावन, कुछ है अनमन, कोई समझ न पाया,
निर्झर लोचन, करे करुण क्रंदन, रुग्ण सी लागे काया, जग ने कैसा भरमाया.? मन पावन, कुछ है अनमन, कोई समझ न पाया,
read moreश्री सबरी भजन मंडल
मन रे परसि हरिके चरण। सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण। जिण चरण प्रहलाद परसे इंद्र पदवी धरण॥ जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे राख अपनी सरण। जिण चरण ब्रह्मांड भेटयो नखसिखां सिर धरण॥ जिण चरण प्रभु परसि लीने तेरी गोतम घरण। जिण चरण कालीनाग नाथ्यो गोप लीला-करण॥ जिण चरण गोबरधन धार।ह्यो गर्व मघवा हरण। दासि मीरा लाल गिरधर अगम तारण तरण॥ ©श्री सबरी भजन मंडल 🙏🌹मन रे परसि हरिके चरण। सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण। जिण चरण प्रहलाद परसे इंद्र पदवी धरण॥ जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे राख अपनी सरण।
🙏🌹मन रे परसि हरिके चरण। सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण। जिण चरण प्रहलाद परसे इंद्र पदवी धरण॥ जिण चरण ध्रुव अटल कीन्हे राख अपनी सरण।
read moreSangeeta Kalbhor
लढले वेडे वेडात अडकून.. सहजासहजी नाही मिळालं नाही कोणी दान केलं मिळवण्या स्वातंत्र्य शहीदांनी होतं जीवाचं रान केलं सुकुमार तरणीबांड पोर त्याग करती घरादाराचा देशभक्ती रक्तात भिनवून टिळा लावती मरणाचा लढले वेडे वेडात अडकून धुमाकूळ असे हा जगण्याचा लपती छपती क्षणात उसळती डाव जणू खेळला आयुष्याचा भगतसिंग राजगुरू सुखदेव हसत हसत फासावर चढले मायभूमीच्या रक्षणासाठी कोवळ्या वयात लढले स्वतंत्र भारताची राज्यघटना स्वीकारला तो हाच दिवस भारतीयांच्या सुटकेचा फेडिला कित्येक शूरवीरांनी नवस..... मी माझी..... 14/09/2023 ©Sangeeta Kalbhor #Chhuan लढले वेडे वेडात अडकून.. सहजासहजी नाही मिळालं नाही कोणी दान केलं मिळवण्या स्वातंत्र्य शहीदांनी होतं जीवाचं रान केलं सुकुमार तरणीबांड
#Chhuan लढले वेडे वेडात अडकून.. सहजासहजी नाही मिळालं नाही कोणी दान केलं मिळवण्या स्वातंत्र्य शहीदांनी होतं जीवाचं रान केलं सुकुमार तरणीबांड
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