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Dilip Singh Harpreet
*आरती बूंदी दरबार श्री सूरजमल हाड़ा की* *(बाबोसा/भोमियां/ झुॅंझार जी महाराज)* ऊॅं जय श्री सूरजमल, देवा जय श्री सूरजमल आरती की बेला पधारो, धूप की बेला पधारो संग लाओ मात सत्ती .. ऊॅं जय श्री सूरजमल।। दास नारायण का सुत छो-2 मात छै राणी खेतु ओ देवा मात छै राणी खेतु.. ऊॅं जय श्री सूरजमल । आप देव भोमिया छो - 2 धन्न हाड़ा राजा ओ देवा धन्न हाड़ा राजा ….ऊॅं जय श्री सूरजमल । असव असवारी छवि न्यारी -2 चित्त राजी हो जाता …ऊॅं जय श्री सूरजमल । नागराज अवतारी , हाड़ौती धरा उपकारी -2 सिंह संहार कर् यौ ओ देवा सिंह संहार कर् यौ … ऊॅं जय श्री सूरजमल। सूरज - चाॅंद - सितारा - 2 चालै थांकी लारां ओ देवा चालैं थांकी लारां.. ऊॅं जय श्री सूरजमल । कांकड़ मांय बिराजो तुलसी मांय बिराजो जग कल्याण करों … ऊॅं जय श्री सूरजमल। बाजै ढोल मजीरा - 2 बाजै नंगारा ओ देवा बाजै नंगारा.. ऊॅं जय श्री सूरजमल पान सुपारी चढावां, खीर को भोग लगावां लाडू पेड़ा चढावां , ओ देवा मिश्री अर मेवां ... ऊॅं जय श्री सूरजमल। मूरत रूप रूपाळी - 2 ‘हरप्रीत’ मन मौंहे ओ देवा भगतन मन मौंहे… ऊॅं जय श्री सूरजमल। सुमरत जो सूरजमल, सुमरत जो भोमियां जी सुख सम्पत्त हौंवे, वांकै कुळ आणंद हौंवे।। ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल आरती की बेला पधारो धूप की बेला पधारो संग लाओं मात सत्ती.. ऊॅं जय श्री सूरजमल देवा जय श्री सूरजमल।। ©Dilip Singh Harpreet आरती सूरजमल हाड़ा की #आरती #सूरजमल #हाड़ा #बाबोसा की #दिलीप_सिंह_हरप्रीत #मायड़भासा
आरती सूरजमल हाड़ा की #आरती #सूरजमल #हाड़ा #बाबोसा की #दिलीप_सिंह_हरप्रीत #मायड़भासा
read moreCHOUDHARY HARDIN KUKNA
आदिशक्ति जगत जननी माँ श्री करणी जी महाराज देशनोक मंगला जोत आरती करणी_माता भक्ति Hinduism
read moredeepmala kumari
White जो आप सोचते हो वह कभी नहीं होता है ©deepmala kumari #Ganesh_chaturthi #जग#
Heer
आत्मा की लो को मैं तुम्हारे नाम से शीतल करूं, उत्कंठ श्वास को मैं तुम्हारे दरस से शांत करूं। ©Heer #Fire #लो को शांत करू
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
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