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Rakesh frnds4ever
White बरसों से खटकता रहा हूं जिन आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को, चुभता रहा ना भाया किसी को, आज उनमें और भी ज्यादा चुभने लगा हूं मैं दिल के दरिया का जो पानी सालों से आंखो से बह बह कर सूख चुका, जिसकी तलहटी को खुंद खूंद कर उसकी परतों से खून तक चूस डाला, जो अब बंजर सुनसान परतों की पपड़ी खाक बन कर उड़ती है तो उस धूल से उनकी आंखों में जो हल्की सी परेशानी है ,, वैसा एक कचरा/ तिनका बना हुआ हूं मैं ,,.... ©Rakesh frnds4ever #फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया कि
#फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया कि
read morepuja udeshi
White पाप पहले भी होते थे पर अब पहले से 100 गुना ज्यादा हो रहे हैं कोई सुरक्षित नहीं, पुलिस का कोई डर नहीं, अपराध तो हो ही रहे हैं, बापू के सपने चूर चूर हो रहे quit india moment द्वारा अंग्रेजो क़ो भगाया था अब कौन से movement से अपने ही देश के गद्दारों क़ो भगाए जो अपनी ही माँ बहन की इज्जत नीलम कर रे लूट रहे, अपनी बहन की रक्षा और दूसरे की बहन बेटी का rape कर रहे इस लिए आजाद हुए थे कि अपने ही घर मे डाका डाले इज्जत लुटे शर्म हैं ऐसी मर्द जात पर ऐसे भेडियो पर जो गन्दे हैं waste हैं कचरा हैं हमारे देश के.... थू 🤮 ©puja udeshi #quit_india_movement पाप पहले भी होते थे पर अब पहले से 100 गुना ज्यादा हो रहे हैं कोई सुरक्षित नहीं, पुलिस का कोई डर नहीं, अपराध तो हो ही र
#quit_india_movement पाप पहले भी होते थे पर अब पहले से 100 गुना ज्यादा हो रहे हैं कोई सुरक्षित नहीं, पुलिस का कोई डर नहीं, अपराध तो हो ही र
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है खेत की सारे जुताई दी है गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्ने की पिराई दी है ये रक़म हाथ न ऐसे आयी भर के बोरी आज राई दी है ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो बीच में छोड़ पढ़ाई दी है आज औलाद मज़ा है करती क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है आसमां छू रही मँहगाई को कर में देखा न रिहाई दी है घूस से तोंद उन्हीं की भारी जिनके कपड़ों की सिलाई दी है ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो इसकी हमने ही सिंचाई दी है महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है खेत की सारे जुताई दी है गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्न
ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है खेत की सारे जुताई दी है गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्न
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