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Sarfaraj idrishi
बेशक़ एक वफादार दोस्त दस हजार रिस्तेदारो से बेहतर होता है ©Sarfaraj idrishi #Friendship बेशक एक वफादार दोस्त दस हजार दोस्तो से बेहतर होता है Frame Matter Sethi Ji Ayesha Aarya Singh Suraj Maurya Yadav Ravi Isl
#Friendship बेशक एक वफादार दोस्त दस हजार दोस्तो से बेहतर होता है Frame Matter Sethi Ji Ayesha Aarya Singh Suraj Maurya Yadav Ravi Isl
read moreबेजुबान शायर shivkumar
=============================== समर्पित माॅं चंद्रघंटा की महिममयी कहानी =============================== शिव से विवाह कर महागौरी ने धारी है, माथे पर अर्धचंद्रमाॅं तो कहलाईं चंद्रघंटा। महिषासुर से ब्रह्मा,विष्णु, महेश के कोप, क्रोधाग्नि ऊर्जा से प्रगटी है माॅं चंद्रघंटा।। शिव त्रिशूल,विष्णु चक्र, इंद्र घंटा,सूर्य ने, अपना तेज,तलवार,और सिंह सौंप दिए। माॅंं महिषासुरमर्दिनी आक्राॅंता वध कर, स्वर्ग में देवों के दूर राक्षसी खौप किए।। नवरात्रि तृतीय दिवस माॅंं चन्द्रघंटा की, प्रताप परम शांतिदायक,कल्याणकारी। दस हाथों में खड्ग,बाण, कमल, धनुष, तलवार,त्रिशूल,गदा वअस्त्र-शस्त्र धारी।। नौ रात्रि माॅं की विलक्षण कहानी भक्तों, इस विधि कहलाईं है माॅं शिव पटरानी।। अनन्त-अनादि ब्रम्ह की अद्भुत शक्ति वे, अखण्ड साधना-तपोबल से हुई वरदानी।। माता की अलौकिक स्वरूप दिलाएगी, कलयुगी क्रुर-पापी-पाखण्डि़यों से मुक्ति। सहृदय माॅं की आराधना-साधना करें तो, सुझाऍंगी माता कठिन समय नव युक्ति।। कमल,शंखपुष्पी फूल अर्पित करें माॅंं को, स्वर्णिम आज शास्वत महाशक्ति दायिनी।। चंचल मन राक्षस न बने विकृत हो कर रे, समर्पित माॅं चंद्रघंटा की महिममयी कहानी।। =========================== ©बेजुबान शायर shivkumar #navratri #navratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि Kshitija puja udeshi Sethi Ji Andy Mann mithilani भक्ति गीत भक्ति फिल
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read morechahat
White दस दिन के दस धर्म। सिखाते है कैसे काटे कर्म।। जीवन के चक्र भंवर से। कैसे जाये भव से तर।। क्या रखा है,जीवन में। रे मानव स्व कल्याण कर।। कब तक रहेंगे जीवन में। हम खुद को संवार कर ।। पुण्य कर्म कमा, क्यू ना जीले। अपना आत्मकल्याण कर।। पाप कमाते कितना हम। मान अहंकार में डूब कर। बुरे के साथ बुरा करके हम। क्या पा लेंगे सत धर्म कर।। मन में क्षमादान के भाव रख। मांग क्षमा तू सत्य धर्म कर।। ना रख बैर,न रख अहम। जिसे तू,जो तुझे पसंद नही। ना बैर,ना प्रेम व्यबाहर कर।। मांग ले क्षमा उससे भी हाथ जोड़कर। मन को अपने तू बोझ से हल्का कर।। साधना अपनी पूर्णकर खुद को तपाकर। तोड़ दे अहंकार सारे उत्तम क्षमा मांगकर।। ©chahat दस धर्म......
दस धर्म......
read moreshaanvi
White रात की तन्हाइयों पर ना जा, फिर कल एक नई सुबह आने वाली है, उसका इंतजार कर, थोड़ा और सहन कर, क्योंकि जिंदगी में हर रात के बाद, एक नई सुबह की किरणें आती हैं। तेरी आँखों में आँसू होंगे, पर तू मुस्कराना सीख ले, तू फिर से खड़ा होगा, तू फिर से चलेगा, तेरी जिंदगी की राहों में, एक नया मौका आएगा। तू अपने सपनों को पूरा करेगा, तू अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगा, बस तू हार ना मान, और अपने जीवन को जीना सीख ले। ©shaanvi # नई दिशाएं ✍️👍
# नई दिशाएं ✍️👍
read moreVikas Sahni
White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
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