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Pooja
White सच्ची दोस्ती एक छोटे से गाँव में दो बचपन के दोस्त रहते थे - राज और सुमित। दोनों हमेशा साथ खेलते, पढ़ते और एक-दूसरे के साथ हर सुख-दुख में शामिल होते। उनकी दोस्ती गाँव में सबकी पसंदीदा थी, क्योंकि उनकी दोस्ती में सच्चाई और ईमानदारी थी। एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। राज और सुमित दोनों ने तय किया कि वे मेला देखने जाएंगे। मेला देखने का excitement दोनों को बहुत था, लेकिन रास्ते में एक समस्या आ गई। राज के पास पैसे नहीं थे, और सुमित के पास कुछ ज्यादा थे। सुमित ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने सारे पैसे राज को दे दिए और कहा, "दोस्त, तुम मेरे बिना भी खुश रह सकते हो, लेकिन मैं तुम्हारे बिना खुश नहीं रह सकता। मेला तुम्हारे साथ ही तो अच्छा लगेगा।" राज ने सुमित की बातों को सुना और कहा, "तुम्हारी दोस्ती सबसे बड़ी दौलत है। मैं तुम्हारे बिना कुछ भी नहीं चाहता।" आखिरकार, दोनों ने मिलकर मेला देखा, खेल खेले और खूब मजे किए। उस दिन दोनों को समझ में आ गया कि सच्ची दोस्ती किसी भी चीज़ से बड़ी होती है। सीख: सच्ची दोस्ती में स्वार्थ नहीं होता, बल्कि एक-दूसरे की खुशी में अपना सुख देखा जाता है। ©Pooja #Moral story
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White चमत्कारी बगिया एक छोटे से गांव में एक लड़का था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन बहुत मेहनती था, लेकिन उसे हमेशा लगता था कि उसकी मेहनत का फल बहुत कम मिलता है। एक दिन, उसे गांव के बाहर एक सुनसान बगिया दिखाई दी। यह बगिया बहुत खूबसूरत थी, और वहाँ तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। अर्जुन ने सुना था कि यह बगिया किसी जादुई ताकत से भरी हुई है। अर्जुन ने सोचा, "अगर मैं यहां काम करूं, तो शायद मेरी किस्मत बदल जाए।" उसने अगले दिन बगिया में काम करना शुरू कर दिया। जैसे ही वह बगिया में काम करता, बगिया की मिट्टी से सोने की सिक्के निकलने लगे। अर्जुन बहुत खुश हुआ, लेकिन उसने जल्दी ही महसूस किया कि बगिया का जादू सिर्फ उस पर ही असर नहीं करता। वह जानता था कि अगर वह यहां कुछ भी गलत करेगा, तो बगिया का जादू खत्म हो सकता है। अर्जुन ने तय किया कि वह बगिया का ख्याल बहुत सावधानी से रखेगा। उसने वहां के सभी पौधों की देखभाल की और कोई भी गलती नहीं की। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई और वह गांव का सबसे सुखी और संपन्न व्यक्ति बन गया। लेकिन उसने कभी भी बगिया के जादू का गलत फायदा नहीं उठाया, क्योंकि उसने समझ लिया था कि असली जादू मेहनत और ईमानदारी में ही है। सिख: ईमानदारी और मेहनत से ही सफलता मिलती है, और किसी भी चमत्कारी चीज़ का सही इस्तेमाल करना जरूरी है। ©Pooja #Moral story
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White किस्मत का खेल यह कहानी एक छोटे से गांव के लड़के मोहन की है। मोहन गरीब था, लेकिन उसमें अपार आत्मविश्वास और मेहनत की लगन थी। वह हर रोज़ खेतों में काम करने के बाद, स्कूल जाता और पढ़ाई में भी ध्यान देता। उसकी एक ख्वाहिश थी कि वह बड़ा आदमी बने, ताकि अपने परिवार का नाम रोशन कर सके। गांव में एक दिन मेला लगा। मोहन ने सोचा, "आज कुछ पैसे जीतने की कोशिश करता हूँ।" वह मेला देखने गया और वहां एक खेल की स्टॉल पर रुका। खेल था—"रूपी सिक्का फेंको, सही दिशा में आए तो जीत लो।" मोहन ने बिना ज्यादा सोचे पांच रुपये का सिक्का फेंका। कुछ ही सेकंड में सिक्का सही दिशा में गिरा और वह जीत गया। खुश होकर मोहन ने पुरस्कार के रूप में एक छोटी सी ट्रॉफी ली। तभी उस ट्रॉफी को देखकर पास खड़े एक व्यक्ति ने कहा, "तुमने किस्मत से यह ट्रॉफी जीती है, लेकिन अगर मेहनत से काम करोगे तो सच्ची सफलता तुम्हारी होगी।" मोहन ने उस व्यक्ति की बातों को गंभीरता से लिया और उस दिन से और भी मेहनत करने लगा। उसने अपनी पढ़ाई और खेतों में काम दोनों को अच्छे से संतुलित किया। सालों बाद, मोहन न केवल एक बड़ा व्यापारी बना, बल्कि गांव के बच्चों के लिए एक स्कूल भी खोला। वह जानता था कि किस्मत एक बार मदद करती है, लेकिन असली सफलता मेहनत और समर्पण से मिलती है। ©Pooja #Moral story
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White छोटी कहानी: एक अनोखी मित्रता एक गाँव में मोहन नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ही चंचल और खुशमिजाज था। गाँव के पास एक घना जंगल था, जहाँ मोहन अक्सर खेलता था। एक दिन, खेलते-खेलते मोहन गहरे जंगल में चला गया। अचानक, उसे एक घायल गिलहरी मिली। गिलहरी की टांग टूट गई थी और वह बहुत डर रही थी। मोहन ने तुरंत उसकी मदद करने का फैसला किया। वह उसे घर लेकर आया और अपनी माँ से मदद मांगी। मोहन की माँ ने गिलहरी का इलाज किया और कुछ दिनों में वह ठीक हो गई। गिलहरी ने मोहन को धन्यवाद कहा और वादा किया कि वह हमेशा उसके साथ रहेगी। अगले दिन से, गिलहरी रोज़ मोहन के पास आने लगी। दोनों ने मिलकर खेलना शुरू किया और जल्दी ही गहरी दोस्ती हो गई। समय के साथ, गिलहरी ने मोहन को जंगल के बारे में बहुत कुछ सिखाया। मोहन ने भी उसे अपनी दुनिया के बारे में बताया। एक दिन, जंगल में एक बड़ा तूफान आया। मोहन ने देखा कि गिलहरी डर गई है। उसने उसे सुरक्षित जगह पर ले जाने का फैसला किया। तूफान के बाद, मोहन और गिलहरी ने मिलकर जंगल की सफाई की। उन्होंने अपने दोस्तों को भी बुलाया और सब मिलकर काम करने लगे। इस तरह, मोहन और गिलहरी की दोस्ती ने न सिर्फ उन्हें बल्कि पूरे गाँव को एकजुट कर दिया। मोहन ने सीखा कि सच्ची मित्रता हर मुश्किल का सामना कर सकती है। और इस तरह, गाँव में खुशी और भाईचारा बढ़ता गया। ©Pooja #Moral story
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White एक अनोखी दोस्ती गाँव में एक छोटा सा बच्चा था जिसका नाम था अर्जुन। अर्जुन बहुत ही चंचल और खुशमिजाज था। उसे हर दिन नई-नई चीज़ें खोजने का शौक था। एक दिन, जब वह जंगल में खेल रहा था, उसे एक घायल चिड़िया मिली। चिड़िया की एक पंख टूटी हुई थी और वह उड़ नहीं पा रही थी। चिड़िया की देखभाल अर्जुन ने चिड़िया को अपने घर ले जाने का फैसला किया। उसने उसे पानी और खाना दिया और हर दिन उसकी देखभाल करने लगा। धीरे-धीरे, चिड़िया ठीक होने लगी। अर्जुन ने उसे "चिंकी" नाम दिया। चिंकी भी अर्जुन के साथ खेलती और उसकी बातें सुनती। दोस्ती का बंधन कुछ हफ्तों बाद, चिंकी पूरी तरह से ठीक हो गई। अब वह उड़ सकती थी, लेकिन अर्जुन ने उसे जाने नहीं दिया। उसने चिंकी से कहा, "तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो, मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगा।" चिंकी ने भी अपनी आँखों से यह समझाया कि वह अर्जुन को छोड़ना नहीं चाहती। विदाई का समय एक दिन, चिंकी ने उड़ान भरने का मन बनाया। उसने अर्जुन से कहा, "मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जा रही, लेकिन मुझे उड़ने की ज़रूरत है।" अर्जुन ने थोड़ी उदासी के साथ कहा, "मैं समझता हूँ, लेकिन तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगी।" चिंकी ने उड़ान भरी और आसमान में छा गई। अर्जुन ने उसे दूर जाते हुए देखा, लेकिन उसने महसूस किया कि उनकी दोस्ती हमेशा बनी रहेगी। निष्कर्ष इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती कभी खत्म नहीं होती। चाहे हम दूर हों या पास, जो प्यार और देखभाल हम एक-दूसरे के लिए रखते हैं, वही सबसे महत्वपूर्ण होता है। अर्जुन और चिंकी की यह अनोखी दोस्ती हमेशा याद रहेगी। ©Pooja #Moral story
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White सपनों की उड़ान एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक लड़का रहता था। उसे उड़ान भरने का बहुत शौक था। वह हमेशा आसमान की ओर देखता और सोचता, "काश! मैं भी पंछियों की तरह उड़ सकूं।" एक दिन, गाँव में एक कलाकार आया। उसने एक बड़ा और रंग-बिरंगा पतंग बनाया। मोहन की आँखों में चमक आ गई। उसने सोचा, "अगर मैं इस पतंग को उड़ाऊँ, तो मुझे उड़ने का अनुभव होगा।" मोहन ने अपने पिता से पैसे माँगे और वह पतंग खरीदने गया। उसने पतंग को ऊँचा उड़ाने की कोशिश की, लेकिन पहली बार में वह सफल नहीं हुआ। उसने हार नहीं मानी और बार-बार कोशिश करता रहा। आखिरकार, एक दिन, उसने पतंग को सही से उड़ाया। वह आसमान में उड़ता हुआ पतंग देखकर खुशी से झूम उठा। उसने महसूस किया कि उड़ान केवल पंखों से नहीं, बल्कि अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश से भी मिलती है। मोहन ने सोचा, "अगर मैं प्रयास करता रहूँ, तो मैं अपने सपनों को साकार कर सकता हूँ।" इस तरह, मोहन ने अपने सपनों की उड़ान भरना शुरू किया और गाँव में सभी के लिए प्रेरणा बन गया। उसकी मेहनत और जिद ने उसे सफलता दिलाई, और उसने साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी सपना सच हो सकता है। ©Pooja #Moral story
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White **एक अनोखी सुबह** सुबह का समय था, सूरज की किरणें धीरे-धीरे पेड़ों की शाखाओं पर गिर रही थीं। गाँव के एक छोटे से घर में, मीरा अपने बगीचे में पौधों को पानी दे रही थी। उसे अपने बगीचे से बहुत प्यार था। एक दिन, मीरा ने देखा कि उसके बगीचे में एक अनोखा फूल खिल रहा है। वह फूल सुनहरे रंग का था और उसकी महक पूरे गाँव में फैल रही थी। गाँव के लोग उस फूल को देखने के लिए आने लगे। सभी ने उस फूल की तारीफ की, लेकिन किसी को नहीं पता था कि वह फूल अचानक कैसे आया। कुछ दिनों बाद, मीरा ने एक बूढ़ी औरत को अपने बगीचे में आते देखा। वह औरत फूलों के पास बैठ गई और मुस्कराने लगी। मीरा ने उससे पूछा, "आप कौन हैं? क्या आपको यह फूल पसंद है?" बूढ़ी औरत ने कहा, "यह फूल तुम्हारे प्यार और देखभाल का नतीजा है। जब तुम अपने बगीचे से इतना प्यार करती हो, तो प्रकृति भी तुम्हें उपहार देती है।" मीरा ने उसकी बातों को ध्यान से सुना और समझ गई कि सच्चा प्यार और मेहनत हमेशा फल देते हैं। उस दिन के बाद, मीरा ने और भी मेहनत से अपने बगीचे की देखभाल की, और उसका बगीचा और भी खूबसूरत हो गया। गाँव में लोग मीरा के बगीचे की चर्चा करने लगे। वे सभी उस सुनहरे फूल की महक का आनंद लेने आने लगे। मीरा ने समझ लिया कि जब हम अपने काम को प्रेम से करते हैं, तो वह हमें हमेशा सुख और खुशी देता है। और इस तरह, मीरा का बगीचा न सिर्फ फूलों से भरा रहा, बल्कि गाँव के लोगों के दिलों में भी एक नई आशा और प्रेरणा जगा गया। ©Pooja #Moral story
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White एक छोटे से गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम रोहन था। रोहन बहुत ही जिज्ञासु और मेहनती था। उसके पास बहुत से सवाल होते थे, जिनका जवाब उसे जानने की उत्सुकता रहती थी। एक दिन रोहन गांव के पास वाले जंगल में गया, जहाँ उसे एक बुजुर्ग आदमी मिला। वह आदमी बहुत ही शांत और ज्ञानी लग रहा था। रोहन ने सोचा कि वह उसके सवालों का जवाब दे सकता है। रोहन ने बुजुर्ग से पूछा, "दादा जी, सफलता का रहस्य क्या है?" बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा, "सफलता का कोई सीधा रास्ता नहीं है, बेटे। इसे पाने के लिए धैर्य, मेहनत और सही दिशा में प्रयास करना होता है। जीवन में हर कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि जब भी गिरो, उठने का हौसला कभी मत खोना।" रोहन ने यह सीख ध्यान में रख ली। उसने अपने जीवन में कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे वह गांव का सबसे सफल व्यक्ति बन गया। इस तरह, रोहन ने यह सिखा कि सफलता केवल मेहनत से ही नहीं, बल्कि धैर्य और निरंतर प्रयास से भी मिलती है। ©Pooja #Moral story
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White **चाय का कप** रमेश अपने छोटे से गांव में चाय की दुकान चलाता था। उसकी दुकान भले ही छोटी थी, लेकिन उसके हाथों में जादू था। गांव के लोग सुबह-सुबह रमेश की दुकान पर चाय पीने आते थे। उसकी चाय की महक दूर-दूर तक फैल जाती थी। एक दिन, गांव में एक अजनबी आया। उसने रमेश की दुकान पर आकर कहा, "भाई, एक कप चाय मिल जाएगी?" रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिलकुल, बैठिए। अभी लाता हूँ।" रमेश ने जैसे ही चाय बनाई, अजनबी की नजरें चमक उठीं। उसने चाय का पहला घूंट लिया और आंखें बंद कर लीं। कुछ पल के बाद उसने कहा, "यह चाय तो बिलकुल अद्भुत है। ऐसा लगता है जैसे इसमें सिर्फ चाय पत्ती और दूध नहीं, बल्कि खुशियों का भी स्वाद है।" रमेश ने हंसते हुए कहा, "भैया, इसमें बस मेरी मां का दिया हुआ प्यार है। बचपन में मेरी मां भी इसी तरह चाय बनाती थी। अब वो नहीं रहीं, लेकिन उनके दिए हुए प्यार को मैं अपनी चाय में हर रोज़ मिला देता हूँ। शायद इसीलिए लोग इसे इतना पसंद करते हैं।" अजनबी ने रमेश को धन्यवाद कहा और बोला, "तुम्हारी चाय ने मुझे मेरी पुरानी यादें ताज़ा कर दीं। कभी-कभी छोटी-छोटी चीज़ें भी दिल को खुश कर देती हैं।" रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिलकुल सही कहा आपने। जीवन की असली खुशियाँ इन्हीं छोटी-छोटी बातों में छिपी होती हैं।" अजनबी ने रमेश को नमस्कार किया और वहाँ से चला गया। पर जाते-जाते वह एक गहरी छाप छोड़ गया। रमेश की दुकान पर उस दिन सिर्फ चाय नहीं, बल्कि यादों और खुशियों का भी स्वाद फैला हुआ था। ### समाप्त। ©Pooja #Moral story
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White यह कहानी एक छोटे से गाँव की है, जहाँ एक किसान रामलाल अपनी पत्नी सुमन और बेटे मोहन के साथ रहता था। रामलाल मेहनती था, पर किस्मत हमेशा उसका साथ नहीं देती थी। उसके पास बस एक छोटा सा खेत था, जिससे उसकी गुजर-बसर मुश्किल से होती थी। एक दिन रामलाल के खेत में एक अजीब सी चमकदार चीज़ दिखी। उसने पास जाकर देखा, तो वह एक सुनहरी सिक्का था। रामलाल ने सोचा, "क्यों न इसे गाँव के महाजन को दिखाया जाए? शायद इसकी कुछ कीमत मिल जाए।" महाजन ने सिक्का देखा और कहा, "रामलाल, ये सिक्का बहुत कीमती है, पर इसके असली मूल्य को जानने के लिए इसे शहर के जौहरी के पास ले जाना पड़ेगा।" रामलाल ने अगले ही दिन शहर जाने का फैसला किया। सुमन ने घर का सारा काम निपटाया और मोहन को समझाया कि वह ध्यान रखे। रामलाल शहर की ओर चल पड़ा। शहर पहुँचकर रामलाल ने जौहरी को सिक्का दिखाया। जौहरी ने ध्यान से देखा और कहा, "रामलाल, यह सिक्का बहुत पुराना और बहुमूल्य है। इसके बदले में तुम्हें काफी पैसे मिल सकते हैं।" रामलाल को बहुत खुशी हुई। उसने सोचा कि इन पैसों से वह अपने खेत की हालत सुधार सकता है और अपने परिवार को अच्छा जीवन दे सकता है। लेकिन जौहरी ने उसे एक सलाह दी, "रामलाल, इस सिक्के को बेचने से पहले सोच लो कि इसका उपयोग कैसे करोगे। ये दौलत तुम्हारे जीवन में बदलाव ला सकती है, लेकिन इसका सही उपयोग न करने पर यह तुम्हें और भी परेशानियों में डाल सकता है।" रामलाल ने समझदारी से सोचा और फैसला किया कि वह सिक्का बेचकर मिले पैसों का उपयोग गाँव में एक स्कूल और एक अस्पताल बनाने में करेगा। गाँव वालों ने रामलाल की इस सोच की बहुत तारीफ की और उसे आदर से देखा। रामलाल का यह फैसला उसके लिए खुशहाली और संतोष लेकर आया। अब उसके खेत में भी अच्छी फसल होने लगी, और गाँव में भी सुख-समृद्धि बढ़ने लगी। इस तरह, रामलाल ने समझदारी और परोपकार से अपने जीवन को बेहतर बनाया और गाँव के सभी लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई। ©Pooja #Moral story
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