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पवन कुमार बैरवा
चांदनी चांद से होती हैं 🌷सितारों से नहीं 🌷 🌇🌅 मोहब्बत एक से होती है 🥀हजारों से नहीं🥀 👫💕आशी कुमारी👫💕 णढड जताई चिंता
णढड जताई चिंता
read moreParasram Arora
पूर्ण प्रकाश मे भी थोड़ी सी भी मर्मस्पर्शी संवेदना स्त्री की आँखे छलका सकती है जबकि पुरुष अपनी कठोरता बनाये रखता है लेकिन बंद कमरे के अंधेरों मे उसे आंसू टपकाते हुए देखा जा सकता है ©Parasram Arora संवेदना
संवेदना
read moreSandeep Dixit
#Pehlealfaaz गौर से देखोगे तो सब कुछ पता चल जाएगा इनके हक मारोगे तो सारा जहां जल जाएगा कौन कहता है गरीबी बस ग्रहों का खेल है? हम करें कोशिश तो ये विधि का लिखा टल जाएगा। #संवेदना
प्रदीप राज खींची
White उम्र सारी बीत गई यही बात बताने में, कितनों को बली चढ़ा दिया ठाठ दिखाने में। पड़ोस की लाली भी हमेशा उदास रहती थी, क्या कोई कदम बढ़ाया था उसको बचाने में। कितनी बेटियां बची होती बर्बाद भी न होती, कदम से कदम तो मिलाया होता साथ आने में। राक्षसी हो गई है प्रवृत्ति जाने क्यों इंसान की, काश किसी ने तो प्रयत्न किया होता राम बनाने में। भेड़ चाल है सब मुझको दिखावा लग रहा है, पगडंडी पर चल रहे समूहो का छलावा लग रहा है। किया होता जत्न तो कोई चिरईया शहीद न हो पाती, इतनी जागरूकता दिखाई होती कानून सख्त बनवाने में। पहले पहल तो सब कुछ लिपकर छुपा दिया जाता है, फिर नाप तोलकर समय लगता है सुर्खियां बनाने में। आवाम इंतजार करती है देखती है मिजाज हवाओं का, फिर भरती है दम्भ एक एक कर हाजिरी लगाने में। काश कि निकले हैं सड़कों पर तो कुछ तो फिजा़ बदले, इंसाफ सभी को मिलेगा बस कुछ अपनी नियत बदलें। हर जुर्म करने वाले को सजा का खौफ होना चाहिए, आओ अब भिड ही जाएं सजा खौफनाक बनवाने में। रूह भी कांप उठेगी कई बार मुजरिम को डराएगी, फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी। फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी..prk ©प्रदीप राज खींची संवेदना #
संवेदना #
read moresomnath gawade
हृदयाशी हृदयाची तार आता जुळली संवेदना होई सारख्या प्रीतीची ओळख पटली #संवेदना
Anjali R Gupta
ये जिंदगी संवेदनायों का सफ़र है चंचलता और चपलताओं से भरी ये डगर है वीरानी छाई हुई है हर ओर बस्ती में मुस्कान मुकम्मल हुए गुजरे कई पहर है गमगीन है हर शक्स अपने ही गम में संवेदनाओं को समझे किसी की कहाँ ऐसा मंजर है भावनाएँ कभी हँसाती है कभी रुलाती है कभी खुशियों की बौछार है कभी आँसुओ का कहर है #संवेदना
Captain Saini
शहर की लड़की शहर की लड़की , कुछ ही है सम्मान की बोधक बाकी सब मड़की, ना पूछो सहाब शहर की लड़की संस्कृति की इन्होंने ला दी कड़की माँ ने कुछ कह दिया तो भावना से भड़की क्या बताएं सहाब, शहर की लड़की कतार चाहिए पुरुष मित्रो की शौंक रखती है आधे कपड़ो के चित्रों की बस लम्बे से फ़ोन से मुह दबाकर चिपकी हर घण्टे चाहिए सेल्फी की हिचकी इसीलिए तो लकड़ी की तरह पिचकी क्या बताएं सहाब शहर की लड़की आपसे मुझे यही है आश इनके बिल्कुल न बैठना पास नही तो आपको भी होगा आभास कि जीवन का कहाँ गया प्रकाश CAPTAIN HARSHIT KUMAR SAINI संवेदना
संवेदना
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