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Kumar.vikash18
" जहां चाह वहां राह " जिंदगी में इन दो शब्दों का बड़ा महत्व है , जिसने भी इन दो शब्दों को समझ लिया उसका जीवन सफल है ! वर्ना भटकना तो जीवन भर है ! जिंदगी सब कुछ सिखा देती है , मंजिल पर भी पहुंचा देती है , बस चलना जरूरी है ! कुछ आये न आये उमंग के साथ करना जरूरी है ! मंजिल खुद ही मिल जायेगी एक राह पकड़ना जरूरी है ! रामायण लिख दी बाल्मिक जी ने , जो थे एक डाकू ! राम का नाम उल्टा जपा , जपा करते थे मरा मरा , पर चाह ने उनको रचयिता रामायण का बना दिया !! जहां चाह वहां राह
जहां चाह वहां राह
read moreAklesh Yadav
जहां चाह वहां राह यदि मनुष्य जहां रास्ता चाहे वहां बना सकता है और अपने जीवन में बड़ा लक्ष्य और सपना प्राप्त कर सकता है ©Aklesh Yadav #baisakhi जहां चाह वहां राह #Lifechanging
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read moreSarita Kumari Ravidas
धुंधली यादों के सहारे जी रहे थे हम उम्मीदों को बटोरें आगे बढ़ चले है अब शिकवा ना रहा अब खुद से यादें, मौसमों की तरह ढल चुकी है अब भरोसे टूटे, माना हजारों सही ज़िंदगी जीने की गुजारिश लिए चाह की इस राह में आगे बढ़ चले है हम। ©Sarita Kumari Ravidas #berang जहां चाह वहां राह #nojohindi #poem
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read moreAklesh Yadav
जहां चाह वहां राह यदि मनुष्य जहां चाहेगा वहां रास्ता बना सकता है। अपने जीवन में जो भी चाहोगे सो कर सकते हो कभी भी हार नहीं मानना चाहिए ©Aklesh Yadav #navratri जहां चाह वहां राह #viral#trending
PARBHASH KMUAR
प्यारे भक्तजनों, क्या आपने कभी किसी ऐसी स्त्री के बारे में सुना है, जिसकी रचना स्वयं एक ऋषि मुनि ने की हो और आगे चलकर, वही उनके जीवनसाथी भी बने हों? अगर नहीं, तो आज हम आपको ऐसी ही एक रोचक कहानी से परिचित कराएंगे और बताएँगे, कि आखिर इस कथन के क्या मायने हैं, कि ‘जहां चाह वहां राह’। तो भक्तों, आप में से काफ़ी लोग धर्म ग्रंथो में शामिल रामायण और महाभारत से परिचित होंगे। इन्हीं ग्रंथों में, अगस्त्य मुनि नाम के एक ऋषि का भी परिचय भी मिलता है। ऐसी मान्यता है, कि वह प्रसिद्ध सप्त ऋषियों और प्रसिद्ध 18 सिद्धों में से एक थे, जो कई सालों तक पोथिगई की पहाड़ियों में विराजमान होकर, जीवनयापन करते रहे थे। महाभारत की एक कथा के अनुसार, एक समय अगस्त्य मुनि को अपने पितरों की तृप्ति और शांति के लिए, विवाह करने की प्रबल इच्छा जागृत हुई। मगर जब उन्हें अपने योग्य कोई कन्या प्राप्त नहीं हुई, तो उन्होंने बहुत सारे जीव-जंतुओं के अंश लेकर, स्वयं ही एक कन्या की रचना की। इसके साथ ही, उन्होंने उस कन्या को संतान के रूप में विदर्भराज को सौंप दिया, जो संतान प्राप्ति के लिए काफ़ी इच्छुक थे। यही कन्या, लोपामुद्रा थीं। इस बात का उल्लेख, काफ़ी सारी जगहों पर मिलता है, कि लोपामुद्रा खुबसूरत होने के साथ-साथ, अत्यंत बुद्धिमान भी थीं और उनके सौंदर्य के चर्चे भी हुआ करते थे। इसी कारणवश, जब उन्होंने ऋषि अगस्त्य से शादी करना स्वीकार किया, तब इस बात से लोगों को हैरानी भी हुई, कि ऐसी रूपवती और राजसी कन्या एक ऋषि से शादी के लिए, कैसे अपना ऐश्वर्य और ठाठ छोड़ रही है। मगर वो कहते हैं ना, कि नियत और नियति से सब कुछ परे है और धर्म ग्रंथ तो होते ही हैं, असंभव के आगे का रास्ता बताने के लिए। तो भक्तों, आप भी इस विचार के साथ अपने जीवन मार्ग में आगे बढ़ें, कि असंभव केवल एक मिथ्या है और कुछ नहीं। ©parbhashrajbcnegmailcomm प्यारे भक्तजनों, क्या आपने कभी किसी ऐसी स्त्री के बारे में सुना है, जिसकी रचना स्वयं एक ऋषि मुनि ने की हो और आगे चलकर, वही उनके जीवनसाथी भी
प्यारे भक्तजनों, क्या आपने कभी किसी ऐसी स्त्री के बारे में सुना है, जिसकी रचना स्वयं एक ऋषि मुनि ने की हो और आगे चलकर, वही उनके जीवनसाथी भी
read morePradyumn awsthi
जीवन में जहां चाह होती है,वहीं हमारी राह होती है ©"pradyuman awasthi" #जहां चाह, वहीं राह
#जहां चाह, वहीं राह
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