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Rakesh frnds4ever
White आ चल के ,,,,,,,,,,,,,,,,,हम चलें कहीं जहां नौरंगी गुलजार हो मौसम नजम ,,गजल गाता हो नदी नाले प्यार की बातें करते हो ये पर्वत पहाड़ झरने कुदरत की बेपनाह मोहब्बत को ताजगी ,सादगी, खूबसूरती से बड़े चाव से, प्यार से ,अपनेपन से प्रदर्शित कर रहे हो आ चल के ,,,,,,,,,,,,,,,,,हम चले यहीं यहां कुदरत हो ,,,,,,,,,,हम तुम हो मौसमें बहार हो दिल का करार हो प्रकृति ओर प्रकृति की रचनाओं से घिरा हमारा छोटा सा संसार हो जो इस दुनिया/इस जहान,,,,,,,,, से पार हो ,,... ©Rakesh frnds4ever #आ #चल के ,,,,,,,,,,,,,,,,,हम चलें कहीं जहां नौरंगी #गुलजार र हो #मौसम नजम ,,गजल गाता हो नदी नाले प्यार की बातें करते हो ये पर्वत पहाड़
Poet Maddy
न जाने क्यों इस दिल को करार आया नहीं, उसके जाने के बाद उस पर प्यार आया नहीं....... मुझे मिली खबर कि वो खुश है मुझे छोड़कर, एक मैं हूं उसके जाने के बाद मुस्कुराया नहीं....... ©Poet Maddy न जाने क्यों इस दिल को करार आया नहीं, उसके जाने के बाद उस पर प्यार आया नहीं....... #Don'tKnow#Heart#Relief#Love#Left#News#Happy#Leave#Smile.
न जाने क्यों इस दिल को करार आया नहीं, उसके जाने के बाद उस पर प्यार आया नहीं....... #Don'tKnowHeartReliefLoveLeftNewsHappyLeaveSmile.
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White क्यों ये दुनिया रोने नहीं देती क्यों ये दुनिया सोने नहीं देती जब अपना यहां कोई नहीं तो क्यों ये किसी को अपना होने नहीं देती जूठे अपनों के जूठे अपनेपन से क्यों ये दुनिया खुद को अपना होने नहीं देती,,, क्यों ये दुनिया रोने नहीं देती क्यों ये दुनिया सोने नहीं देती देती हैं,,,,, जुल्म नफरत जिल्लत ज़हालत ,,, क्रूरता दमन दहशत,,, दुख दर्द पीड़ा तकलीफ कष्ट,,,,अत्याचार परेशानी ,,,घिनौनापन और मक्कारी छीन लेती है,,,,, दया धर्म कर्म इच्छा आशा अभिलाषा ,,सुख सुविधा प्रसन्नता दिलासा,,, सादगी ताजगी प्यार दुलार,,, चैन सब्र करार इकरार,, स्नेह समर्पण त्याग सहयोग राग अनुराग ओर जीवन की परिभाषा,,,, क्यों क्यों क्यों ये दुनिया जीने नहीं देती क्यों ये दुनिया मरने नहीं देती.....२..... ©Rakesh frnds4ever #क्यों_ये_दुनिया_रोने_नहीं_देती #क्यों_ये_दुनिया_सोने_नहीं_देती जब #अपना यहां कोई नहीं तो क्यों ये किसी को अपना होने नहीं देती जूठे अपनों
#क्यों_ये_दुनिया_रोने_नहीं_देती #क्यों_ये_दुनिया_सोने_नहीं_देती जब #अपना यहां कोई नहीं तो क्यों ये किसी को अपना होने नहीं देती जूठे अपनों
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उस शख़्स के नज़दीक रहने से, हमारे इस दिल बेहद करार रहता है........ हमारे चाहने वालों की भीड़ से, आज-कल वो शख़्स फ़रार रहता है........ उसको हमारी ज़रा सी परवाह नहीं, फ़िर भी न जाने क्यों अब रात-दिन......... महज़ उस इक शख़्स से मिलने को, दिल न जाने क्यों बेकरार रहता है........... ©Poet Maddy उस शख़्स के नज़दीक रहने से, हमारे इस दिल बेहद करार रहता है........ #Close#Person#Heart#Crowd#Fans#Care#Night#Day#Meet#Restless...........
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा जो प्यार सावन का इक नज़र देख लूँ अगर तुमको । तब ही आये करार सावन का वो न आयेगा पास में मेरे क्यों करूँ इंतज़ार सावन का दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर रोज़ होता दीदार सावन का आप आये हो मेरी महफ़िल में चढ़ रहा है खुमार सावन का आस ये आखिरी मेरे दिल की करके आओ शृंगार सावन का आप क्यों अब चले नही आते कुछ तो होगा उधार सावन का बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी खो ही जाता करार सावन का महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा
ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा
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