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Dharmendra Azad

एक मतला- 

सूखी नदी की रेत में थोड़ी नमी तो है 
दुनिया की भीड़ में मुझे तेरी कमी तो है

@धर्मेन्द्र तिजोरीवाले "आज़ाद" #दुष्यंत

Dushyant Yadav

अधूरा जो रह गया, उसे पूरा होजाने दो।
उजाला अभी हुआ है जरा छिप जाने दो।
तुम यूँ,नही,रुको,सुनो कह कर रोको मत मुझे।
मैं आशिक़ ए वतन ऑलिया हूं।
 हुन #NojotoQuote #दुष्यंत

Dushyant Yadav

मुझे ग़लती करने दो,खुद सीखना चाहता हूं।
परिन्दा हूँ, खुले आकाश में उड़ना चाहता हूं।। #NojotoQuote #दुष्यंत

Dushyant Yadav

नही,सुनो,मानो तो,बड़े परेशान से दिखते हो, इम्तेहान-ए-मोह्हबत के मारे लगते हो।

 #NojotoQuote #दुष्यंत

Adi_writes04

दुष्यंत कुमार जी का कविता 🙂 #bharat

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कलाम

दुष्यंत

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ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए  दुष्यंत

Dushyant Yadav

मेने गुलाब की तरह सजाया है तुझे।
पंखुड़ियों सी बिखर मत जाना।।
तो बेटी है मेरी,विदाई में अपनी रो मत जाना।। #NojotoQuote #दुष्यंत

Arpit Mishra

दुष्यंत कुमार

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चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







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©Arpit Mishra दुष्यंत कुमार

USKA SHAYAR

#दुष्यंत kumar

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विद्यार्थी राहुल

#दुष्यंत कुमार

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हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, 
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए!

आज ये दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी, 
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए! 

हर सड़क पर हर गली में हर नगर हर गाँव में, 
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए! 

सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मिरा मक़्सद नहीं, 
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए! 

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए!

● दुष्यंत कुमार
(1 सितंबर1933-30 दिसंबर 1975) #दुष्यंत कुमार
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