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अर्पिता
लोग केवल एक काम तबियत से करते हैं, वो है :- दूसरो की जिंदगी में झाँकना...... ©अर्पिता #झाँकना
Pradeep Kalra
नज़रों की ताक़त को, कतई कमतर न आँकना, आता है बख़ूबी इन्हें, किरदारों में भी झाँकना.. Pradeep - 18/07/19
read morekumaarkikalamse
पर्दे लगे हो ना लगे हो बेशक किसी खिड़की पर यूँ किसी के घर में बाहर से झाँकना नहीं चाहिए! यह wallpaper देख कर यह सूजा. यही सच है लोग अपने काम से काम नहीं रखते और दूसरे की जिंदगी में झांकने से बाज नहीं आते.. #kumaarsthought #नहीं
यह wallpaper देख कर यह सूजा. यही सच है लोग अपने काम से काम नहीं रखते और दूसरे की जिंदगी में झांकने से बाज नहीं आते.. #Kumaarsthought नहीं
read moreGuruwanshu
भगवान है ये जितना बड़ा सत्य है.. लेकिन बाहर है..! ये उतना बड़ा भ्रम है भगवान है ये जितना बड़ा सत्य है.. लेकिन बाहर है..! ये उतना बड़ा भ्रम है ढूंढने पर जरूर मिलेगा.. निर्भर करता है ढूंढा कहाँ गया है... सारी दुनिय
भगवान है ये जितना बड़ा सत्य है.. लेकिन बाहर है..! ये उतना बड़ा भ्रम है ढूंढने पर जरूर मिलेगा.. निर्भर करता है ढूंढा कहाँ गया है... सारी दुनिय
read more_suruchi_
दिन के उजालें में बंद मुठ्ठी में तेरे वो जुगनू छिपाना, मेरे लिये वो मुठ्ठी खोलकर मेरा वो अंधेरा करके झाँकना आज भी माथे की शिकंद को हँसी में बदल देता है सारे गम एक पल में भुला देता है ऐ दोस्त, उस एक हसी को तेरे पास भेजा है ढेर सारी खुशियों के साथ जहा जहा तू जाए एक खुशी भरा बादल तेरे साथ हर पल रहेगा दुखों के भांप पर खुशियों की बरसात हमेशा करेगा। दिन के उजालें में बंद मुठ्ठी में तेरे वो जुगनू छिपाना, मेरे लिये वो मुठ्ठी खोलकर मेरा वो अंधेरा करके झाँकना आज भी माथे की शिकंद को हँसी मे
दिन के उजालें में बंद मुठ्ठी में तेरे वो जुगनू छिपाना, मेरे लिये वो मुठ्ठी खोलकर मेरा वो अंधेरा करके झाँकना आज भी माथे की शिकंद को हँसी मे
read moreMotivational indar jeet group
ये दुनिया अजीब है दोस्त यहाँ अदब से अपने दर्द के पर्दे को उठाया करो । यहाँ अपना दर्द अपने दरिया में डूबी है दुनिया ॥ तारिफ क्या करें ये , दूसरों के गलेबां में झाँकना पसंद करती है ये दुनियां । अपने चेहरे पर लगी कालिक छोड़... आईने को साफ करने में लगी है ये दुनिया ॥ यहाँ किस से कर रहें उम्मीदें तुम पहले अपनी सुनाने में लगी है दुनिया । अब तो ड़र लगने लगा है अपनी ही परछाई से ॥ कौन कब आजाए अरमान अपने लूटने । कल समझे थे जीन हवाओं को अपना ॥ आज उनमें ही ज़हर होने का शक होने लगा है । गर तारीफ़ कर दे इनकी जरा तो यहाँ दुश्मन भी अपना लगता है ॥ ©motivationl indar jeet guru #ये दुनिया अजीब है दोस्त यहाँ अदब से अपने दर्द के पर्दे को उठाया करो । यहाँ अपना दर्द अपने दरिया में डूबी है दुनिया ॥ तारिफ क्या करें ये ,
#ये दुनिया अजीब है दोस्त यहाँ अदब से अपने दर्द के पर्दे को उठाया करो । यहाँ अपना दर्द अपने दरिया में डूबी है दुनिया ॥ तारिफ क्या करें ये ,
read moreAgrawal Vinay Vinayak
लॉकडाउन कुछ ऐसे कटता है 🙄😷 Read Captain 👇👇 शून्य में खाली ताकना, ख़ुद ही ख़ुद से भागना, तन्हा रातों को जागना, ये सब पुरानी बातें हैं। अकेले फ़िल्में देखना, सोशल मीडिया को चाटना, आईने में
शून्य में खाली ताकना, ख़ुद ही ख़ुद से भागना, तन्हा रातों को जागना, ये सब पुरानी बातें हैं। अकेले फ़िल्में देखना, सोशल मीडिया को चाटना, आईने में
read moreAnamika Nautiyal
स्मृतियाँ पाथेय बन कर ले जाती है मुझे भूतकाल में , मानो चिरकाल से प्रतीक्षारत हो मेरे आगमन में। दीप्त हो रही स्मृतियाँ मानस पटल पर, किंचित कुछ शेष रह जाता है। मध्य रात्रि के किसी भयानक सपने की भाँति, झिंझोड़ती है मुझे किसी हृदय विदारक घटना की भाँति। निशा में यह कौन सा सूर्य देदीप्यमान हो रहा, किसकी पीड़ा में हृदय मेरा रो रहा। यादों का सागर कभी मुझे जला रहा, कभी मेरे अंतर्मन को सुकून दिला रहा। मध्य रात्रि में उदित हुए इस सूर्य पर, ग्रहण लगाने को मेरा जी ना चाहता है। फिर क्यों इस भानु से, मेरे जीवन में अँधियारा छा जाता। यह कैसी विकट परिस्थिति है, यह कैसी मेरी मनःस्थिति है। आलिंगन करना चाहता हृदय, भूत को वापस पा लेने हेतु;० काल से करता है अनुनय विनय। यह संभव भी तो नहीं, तम में प्रकाश की भाँति ये यादें लग रही। स्मृतियाँ बनकर जीवन का सहारा, यादों का घरौंदा ही है अब आसरा। इस सूर्य के समीप जाने की जितनी कोशिश करती हूँ, उतना ही स्वयं को स्वयं से दूर पाती हूँ। हाँ किन्तु मुझे इस सूर्य की तपन में जलना अच्छा लगता है, गाहे बगाहे कुछ अनाम स्मृतियों में झाँकना भी अच्छा लगता है। स्मृतियाँ पाथेय बन कर ले जाती है मुझे भूतकाल में मानो चिरकाल से प्रतीक्षारत हो मेरे आगमन में दीप्त हो रही स्मृतियाँ मानस पटल पर किंचित कुछ
स्मृतियाँ पाथेय बन कर ले जाती है मुझे भूतकाल में मानो चिरकाल से प्रतीक्षारत हो मेरे आगमन में दीप्त हो रही स्मृतियाँ मानस पटल पर किंचित कुछ
read morePriyanshu kashyap
चरित्र औरत का...!! Read caption ©Priyanshu kashyap चरित्र औरत का.......❤️ औरत का चरित्र दूसरे क्यों तय करते है? औरत का चरित्र होता नहीं ये गढ़ा जाता है इस समाज में ये तय होता है मापदण्डों से
चरित्र औरत का.......❤️ औरत का चरित्र दूसरे क्यों तय करते है? औरत का चरित्र होता नहीं ये गढ़ा जाता है इस समाज में ये तय होता है मापदण्डों से
read moreSaurabh Suman
दिवाली कुछ यूँ पूरी रचना caption में पढ़े सुनो आज दिवाली है, एक दिया मैं भी जलाऊँगा, रोशनी होगी उसमें भी, बस चमक नहीं होगी।। अंधेरा दूर करेगी लेकिन मेरी ज़िन्दगी रोशन नहीं होगी।। आज
सुनो आज दिवाली है, एक दिया मैं भी जलाऊँगा, रोशनी होगी उसमें भी, बस चमक नहीं होगी।। अंधेरा दूर करेगी लेकिन मेरी ज़िन्दगी रोशन नहीं होगी।। आज
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