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Stories related to नैय्या घुट मन डोले

वैभव जैन

#मेरा मन

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🔷🔶मेरा मन🔷🔶
कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति 
दोनों जल से होती है 
पाप बंध और पाप से मुक्ति 
दोनों मन से होती है 
मन से बंधन से मन मुक्ति 
मन में ही महावीर बसा 
मन ही रावण मन दुर्योधन 
मन में ही तो कंश बसा 
संयम धारण करले मन 
कुंदन करेगी तप की अगन 
निज में रमजा अब तो मन 
चिंतन मंथन कर ले मन 
राम जगेगा तुझ में मन 
ओ मेरे बैरागी मन

©वैभव जैन #मेरा मन

वैभव जैन

#मेरा मन

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White 🔶🔷मेरा मन🔶🔷
उछल कूंद में बंदर जैसा
उड़ने में तितली सा मन 
भूमंडल पर विचरे मन 
चंचल चंचल मेरा मन 
मन का बचपन सदा सलामत 
योवन भी है हरा भरा 
तन की झुर्री तन में रहती 
मन का उपवन सदा हरा

©वैभव जैन #मेरा मन

वैभव जैन

# मेरा मन

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White 🔷मेरा मन 🔷
चंचल चंचल चंचल मन 
मेरा यह बंजारा मन 
नगर डगर यह घूम रहा है 
मेरा यह बंजारा मन 
पल मैं यहां और पल में वहां 
घूम रहा है सारा जहां 
राग द्वेष के चित्र बनाएं 
मकड़ी जैसा जाल बुने 
आप ही उलझे आप ही सुलझे 
अजब निराला मेरा मन

©वैभव जैन # मेरा मन

vs dixit

#मन

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Kamlesh Kandpal

मन

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मन का दीपक जला लो,बस एक बार ,
फिर कोई भी अन्धेरा, तुम्हें  डरा नहीं पायेगा

जीत जाओगे जिस दिन खुद को खुद  से ,
फिर कोई तुम्हें ,हरा नहीं पायेगा

©Kamlesh Kandpal मन

Drjagriti

उन्मुक्त #मन

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Ekta Singh

मन

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White तेरी बात जब आए 
मेरा मन मुस्कुराए 
मेरी आँखों में चेहरा 
तेरे स्वप्न दिखाए

©Ekta Singh मन

Parasram Arora

घुट घुट कर

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White तुमने कभी घुट घुट कर किसी को 
रोते हुए देखा है?.

खुल कर रोने  मे आंसू बहते  हैँ.
जबकि घुट घुटकर   रोने वाला आंसू नही  बहाता जबकि बहने वाले आंसुओ 
को या तो खुद पी जाता है या उसे  अपने भीतर ही बहा देता. है

©Parasram Arora घुट घुट कर

कैलाश बगनावत (राजपुत)

#मन की बात

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seema patidar

मेरा मन

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White मेरा मन हमेशा अंतर्द्वंध से लड़ता रहता है
कभी ख्वाबों के पुलिंदे सजाता है 
तो कभी मायूसी को गले लगाता है
कभी भविष्य की संभावनाओं को निहारता है
तो कभी अतीत के जख्मों को टटोलता है
कभी समझदार बनकर जिम्मेदारियों से डरता है 
तो कभी सारे बंधन तोड़ आजाद होने को करता है
कभी मान सम्मान के दायरे तय करता है
तो कभी कल्पनाओं के साकार होने की दुआ करता है
कभी स्वार्थ में खुद के लिए  प्रेम ढूंढता है
तो कभी निस्वार्थ बन अपने हिस्से का प्रेम भी 
ओरो के लिए उड़ेल देता है
कभी जो हासिल हुआ उसी में सब्र  कर लेता है 
तो कभी जो पाना रह गया उसकी शिकायते करता रहता है
मेरा मन हमेशा अंतर्द्वध से लड़ता है
क्या तुम्हारा भी मन कभी अंतर्द्वंध से लड़ता है।

©seema patidar मेरा मन
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