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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} ॐ–कारं परमानन्दं सदैव सुख सुन्दरीं। सिद्ध लक्ष्मि! मोक्ष लक्ष्मि! आद्य लक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरि, नारायणि! नमोऽस्तु ते। प्रथमं त्र्यम्बका गौरी, द्वितीयं वैष्णवी तथा। तृतीयं कमला प्रोक्ता, चतुर्थं सुन्दरी तथा। पञ्चमं विष्णु शक्तिश्च, षष्ठं कात्यायनी तथा॥ वाराही सप्तमं चैव, ह्यष्टमं हरि वल्लभा। नवमी खडिगनी प्रोक्ता, दशमं चैव देविका॥ एकादशं सिद्ध लक्ष्मीर्द्वादशं हंस वाहिनी। ©N S Yadav GoldMine #flowers {Bolo Ji Radhey Radhey} ॐ–कारं परमानन्दं सदैव सुख सुन्दरीं। सिद्ध लक्ष्मि! मोक्ष लक्ष्मि! आद्य लक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥ सर्व मंगल मां
#flowers {Bolo Ji Radhey Radhey} ॐ–कारं परमानन्दं सदैव सुख सुन्दरीं। सिद्ध लक्ष्मि! मोक्ष लक्ष्मि! आद्य लक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥ सर्व मंगल मां
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} ॐ–कारं परमानन्दं सदैव सुख सुन्दरीं। सिद्ध लक्ष्मि! मोक्ष लक्ष्मि! आद्य लक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरि, नारायणि! नमोऽस्तु ते। प्रथमं त्र्यम्बका गौरी, द्वितीयं वैष्णवी तथा। तृतीयं कमला प्रोक्ता, चतुर्थं सुन्दरी तथा। पञ्चमं विष्णु शक्तिश्च, षष्ठं कात्यायनी तथा॥ वाराही सप्तमं चैव, ह्यष्टमं हरि वल्लभा। नवमी खडिगनी प्रोक्ता, दशमं चैव देविका॥ एकादशं सिद्ध लक्ष्मीर्द्वादशं हंस वाहिनी। ©N S Yadav GoldMine #flowers {Bolo Ji Radhey Radhey} ॐ–कारं परमानन्दं सदैव सुख सुन्दरीं। सिद्ध लक्ष्मि! मोक्ष लक्ष्मि! आद्य लक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥ सर्व मंगल मां
#flowers {Bolo Ji Radhey Radhey} ॐ–कारं परमानन्दं सदैव सुख सुन्दरीं। सिद्ध लक्ष्मि! मोक्ष लक्ष्मि! आद्य लक्ष्मि नमोऽस्तु ते॥ सर्व मंगल मां
read moreMadhusudan Shrivastava
देवी स्तुति मनहरण घनाक्षरी छंद नमो पिनाकधारिणी, नमो नमो नारायणी। अनेक अस्त्र धारिणी, कैशोरी नमो नमो।। महिषासुर मर्दिनी, निशुंभशुंभ घा
read morevikram ruDr🙄(smile)
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्प
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्प
read morePARBHASH KMUAR
रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।। भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्। रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।। सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं। आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।। इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्। मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।। मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों। करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।। एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली। तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।। जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।। Prabhash Kumar ©parbhashrajbcnegmailcomm रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु
रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।। कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्। पट्पीत मानहु
read moreSachin Ratnaparkhe
छत्रपति शिवाजी के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी महिमा का रितिकाल के कवि भूषण द्वारा ब्रज भाषा में विभिन्न अलंकारों एवम् वीर रस से युक्त अत्यंत मनमोहक सुंदर चित्रण पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। यह पढ़ने के दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसा साक्षात् महाराज छत्रपति शिवाजी का दर्शन हो रहा हो। यह पौराणिक काव्य शैली आधुनिक हिप होप संगीत शैली (रेप सॉन्ग्स) से काफी मिलती जुलती है और ये बेहद ही खूबसूरत अनुभूति है। और भुषण के इन छंदो को महाराष्ट्र में ठोल ताशे बजाकर बड़ी मस्ती में और बहुत ऊर्जा के साथ गाया जाता है। (Caption me puri Kavita padhe) इन्द्र जिमि जंभ पर , वाडव सुअंभ पर । रावन सदंभ पर , रघुकुल राज है ॥१॥ पौन बरिबाह पर , संभु रतिनाह पर । ज्यों सहसबाह पर , राम व्दिजराज है ॥२
इन्द्र जिमि जंभ पर , वाडव सुअंभ पर । रावन सदंभ पर , रघुकुल राज है ॥१॥ पौन बरिबाह पर , संभु रतिनाह पर । ज्यों सहसबाह पर , राम व्दिजराज है ॥२
read moreVikas Sharma Shivaaya'
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ नमस्कार , ASTRO SARV SAMADHAN Present's महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हम ZOOM पर रात्रि 8:15 बजे से 2-3 घंटे का एक ऐसा कार्यक्रम ला रहे हैं जहाँ आप जान पाएंगे की :- बेलपत्र क्या होते हैं ? बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका बेलपत्र क्यों चढ़ाये जाते हैं ? धत्तूरा क्या होता है ! क्यों महादेव को कंद फूल फल प्रिय हैं ? महादेव को चढ़े प्रसाद को ग्रहण क्यों नहीं करते ? प्रहर क्या होते हैं ? किस प्रहर में कौनसी पूजा की जाती है ? गन्ने के रस -दूध -अक्षत -चीनी आदि क्यों भोले को अर्पण किये जाते हैं ? ॐ नाम उच्चारण ॐ नमः शिवाय उच्चारण द्वादश ज्योतिर्लिंग स्मरणम श्री रुद्राष्टकम अर्थ सहित श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम शिव गायत्री मंत्र शिव भजन एक ऐसा कार्यक्रम जहाँ आप शिव में समां जाएँ ,शिवमय हो जाएं ,आपके रोम रोम से शिव शिव शिव निकले जहाँ आप घर बैठे कैलाश -अमरनाथ एवं शिव स्थलों की ऊर्जाओं को महसूस कर पाएं तो स्वागत है ,आपका आइये और शिव नाम से अपने आपको चार्ज कीजिये नोट :- 1-सीमित स्थान ,कृपया अपनी सीटें बुक करें . 2-कृपया गर्भवती एवं पीरियड्स के समय वाली महिलाएं सम्मिलित ना हों ,क्यूंकि वो ऊर्जाएं बहुत प्रचंड होगीं ! EE:555/- Paytm:+91-Mr.Naveen Gupta,Shubh Numbers After payment, kindly share screenshot with your name,mobile number,city,& mail id. ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ नमस्कार , ASTRO SARV SAMADHAN Present's महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हम ZOOM पर रात्रि 8:15 बजे से 2-3 घ
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ नमस्कार , ASTRO SARV SAMADHAN Present's महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हम ZOOM पर रात्रि 8:15 बजे से 2-3 घ
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आज सुबह का नमस्कार दोस्तों🙏 एक कविता पढ़ी है मैंने सोचा अपने सभी लोगों के भी पढ़ने को दूं.... आपको भी पढ़नी चाहिए उम्मीद है कि आप सभी लोगों को पसन्द आएगी.... Read in caption.... कंद-मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे पोरस जैसे शूर-वीर को नमन 'सिकंदर' करते थे॥ चौदह वर्षों तक खूंखारी वन में जिसका धाम था मन-मन्दिर में
कंद-मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे पोरस जैसे शूर-वीर को नमन 'सिकंदर' करते थे॥ चौदह वर्षों तक खूंखारी वन में जिसका धाम था मन-मन्दिर में
read moreShikha Mishra
धरा हो तुम, स्वधा हो तुम जगतजननी अम्बा हो तुम, गौरी हो तुम, शिवा हो तुम हम बच्चों की मां हो तुम। भूमिजा हो तुम, शैलजा हो तुम हम भक्तों की तो पूजा हो तुम गिरिजा हो तुम, वसुधा हो तुम सर्वत्र पूज्य जगदंबा हो तुम। #durgapuja Best YQ Hindi Quotes #smbhakti #devotion #matarani #prayer #yqhindi #paidstory2 धरा हो तुम, स्वधा हो तुम जगतजननी अम्बा हो तु
#Durgapuja Best YQ Hindi Quotes #smbhakti #devotion #matarani #prayer #yqhindi #paidstory2 धरा हो तुम, स्वधा हो तुम जगतजननी अम्बा हो तु
read moreVikas Sharma Shivaaya'
ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट: ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता है, वहां कभी भी कोई अनिष्ट नहीं होता। खुशहाली और सकारात्मकता का माहौल हर तरफ रहता है। शत्रु और रोगों पर विजय- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा। "सुन्दरकांड" सुन्दरकांड में 526 चौपाइयाँ, 60 दोहे, 6 छंद और 3 श्लोक है। सुन्दरकांड में 5 से 7 चौपाइयों के बाद 1 दोहा आता है। हनुमानजी वानरों को समझाते है- जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥ तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई॥1॥ जाम्बवान के (सुन्दर, सुहावने) वचन सुन कर हनुमानजी को अपने मन में वे वचन बहुत अच्छे लगे और हनुमानजी ने कहा की – हे भाइयो!आप लोग कन्द, मूल व फल खाकर समय बिताना, औरतब तक मेरी राह देखना, जब तक कि मैं सीताजी का पता लगाकर लौट ना आऊँ॥1॥ श्रीराम का कार्य करने पर मन को ख़ुशी मिलती है- जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥ यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा॥2॥ जब मै सीताजीको देखकर लौट आऊंगा,तब कार्य सिद्ध होने पर मन को बड़ा हर्ष होगा॥यह कहकर और सबको नमस्कार करके,रामचन्द्रजी का ह्रदय में ध्यान धरकर,प्रसन्न होकर हनुमानजी लंका जाने के लिए चले 2॥ हनुमानजी ने एक पहाड़ पर भगवान् श्रीराम का स्मरण किया- सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥ बार-बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी॥3॥ समुद्र के तीर पर एक सुन्दर पहाड़ था। हनुमान् जी खेल से ही कूद कर उसके ऊपर चढ़ गए॥ फिर वारंवार रामचन्द्रजी का स्मरण करके,बड़े पराक्रम के साथ हनुमानजी ने गर्जना की॥ हनुमानजी, श्रीराम के बाण जैसे तेज़ गति से, लंका की ओर जाते है- जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥ जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना॥4॥ जिस पहाड़ पर हनुमानजी ने पाँव रखे थे,वह पहाड़ तुरंत पाताल के अन्दर चला गया और जैसे श्रीरामचंद्रजी का अमोघ बाण जाता है,ऐसे हनुमानजी वहा से लंका की ओर चले॥ मैनाक पर्वत का प्रसंग: समुद्र ने मैनाक पर्वत को हनुमानजी की सेवा के लिए भेजा- जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥5॥ समुद्र ने हनुमानजी को श्रीराम का दूत जानकर मैनाक नाम पर्वत से कहा की –हे मैनाक, तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो,इनको ठहरा कर श्रम मिटानेवाला हो,॥ मैनाक पर्वत हनुमानजी से विश्राम करने के लिए कहता है- सिन्धुवचन सुनी कान, तुरत उठेउ मैनाक तब। कपिकहँ कीन्ह प्रणाम, बार बार कर जोरिकै॥ समुद्रके वचन कानो में पड़ते ही मैनाक पर्वत वहांसे तुरंत ऊपर को उठ गया,जिससे हनुमानजी उसपर बैठकर थोड़ी देर आराम कर सके और हनुमान जी के पास आकर,वारंवार हाथ जोड़कर, उसने हनुमानजीको प्रणाम किया॥ 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट: ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता ह
ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट: ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता ह
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