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muntashir__absek
गैरों की नवाज़िश ,अपनों से बेरुखी रखते है। औरो को सलाम ,अपनों को बदनाम किया करते है।। ये बुजुर्ग भी ना जनाब ,इज्जत की खातिर क्या क्या किया करते है। रितियो संग कुरीतियां
रितियो संग कुरीतियां
read morevineetapanchal
BeHappy सामाजिक कुरीतियों में 'ढोंग प्रथा' हास्यप्रद हैं इसमें घर के भीतर असामाजिक इंसान घर के बाहर सामाजिकता का ढोंग करता हैं ©vineetapanchal #कटाक्ष #हास्यप्रद #ढोंग_प्रथा #कुरीतियां
#कटाक्ष #हास्यप्रद #ढोंग_प्रथा #कुरीतियां
read moreLOL
किसी नूपुर सी बजती ज़िन्दगी उसकी छन छन छन छन यदि हो जाता इस साल ब्याह उसका अपना लेता कोई उसे यथारूप लेकिन हर कोई चाहता है सिर्फ चाँदनी चाँद की अपनाना नहीं चाहता कोई उसे दाग के साथ! अपनी नैतिकता के चलते छिपाना नहीं चाहती वो देह के सफेद दागों को होने वाले कान्त से पर क्या करे विवश है परिस्थितियों के सम्मुख परिवार में तीन बहनें और भी तो हैं सो बताएगी नहीं उनके आड़े आएगी नहीं पी जाएगी भविष्य की हर पीड़ा वर्तमान में पर शायद ये छल नहीं है जवाब उस समाज को जो दिखावा तो करता है बहुत और बहुत आगे बढ़ जाने का पर त्याग ना सका संकीर्ण सोच को अब तक स्वीकार ना कर सका सिर्फ आत्मा को..!! माना कि विवश आज है पर चाँद फ़िर भी चाँद है.. ©KaushalAlmora #विवश #कुरीतियां #चाँद #Agirlwithwhitepatches #रोजकाडोजwithkaushalalmora #yqdidi #life #दाग
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read moreअधुरी कहानी (T.S Eli@t)
नहीं मांगतें धन और दौलत, ना चाँदी न सोना माँ तभी एक नई वाली 100 की कड़कती नोट पंडित जी की आरती वाली थाली में पड़ी, आगे की लाइन.................................... सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली दुखियों को दुःख से निवारती...................... रीतियों के साथ कुछ कुरीतियां Indeevar Joshi Sangita Gupta Renuka Singh 🇦 🇳 🇰 🇮 🇹 🇮🇳 🇲OTIVATIO🇳0️⃣6️⃣ AS_writes
रीतियों के साथ कुछ कुरीतियां Indeevar Joshi Sangita Gupta Renuka Singh 🇦 🇳 🇰 🇮 🇹 🇮🇳 🇲OTIVATIO🇳0️⃣6️⃣ AS_writes
read moreVandana Rana
लिखने को तो बहुत कुछ लिखती हूँ मैं, लेकिन कभी-कभी मेरी बातो के कोई मायने नहीं होते, जो मैं अपने ही भीतर की कुरीतियां को पहचान सकूँ, शायद कायनात में ऐसे आईने नहीं होते! लिखने को तो बहुत कुछ लिखती हूँ मैं, लेकिन कभी-कभी मेरी बातो के कोई मायने नहीं होते, जो मैं अपने ही भीतर की कुरीतियां को पहचान सकूँ, शायद काय
लिखने को तो बहुत कुछ लिखती हूँ मैं, लेकिन कभी-कभी मेरी बातो के कोई मायने नहीं होते, जो मैं अपने ही भीतर की कुरीतियां को पहचान सकूँ, शायद काय
read morepoetry by heart
#RepublicDay nojoto जब तक देश की बेटी महफूज नहीं ,जब तक हिंदू मुस्लिम का भेदभाव खत्म नहीं जब तक समाज में फैलने वाला कुरीतियां खत्म नहीं तब
read moreSatpal Das
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य ◆ आध्यात्मिक मार्ग पर फैले पाखंडवाद को समाप्त करना है। ◆ सभी प्रमाणित धर्म ग्रंथों के आधार पर शास्त्रा
read moreDivya Joshi
#MessageOfTheDay शोर से दूर…खुद में मशहूर… दिखे जहां,स्वयं में अपना नूर… हो ऐसा नया दस्तूर… चल…वहाँ जाते हैं… द्वेष हो न जहाँ… साथ खो न जहाँ… कोई हो न जहाँ… चल… वहां जाते हैं… रहें खुदी में मस्त… कुरीतियां जहां हो सकें ध्वस्त… "मण-भर" खुशी से आश्वस्त… चल…वहां जाते हैं… मन तरंगिनियाँ खुल के लहराए… उम्मीद अपना गीत गाए… अपना चित्र आप बनाए… चल…वहाँ जाते हैं… ©Divya Joshi शोर से दूर…खुद में मशहूर… दिखे जहां,स्वयं में अपना नूर… हो ऐसा नया दस्तूर… चल…वहाँ जाते हैं… द्वेष हो न जहाँ… साथ खो न जहाँ… कोई हो न जहाँ…
शोर से दूर…खुद में मशहूर… दिखे जहां,स्वयं में अपना नूर… हो ऐसा नया दस्तूर… चल…वहाँ जाते हैं… द्वेष हो न जहाँ… साथ खो न जहाँ… कोई हो न जहाँ…
read moreNisheeth pandey
रिश्ता अब रिश्तों की जड़ काट रहें हैं , अपने अपनो में जहर बाँट रहे हैं , भूख मिटती नहीं लालच की, रिश्ते अपने दूरकर ,कुत्ते से मुँह चाटवा रहें हैं । ख़ून ख़ून मुहब्बत की जड़ काट रहे हैं , जुबान अपनो के लिये ज़हर उगल रहे हैं , तहरिस निगल रहीं सारे रिश्ते नाते मानव की, कंक्रीट की औकाद से बड़ी दीवारें तन्हा चाट रहे हैं । बादलों से अब कुरीतियां मानो बरसने लगी है , भेड़ियों की आँधियां बढ़ने लगी है, नन्हीं- मुन्नी तितलियां भी अब तो बेख़ौफ़ नहीं , छः आठ साल की पाक रूह हवस की भेंट चढ़ने लगी है। लूट लो चाहे कितना भी, काफी नहीं है ? जन्नत यहीं जहन्नुम यहीं तेरे करर्मों की भोग यहीं है , माना नोंच लिया है सब रोम रोम अपनो के अपनों ने, घात छोड़ा जो अगली पीढ़ी के लिये नफ़रत काफी नहीं है। #निशीथ ©Nisheeth pandey #Problems रिश्ता अब रिश्तों की जड़ काट रहें हैं , अपने अपनो में जहर बाँट रहे हैं , भूख मिटती नहीं लालच की, रिश्ते अपने दूरकर ,कुत्ते से मुँ
#Problems रिश्ता अब रिश्तों की जड़ काट रहें हैं , अपने अपनो में जहर बाँट रहे हैं , भूख मिटती नहीं लालच की, रिश्ते अपने दूरकर ,कुत्ते से मुँ
read morePoonam Ritu Sen
"अनभिज्ञता का आवरण लिए अब और चुप नहीं बैठ सकते हम" I performed this poetry on Raipur's 2nd OPEN MIC, Read full poetry in caption ( सभी प्रकार के सामजिक बुराइयों और कुरीतियों को एक ही कविता में पिरो कर एक तरह की खिचड़ी लिखने की कोशिश मैंने की है ) लिप्त हैं आज हमारे समाज मे हजारो बुराइयाँ लाखों में कुरीतियां उनमें से- कुछ छपती है अखबारों में कुछ दिख जाती है आम बाजारों में कुछ बिकती है
लिप्त हैं आज हमारे समाज मे हजारो बुराइयाँ लाखों में कुरीतियां उनमें से- कुछ छपती है अखबारों में कुछ दिख जाती है आम बाजारों में कुछ बिकती है
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