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Stories related to कैदी कोमल मधुर

harshit tyagi

मधुर सुप्रभात आप सभी का दिन शुभ हो

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White वक्त कह रहा है कुछ वक्त शांत होकर गुज़ार लो,
शोर करने का भी एक दिन वक़्त आएगा... ।

©harshit tyagi मधुर सुप्रभात
आप सभी का दिन शुभ हो

Rajkumar Siwachiya

कोई कोमल सा बदन तेरा चूस जागा कोई बहाना लेकय फेर वो रूस जागा ✨🙂✨🥷🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️ ♠️ #diwali_wishes #rajkumarsiwachiya oyed

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White  ना पालय तू ख़्वाब 
तेरा टूट जागा 
कोई बनकय सपेरा 
मणि लूट जागा 
दुनिया तै विश्वास 
तेरा उठ जागा 
फेर जीन म पसीना 
तेरय छुट जागा 
कोई फ्री के नजारे
बैरी कुट जागा 
कोई कोमल सा बदन 
तेरा चूट जागा 
कोई बहाना लेकय फेर 
वो रूठ जागा
कोई नया फेर भलान 
तनय जुट जागा
तनय नोचन फेर लेकय 
आ वो गुट जागा 
न्यू बार बार होता 
यो सुट जागा 
तनय हर दफा लागता 
सच झूठ जागा
सारा जीवन तेरा 
दर्द में घुट जागा
✨🙂✨🥷🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️ ♠️

©Rajkumar Siwachiya कोई कोमल सा बदन 
तेरा चूस जागा 
कोई बहाना लेकय फेर 
वो रूस जागा
✨🙂✨🥷🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️ ♠️ 
#diwali_wishes #rajkumarsiwachiya #oyed

बेजुबान शायर shivkumar

Kshitija Sana naaz puja udeshi angel rai poonam atrey हिंदी कविता कविता कोश कविता कविताएं हिंदी कविता *"#आत्मविश्वास का दिया...."*

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*" आत्मविश्वास का दिया.... "*

पत्थर की तरह अडिग रहना,
फूलो की तरह कोमल रहना।
जिन्दगी को जीना है हर दिशा में,
बाधाओं से लड़ने का जज़्बा रखना।

मुश्किलों के दौर आते रहेंगे,
विपदाओ से घिरते हुए रहेंगे।
कठिन पलो में भी ए इन्सान,
मुस्कुराहट का दामन पकड़े रखना।

कोई किसी के काम आए
कोई किसी को अपना जाए,
दिन हो या हो रात हृदय में,
ऐसे सपने सदा सजाए रखना।।

बुरे से बुरा मिल जाए जब,
परेशान हैरान कर जाए तब।
अपने आत्मविश्वास के दिए से,
ज्योत हर जिगर में जलाए रखना।

ये जीवन-दर्शन एक अविराम है,
बदलता हर पल एक नकाब है।
वक्त के हाथो कठपुतली है सभी,
जैसा नचाए तुम नाचते रहना।।

©बेजुबान शायर shivkumar  Kshitija  Sana naaz  puja udeshi  angel rai  poonam atrey  हिंदी कविता कविता कोश कविता कविताएं हिंदी कविता


*"#आत्मविश्वास का दिया...."*

बेजुबान शायर shivkumar

#navratri #navratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #navratri2027 #नवरात्रि भक्ति गीत भक्ति ऑडियो गाना भक्ति सागर हिंदी भक्ति गाना भक्ति स

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माँ दुर्गा का अष्टम स्वरूप माँ महागौरी

सबके बिगड़े काज बनाती,
अष्टमी के दिन पूजी जाती।
दुर्गा का अष्टम स्वरूप,
माँ महागौरी उनका रूप।

चार भुजादारी माँ महागौरी,
हाथ विराजे त्रिशूल, डमरु।
उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्ण,
श्वेत वस्त्र, श्वेत आभूषण।

वाहन गौरी का श्वेत बैल,
हे श्वेतांबर धरा तुमको नमन।
शांत मुद्रावली माँ महागौरी,
महादेव सँग विराजे महामाई।

करुणामयी, स्नेहमयी माता,
ममता की मूरत है माता।
हर लेती समस्त पापों को,
मन से पूजन करे भक्त जो।

श्वेत पुष्प अर्पित करें माँ को,
नारियल पकवान भोग लगाएं माँ को।
कन्या पूजन भक्त हैं करते,
जयकारे मैया के सब लगाते।

माँ महागौरी आशीष हमे दो,
पुकार भक्तों की आप सुन लो।

©बेजुबान शायर shivkumar #navratri #navratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #navratri2027 #नवरात्रि 
 भक्ति गीत भक्ति ऑडियो गाना भक्ति सागर हिंदी भक्ति गाना भक्ति स

Srinivas

मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है।

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मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है।

©Srinivas मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून

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दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।।
कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार ।
जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।।
कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम ।
तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।।
रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल ।
रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।।
आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क ।
मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।।
जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश ।
कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।।
जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात ।
वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।।
मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद ।
तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।।
मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ ।
अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।।
मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान ।
जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।।
तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव ।
वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।।
मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार ।
पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।।
मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान ।
उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून

Ashraf Fani

तू संग रहे तो वन भी सुन्दर लगता है बातें प्यारी करे तो मन भी सुन्दर लगता है तू बांध रखे आज़ाद रखे प्रेम में कैदी जीवन है तो प्रेम का कैदी ज

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Dinesh Sharma Jind Haryana

मधुर वाणी

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White कौआ कोयल की आवाज को
दबा सकता है 
लेकिन कोयल जैसी मधुर वाणी
नहीं बोल सकता

©Dinesh Sharma Jind Haryana मधुर वाणी

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब

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White दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार ।
बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।।
कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार ।
तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।।
हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद ।
गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द ।
हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान ।
हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।।
सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार ।
आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।।
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान ।
ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब

Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

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White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति
आज कविता
जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
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