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Vikas Sharma Shivaaya'

खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, व

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खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, वो भी काशी के मणिकर्णिका (श्मशान) घाट पर-  रंग एकादशी के दूसरे दिन काशी में स्थित श्मशान पर भी चिताओं की भस्मी के साथ होली खेलने की भी एक अनूठी परंपरा भी है,पौराणिक कथाओं के अनुसार इस परंपरा की शुरुआत शंकरजी से ही मानी जाती है...,

मान्यताओं के अनुसार- जब भगवान शिव, पार्वती का गौना करने के लिए आये थे तो उनके साथ भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व, किन्नर जीव जंतु आदि नहीं थे, जिनके लिए श्मशान पर चिताओं की भस्मी से होली खेले जाने की परंपरा को बनाया गया...,

लखि सुंदर फागुनी छटा के, मन से रंग-गुलाल हटा के,
चिता, भस्म भर झोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह गीत अड़बंगी भोले बाबा के विचित्र होली की तस्वीर पेश करता है-गाया है बनारस घराने के मशहूर ठुमरी गायक 'पद्म विभूषण' पंडित छन्नूलाल मिश्र ने...,

'श्मशान' जीनवयात्रा की थकान के बाद की अंतिम विश्रामस्थली है-अंतिम यात्रा के दौरान रंग-रोली तो शव को लगाया जाता है लेकिन नीलकंठ देव के चरित्र में इस समय रंग गुलाल नहीं है, जली हुई चिताओं की राख है, जिससे वो होली खेलते हैं...,

गोप न गोपी श्याम न राधा, ना कोई रोक ना, कौनऊ बाधा
ना साजन ना गोरी, ना साजन ना गोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
 
एक तरफ बृज में कृष्ण और राधा की होली है जो प्रेम का प्रतीक है, लेकिन भगवान शिव की होली उनसे अलग है, उनकी जगह श्मशान है-शंकर जी के होली को देखकर गोपिकाओं का मन भी प्रसन्न हो जाता है-अड़बंगी महराज के साथी भूत-प्रेत हैं, रंगों की जगह जली हुई चिताओं की राख है जिससे वो नाचते-गाते भूतों पर मल देते हैं, 

नाचत गावत डमरूधारी, छोड़ै सर्प-गरल पिचकारी
पीटैं प्रेत-थपोरी दिगंबर खेलैं मसाने में होरी
भूतनाथ की मंगल-होरी, देखि सिहाए बिरिज की गोरी
धन-धन नाथ अघोरी दिगंबर, खेलैं मसाने में होरी 

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज993 से 1000 नाम  )
993 शंखभृत् जिन्होंने पांचजन्य नामक शंख धारण किया हुआ है
994 नन्दकी जिनके पास विद्यामय नामक खडग है
995 चक्री जिनकी आज्ञा से संसारचक्र चल रहा है
996 शार्ङ्गधन्वा जिन्होंने शारंग नामक धनुष धारण किया है
997 गदाधरः जिन्होंने कौमोदकी नामक गदा धारण किया हुआ है
998 रथांगपाणिः जिनके हाथ में रथांग अर्थात चक्र है
999 अक्षोभ्यः जिन्हे क्षोभित नहीं किया जा सकता
1000 सर्वप्रहरणायुधः प्रहार करने वाली सभी वस्तुएं जिनके आयुध हैं

हे भगवान् नारायण हमारी रक्षा कीजिये,वही विष्णु भगवान् जिन्होंने वनमाला पहनी है,जिन्होंने गदा, शंख, खडग और चक्र धारण किया हुआ है,वही विष्णु हैं और वही वासुदेव हैं...

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, व

kishor

#flowers चेतन पंडित देदला Anshu writer Dr. Sonia shastri डॉ.अजय मिश्र

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 घर से निकलकर क्या होगा l
 यारों से मिलकर क्या होगा l
औरों से मिलने जैसे  ना रहे l
ऐसे  मिलने  से क्या होगा ।l

जान हो तुम इक दूजे की l
इक दूजे में  तुम रहते हों 
तो खुद को बचाना काफी हें। 
फिर उसको बचाकर क्या होगा।l

घर में बैठो शान से तुम। 
परिवार की जान हो तुम ।
अभी उम्र नहीं वहां जाने की। 
शमशान में जाकर क्या होगा।l

मुझको तो तुम प्यारे हो। 
अगर मैं भी तुमको प्यारा हूं। 
रहें प्यार से खुशी खुशी हम। 
*किशोर*को रुलाकर क्या होगा।l

©kishor
  #flowers  चेतन पंडित देदला  Anshu writer  Dr. Sonia shastri डॉ.अजय मिश्र

kishor

#flowers चेतन पंडित देदला Anshu writer Dr. Sonia shastri डॉ.अजय मिश्र

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घर से निकलकर क्या होगा l
 यारों से मिलकर क्या होगा l
औरों से मिलने जैसे  ना रहे l
ऐसे  मिलने  से क्या होगा ।l

जान हो तुम इक दूजे की l
इक दूजे में  तुम रहते हों 
तो खुद को बचाना काफी हें। 
फिर उसको बचाकर क्या होगा।l

घर में बैठो शान से तुम। 
परिवार की जान हो तुम ।
अभी उम्र नहीं वहां जाने की। 
शमशान में जाकर क्या होगा।l

मुझको तो तुम प्यारे हो। 
अगर मैं भी तुमको प्यारा हूं। 
रहें प्यार से खुशी खुशी हम। 
*किशोर*को रुलाकर क्या होगा।l

©kishor #flowers  चेतन पंडित देदला  Anshu writer  Dr. Sonia shastri डॉ.अजय मिश्र

kishor

#shaheeddiwas चेतन पंडित देदला Savita Veer Ujjwal Srivastava Author shivam kumar mishra डॉ.अजय मिश्र

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Full of Ambition and hope 

 हे धन्य भगत सिंह राजगुरु सुखदेव तुम्हारे सीने को ।
देकर प्राणों की आहुति दे दिया भारत जीने को l
लेकिन वह बलिदानी ,गाथाएं जाने कहां
गई । 
जिस फंदे से झूले थे तुम, रस्सी जाने कहां गई।

©kishor #shaheeddiwas  चेतन पंडित देदला  Savita Veer Ujjwal Srivastava Author shivam kumar mishra डॉ.अजय मिश्र

kishor

चेतन पंडित देदला Kavi Mahesh Dangi Bhopawar Prem Lata Solanki डॉ.अजय कुमार मिश्र Anshu writer

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White दौलत में चमचा तो इज्जत में आगे,

वफादार हो गया ।

महकता तो इतर भी है लेकिन खुशबू में आगे किरदार हो गया।

©kishor चेतन पंडित देदला  Kavi Mahesh Dangi Bhopawar Prem Lata Solanki डॉ.अजय कुमार मिश्र Anshu writer

kishor

Anshu writer डॉ.अजय कुमार मिश्र Prem Lata Solanki Kavi Mahesh Dangi Bhopawar चेतन पंडित देदला

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करें योग,रहे निरोग । 

रोगों को करें परास्त। 

ये ही एक बृह्मास्त्र। 

यही पूजा यही भोग।

©kishor Anshu writer डॉ.अजय कुमार मिश्र Prem Lata Solanki Kavi Mahesh Dangi Bhopawar चेतन पंडित देदला

Arora PR

पंडित

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Vishjosh Bhandana

पंडित

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प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

बह रही उल्टी हवाए, 
बहे कब तक ये बहेंगी,
देखता हु मै भी, 
भिड़े कब तक ये भिड़ेंगी! 
जब मुझे चलना ही है, 
लक्ष्य पर बढ़ना ही है!! 
तो मै ऐसी राह पर 
कयु रुकु मै क्यु थमु!! 
#मैंने कुछ ऐसा सोचा है #पंडित

प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

नजर बस झुका लिया करो, जरूरी नही की 
तुम सरमाया करो , 
अरे आने वाले वक्त का कलंदर तेरे साथ है,, 
थोड़ा तो इतराया करो!!! #पंडित
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