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Stories related to परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ

khushal tibude

परमात्मा एक

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Rajkumar Tiwari(Prince)

परमपूज्य महाराज जी।

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Jadhav Vivek 9881218226 8975771146

नवयुवक मिञ मंडळ

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 नवयुवक मिञ मंडळ

Bajrang Pise

परमात्मा एक शायरी

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Ajay Kumar

प्रधान सेवक से एक सवाल

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Alone  हमारे प्रधान सेवक जी को 
इस देश की फ़िक्र हे क्या 
सफाई कर्मचरियो 
की चिंता है उनको करोना 
वाइरस नहीं लगेगा 
 Arjaykumar प्रधान सेवक से एक सवाल

gio creation

अगला प्रधान सेवक एक किसान हो #farmersprotest

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दिल से बस यही दुआ माँगता हूँ
सियासत की कुर्सी पर किसान मांगता हूँ।
बेदम निकली चाय की प्याली
मैं कलम से हल का हिसाब माँगता हूँ।।

©gio creation अगला प्रधान सेवक एक किसान हो

#farmersprotest

रामसेवक मीना

#सेवक

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"आजकल,
प्यार में प्यार का मज़मून नहीं है,
लोग हसरतें तो पूरी कर रहें हैं,
पर सुकून नहीं है।"
     ........ ✍️'सेवक'

©रामसेवक मीना #सेवक

रामसेवक मीना

सेवक

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"सपना, जो सोच से थोड़ा बड़ा हो गया,
तो सफर सामने आकर खड़ा हो गया,
पहले जैसी अब वो रातों में आती ही नहीं,
लगता है नींद का रात से झगड़ा हो गया।"
                            ......... ✍️'सेवक'

©रामसेवक मीना सेवक

Manish Kumar Savita

#सेवक

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गर सभी सफेद पोशाक वाले
जनता के सेवक होते
तो यकीन मानो गरीबों
तुम लोग पैदल न चल रहे होते।।
#Manish Kumar Savita #सेवक

Shreya Joshi

शिव सेवक

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एक गांव में एक किसान अपने चार बेटों के साथ रहता था. उसके पास खेत का एक छोटा टुकड़ा था.जिस पर कड़ी मेहनत करने के बाद भी ज्यादा अनाज उत्पन्न नहीं होता था.उसके चारों बेटे भी उसकी मदद किया करते थे. पर फिर भी मेहनत के अनुरूप अनाज नहीं मिलता था. पर जो भी उगता था, उसे बेचकर जो पैसे मिलते उनसे घर चलाना मुश्किल था. इसलिए वह दूसरों के खेतों में भी काम किया करता था ,जिससे घर आसानी से चल सके.
उसका सबसे छोटा बेटा सोहन बचपन से ही शिव जी का भक्त था, पर घर की आर्थिक स्थिति बहुत सुदृढ़ ना होने के कारण वह कोई मूर्ति खरीदने के बजाय, अपने खेत की मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा पूरी श्रद्धा से किया करता था. खेत में काम करना हो या फिर कहीं और वह निरंतर शिव नाम का जाप किया करता था. उसकी इस श्रद्धा को देखकर शिव जी ने प्रसन्न होकर उसे एक वरदान देने का निश्चय किया पर उससे पहले वे उसकी ईमानदारी की परीक्षा लेना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उसके खेत में कुछ सोने के सिक्के बिखेर दिए, और उसकी प्रतिक्रिया जानने के लिए अपनी शक्ति से कुछ ऐसा कर दिया की सिक्के केवल उसे ही दिखाई दें
वह सुबह जब खेत में आया तब सिक्के देखकर आश्चर्यचकित रह गया, पर उन सिक्कों को हाथ नहीं लगाया और शिव जी का नाम जपता हुआ अपने काम में लग गया.उस रात शिवजी उसके सपने में आए और उन सिक्कों को हाथ ना लगाने का कारण पूछा तब उसने कहा कि प्रभु! आपकी कृपा से मेहनत के फल स्वरुप खाने भर को अनाज मिल जाता है, और मेरे मन में सोने चांदी की लालच नहीं है.
और जिस वस्तु की मुझे आवश्यकता नहीं होती मैं उसे हाथ नहीं लगाता शिवजी उसकी भक्ति से तो पहले ही प्रसन्न थे अब उसकी इमानदारी से भी प्रभावित हो चुके थे.और उससे एक वरदान मांगने को कहा उसने कहा प्रभु मैं केवल इतना चाहता हूं की जिस पंडिका को आपका स्वरूप मानकर पूजता हूं,आप उस में विराजमान हो जाए ताकि मैं साक्षात आपकी सेवा कर सकूं.
शिव जी तथास्तु कह कर चले गए वह सब जब सुबह उठे तो देखा कि झोपड़ी एक सुंदर बंगले में बदल गई है.घर के उस कोने में जहां सोहन पूजा किया करता था,वहां एक सुंदर मंदिर बन गया है.
यह सब देखा तब सोहन ने सबको अपने सपने के बारे में बताया तब सब ने हर हर महादेव के घोष के साथ गांव में भंडारा करने का निश्चय किया.

भक्तों के निश्चल भक्ति के आगे ईश्वर को भी झुकना पड़ता है.
© kalyani

©Shreya Joshi शिव सेवक
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