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Shailendra Singh Yadav
दुख दर्द में हैं जी रहे दुख दर्द को कोई न समझा कैसा है बेदर्द जमाना। लाख कोशिश की वक्त भी बदला नहीं किसी से क्या कहना क्या बताना। किस्मत ने साथ दिया होता तो आज कल जो आज बिगड़ा न बिगड़ता। घाव कितने हो गए हैं वक्त के हालात बिगड़े फिर भी न छ़ोड़ा दुनिया ने सताना। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी बेदर्द जमाना
शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी बेदर्द जमाना
read moreshivanshu
ऐ खुदा, कैसे कर लूँ यक़ीन कि तू है? वो जा रहा, पर तूने रोका तो नहीं, वो रो रहा था, पर तूने हसाया तो नहीं, वो नफ़रत जब करने लगा था मुझसे, तो दो पल ही सही, मोहब्बत करने की मोहलत तो देता तू उसे, वो आया वापस, उठाया पलकों पे, और फिर रौंद दिया कदमों के तले, अब जान गई हूँ शायद, तू उसके लिए तो है, पर मेरे लिए नहीं। ©shivanshu #बेदर्द
Sandeep Agarwal
नाज़ुक सा दिल था हमारा जिसे वो खिलौना समझ रही थी जब तक दिल चाह खेली दिल भर गया उसका तोड़ उस खिलौने को नई के तलाश में चल पड़ी........ बेदर्द
बेदर्द
read moreCK JOHNY
दर्द बेहतर था बेदर्द से साथ तो रह गया। छोड़ा न उसने कभी तन्हा। गीत गजल दिलकश किस्सों की बेशुमार दौलत दे गया। सुन के जिसे बेदर्दी भी रो दिया। दर्द बेहतर था बेदर्द से साथ तो रह गया। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ बेदर्द
बेदर्द
read moreSHANU KI सरगम
चाहो तो आजमा लो उफ तक नहीं करेंगे, बेदर्द दर्द चाहे तुम बेहिसाब दे दो। शानू शर्मा ©SHANU KI सरगम बेदर्द
बेदर्द
read moreसंजीव निगम अनाम
बेदर्द जो है तू नही थोड़ी इनायत कर, लफ्जो को दे लगाम जुंबा को हिदायत कर। (१) बरसो ही निभ गया था जब रिश्ता करीब का, छोड़ो न उसको इस कदर दिल से हिमायत कर। (२) पैट्रोल पी रहा हो जब बच्चो के दूध को, चादर समेट खर्च में थोड़ी किफायत कर। (३) बंदूक तान बैठे है मज़हब के रहनुमां, हे ईश जो तू है कहीं थोड़ी रियायत कर। (४) लंबी सड़क पे गुस्से की चलना फिजूल है, कुछ देर थम के बैठ जा इसमें निरायत कर ©Sanjiv Nigam #बेदर्द
Mamta kumari
मैंने किसी को खुद से भी ज्यादा चाहा था उसके एक मुस्कान के लिए कितने कष्टो को सहा था लेकिन उस बेदर्द ने मेरी नही किसी ओर की तस्वीर दिल मे सजा रखा था । बेदर्द ।
बेदर्द ।
read moremanoj bora
तो क्या होता जो तुम होते हम शायद थोड़ा हँस लेते दर्द ये कुछ कम सा हो जाता हम शायद सब सह लेते।। क्या होता जो तुम होते आंसू ये कुछ कम से होते चीखें ये कुछ थम सी जाती जरूर हम ना अंदर से पत्थर होते ।। तो क्या होता जो तुम होते हम होते जो तुम होते तुम होते बस तुम होते।। बेदर्द
बेदर्द
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