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pramod malakar
बंजर भूमि का चमकता सितारा - 4 ******************************* डॉ सुनीता चाय पी रही थी और अपने पति रणवीर के बातों को सुन भी रही थी । पति के द्वारा बेटा अनुप के उज्ज्वल भविष्य के लिए नौकरी छोड़ने के लिए कहने पर सुनीता का हंसमुख चेहरा मुर्झा जाता है । रणबीर अपने पत्नी के चेहरे को ध्यान से देख रहा था , वह काफी बेचैन नज़र आ रही थी । यह सब देखकर रणबीर अपने बातों को बदलते हुए मजाकिया मूड में आ गया ........ और बोला ..... क्या बात है आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो ! तुम्हारे काले - काले जुल्फें और सितारों सा चमकता तुम्हारे दोनो नैन .......ठंढ़ हवा , बरसात का मौसम ..............यह सब सुन कर सुनीता खिलखिला कर हंस देती है । बारिश भी धीरे - धीरे कम हो रही थी , हवा भी शांत हो चुका था । इधर बेटा अनुप अपने मां से बोलता है.....मम्मी खाना खाएंगे....यह सुनकर सुनीता पति से बोलती है....सुनिए न ......आज कहीं बाहर किसी रेस्टोरेंट में खाना खा लेते हैं ,अनुप को भी भुख लगी है...समय भी ज्यादा हो चुका है। अब खाना बनाने का भी दिल नहीं कर रहा है । डाक्टर रणबीर कहता है ....कहां चलना है...सुनीता .........किसी अच्छे रेस्टोरेंट में चलो......भगवान इन्द्रदेव हम दोनों पर मेहरबान हैं.........यह कहते हुए पति पत्नी दोनों आसमान कि ओर देखते हुए हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं । फिर दोनों पति-पत्नी एक साथ बोल पड़ते हैं.....इन्द्र देव जी आज हम दोनों पति - पत्नी फुर्सत में हैं......इसके लिए आप को बहुत - बहुत धन्यवाद । इतना कहकर गैरेज से कार निकालता है और दोनों अपने बेटे अनुप के साथ कार में बैठ कर शहर कि ओर खाना खाने के लिए चला जाता हैं । ************************ प्रमोद मालाकार की कलम से *************************** कहानी लगातार पेज -5 ©pramod malakar #बंजर भूमि का चमकता सितारा - 4
#बंजर भूमि का चमकता सितारा - 4
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बंजर भूमि का चमकता सितारा - 1 *************************** एक मजदूर शाम के वक्त काम करके पैदल अपना घर लौट रहा था,अचानक एक व्यक्ति ने आवाज लगाते हुए कहा मंगरू घर जा रहे हो .... मंगरू ने जवाब देते हुए कहा ..... जी साहब । फिर उस व्यक्ति ने कहा .......मंगरू मेरे घर में छोटा मोटा काम है कल आकर कर देना और जो पैसा होगा मैडम से ले लेना ....... मंगरू बोला ... जी मालिक .... इतना बोल कर आगे बढ़ गया। आवाज देने वाला व्यक्ति गांव का हीं एक अमीर आदमी जो सरकारी अस्पताल में पति - पत्नी दोनों डाक्टर था । पति का नाम डॉ रणवीर और पत्नी का नाम डॉ सुनीता था । दोनों सभ्य और मेहनती थें। इन दोनों में सिर्फ एक कमी थी .......... ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना । इसी वजह से दोनों मोहतरमा अपने तीन वर्ष के बेटे को नौकरानी के भरोसे छोड़ कर रात दिन अस्पताल तथा प्राईवेट प्रेक्टिस में लगे रहते थें। लाखों रुपए महिने कि कमाई लेकिन खाने वाला सिर्फ तीन लोग। इधर मंगरू जैसे हीं अपना घर पहुंचता है ............... मंगरू का चार साल का बेटा विकास तुतलाते हुए बाबा - बाबा बोलते हुए अपने पिता मंगरु का दोनों पैर पकड़ कर लिपट जाता है ........ और कहता है ....... बाबा अमतो तिताब ला दो ....... इततूल दाएंगे ....... बेटे का बात सूनकर मंगरू बेटे को खुशी से गोद में उठा कर प्यार करने लगता है । विकास कि मां भी दुसरों के घर में साफ सफाई का काम करती थी , इस कारण अभी तक वापस अपने घर नहीं आई थी । ____________________ प्रमोद मालाकार की कलम से --------------------------------- कहानी लगातार पेज २ ©pramod malakar #बंजर भूमि का चमकता सितार-1
#बंजर भूमि का चमकता सितार-1
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2 फरवरी को दुनिया विश्व वेटलैंड दिवस मनाती है इस बार संयुक्त राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है इसके लिए बीते साल अगस्त में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित हुआ विश्व आंध्रभूमि दिवस की शुरुआत कैंपेनिया सागर के तट पर बसे ईरान के छोटे पर्यटन प्रदान शहर राम रस से हुई थी 2 फरवरी 1971 को ईरान के राम सागर में आंध्र भूमि संधि पर हस्ताक्षर किया गया 1977 में 2 फरवरी को आंध्र भूमि के महत्वपूर्ण के बारे में जन जागरूकता और संरक्षण के प्रयासों को बढ़ाने की दृष्टि से इस दिवस की शुरुआत हुई थी दुनिया में आंध्र भूमि का कुल क्षेत्रफल ढाई करोड़ वर्ग किलोमीटर है जो भारत के भू भाग को ही कम करता है यह एड्रेस क्या है जिसे के नाम से यह स्पष्ट है कि इन क्षेत्रों में मौसम में या फिर नियंत्रण वर्षा होती है भूजल पूरे वर्ष लगभग स्थल पर ही होता है यही प्रकार नामी या दलाली भूमि क्षेत्र आंध्र कहते हैं इसलिए क्षेत्रों में जलीय पौधों का अधिक विकास होता है पौधों और पशुओं की एक समृद्धि से भरी आंध्र भूखंडों की अन्य सभी तंत्रों की जय विविधता से अधिक समृद्ध होती है यही विशेषता इन अनमोल बनाती है हालांकि मन में एक लालच का अपना स्वाभाविक है कि हम ना कि वैलेंटाइन डे क्यों स्वीकार अधिक ठोस बनाएं खासकर उन शहरी परिवेश में जहां संपदा कम होती जा रही है ©Ek villain #आंध्र भूमि का संरक्षण जरूरी #friends
Harshit thakuriya
राजस्थानी वेशभूषा का विवरण IG : https://instagram.com/gumnam__shayar__?igshid=1trpf8gxb4egn
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बंजर भूमि का चमकता सितारा..... पेज - २ ************************************** अंधेरा हो चुका था , मंगरू अपनी पत्नी सुलेखा का बेसब्री से इंतजार कर रहा था । बेटा विकास को जोरों की भूख लगी थी । इधर मंगरू बेटे को भूखा देख खाना बनाने कि तैयारी में जुट गया । मंगरु चावलं की हांडी चूल्हा पर चढ़ाया हीं था कि पत्नी सुलेखा घर में प्रवेश करते हीं बोली हटिये खाना मैं बना लेती हूं...... मंगरु ...... तुम थक कर आई हो...... थोड़ा आराम कर लो , तब तक चावल बन जाएगा फिर तुम सब्जी बना लेना ........... इतना कहकर मंगरू घर से बाहर चला गया । इधर सुलेखा थोड़े देर के बाद खाना बनाने में लग गई । रात के लगभग नौ बज चुके थें , सुलेखा अपने बेटे विकास को खाना खिला रही थी ...............इसी वक्त मंगरु घर में प्रवेश करता है ..... बेटे को भोजन करता देख मंगरु अपने हाथों से खाना खिलाने लगा । मंगरु और सुनीता भी भोजन करके बेटे को साथ लेकर सोने चला गया । सुलेखा थकि रहने के कारण जल्द सो गई, लेकिन मंगरु को नींद नहीं आ रही थी ............, मंगरु के दिमाग में बार - बार अपने बेटे का तुतलाहट वाली आवाज में स्कूल जाने की इच्छा याद आ रही थी । बेटे को किस स्कूल में नाम लिखाना है , कितना पैसा लगेगा इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था । यही सब सोचते सोचते कब नींद आ गई पता ही नहीं चला । दो दिन बाद रविवार का दिन था , सुबह से हीं जोरों कि बारिश हो रही थी , बारिश तेज होने के कारण मंगरु और सुलेखा दोनों काम पर नहीं जा सका । मिटृटी और खपड़े का घर , तुफानी हवा और बारिश साथ - साथ होने से घर में पानी चू रहा था । एक कमरे का घर में मामूली सा कपड़ा , खाने पीने का सामान सब खाट पर रखा था और मंगरु अपने बेटे को गोद में लेकर पत्नी के साथ चुपचाप खाट पर बैठा हुआ था। ---------------------------------- प्रमोद मालाकार की कलम से _____________________ कहानी लगातार...पेज ...3 ©pramod malakar #बंजर भूमि का चमकता सितारा-2 #cactus
Mahadev Son
देवों के महादेव अनादि अदिपती उत्तपति इस्तिति संहार कर्ता त्रिलोकी स्वामी संसार ऱचयिता जगतपिता बैराग्य रूद्र भैरव पशुपति नाथ रूप सृष्टि स्त्रोत्र ज्योतिष शास्त्र, लय प्रलय के स्वामी स्वरूप प्रकीर्ति सामंजस बनाये गौरी शंकर परिवार जटा गंगधार सिर चंन्द्रमा सोहे, कंठ में विष सर्पो की गल माल, अमिर्तव्य व विष समेठे, हाथ में डमरू धुन नाचे दूजे त्रिशूल विकराल, पुरुष अर्धनारीश्वर एक गृहस्थ श्मशानवासी, वीतरागी वैरागी, सौम्य रुद्र रूप भूत-प्रेत, नंदी सिंह सवार, मयूर मूषक सभी समभाव! स्वयं द्वंद्वों से रहित सह-अस्तित्व समाये महान विचार परिचायक, सृष्टि संचालक मेरे महादेव महाकाल ! 🙏ॐ नमः शिवाय🙏 (M S Singh...✍️) ©Mahadev Son महादेव के स्वरूप विवरण
महादेव के स्वरूप विवरण
read morekarthikey poems
यह तेरी भूमि यह मेरी भूमि कब बन गई यह जंग की भूमि जो आतंक के ठेकेदारों ने इसकी गरिमा से खेला तो रक्त से लहूलुहान हो जाएगी यह भूमि भूमि
भूमि
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