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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी है अकेला तू,गति कर्मो की है चेतना की सुध भी नही लेता तू मोहपाश में ज्यो ज्यो फ़ँसा तू बन्धनों में ऐसा जकड़ा तू राग द्वेष का व्यापार चलाता तू किसी से प्रीती किसी से दुश्मनी कर भावो की सतत सरिता में बहकर नित पापो से कलुषित आत्मा करता क्यू भोग ही जीवन नही है योग संजोग निज तत्वों में ला भटकावों के सजे है मेले दुनियाँ में तू इनमे फँसने, बार बार जन्म ना पा क्लोज करो यहाँ कर्मो का एकाउंट बार बार के जन्म मरण से आत्मा को मुक्ति करो प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes है अकेला तू,गति कर्मों की है
#sad_quotes है अकेला तू,गति कर्मों की है
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
read moreSumit Kumar
White "नदियाँ" स्त्रीलिंग क्यों? "सागर" पुल्लिंग क्यों? ये समझ गए तो स्त्री और पुरुष के मन को समझ जाओगे.. ©Sumit Kumar तू धार है नदियाँ की मैं तेरा किनारा हूँ..
तू धार है नदियाँ की मैं तेरा किनारा हूँ..
read moreHeer
सहारा मिला है बस एक तेरा, साथ होने से लगता महफूज, दूर जाने से सांसे है थमती, क्या बताऊं मैं मेरे लिए..... क्या है तू। ❤️❤️ ©Heer #💭 #दिल की बात ❤️ #खास है तू पगले 🤗