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Parasram Arora
जीवन क़े पेचीदा तजुर्बो से जो सादगी जानी थी मैंने उसी ने खिजां से लड़ने का और बहारो को वापस लाने का हौसला दिया था मुझे उसी से ख़डी हो सकी ये जीवन क़ि मीनारे और नेस्तनाबूद हुई थी पिछड़ेपन की खाइया कालांतर मे मेरी खुशियों का संवेदी सूचकांक . जीवन क़े उच्चतम बिंदु का संस्पर्श करने मे कामयाब भी हुआ था खुशियों का सूचकांक.......
खुशियों का सूचकांक.......
read more@Mp.khaqzada
बहुत ज़्यादा खाकर बीमार होने वालों की तादाद भी इतनी ही हैं जितनी फांकाकशी से बीमार होने वालों की भुखमरी
भुखमरी
read moreAbhi
पानी पी पी कर भूख मिटाता है वह गरीब। जिसके हिस्से में दो वक्त की रोटी तक नहीं होती। #भुखमरी
DILBAG.J.KHAN { دلباغ.جے.خان }
दुनियां की सबसे ऊंची मूर्ति वाले, देश में गरीबी की एक झलक ©DILBAG J KHAN #भुखमरी
Suraj
मानव के जीवन का सूरज धीरे धीरे ढल रहा है रामायण का सीरियल देखो टीवी पर अब चल रहा है दुनिया तो अब यही सोचती मोदी के सपनों का भारत देखो कैसे जल रहा है ..........................सूरज वैश्विक संकट
वैश्विक संकट
read moreParasram Arora
छोड़ देने चाहिए ये क्षुद्र से आग्रह ताकि हम सारी मनुष्यता की वसीयतों को अपनी वसीयत कह सकें ये कैसी दरिद्रता और विडंबना है कि कोई हिन्दू. है इसलिए कुरान उसकी वासियत नहीं हो सकती..... औरकोई मुस्लमान है तो गीता उसकी वसीयत नहीं हो सकती जबकि गीता होया कुरान दोनों इतने प्यारे और समृद्ध ग्रंथ हैँ. लेकिन हम नाहक दरिद्र बने रहते हैँ जबकि कुरान और गीता दोनों वैश्विक समृद्धि बन सकती है और. मानवता धन्य हो सकती है ©Parasram Arora वैश्विक समृद्धि........
वैश्विक समृद्धि........
read moreDINESH SHARMA
अब भुखमरी मिटाने के डिजिटल इश्तिहार छपते है लिंक से डाउनलोड मगर रोटियां नहीं होती ©दिनेश शर्मा 15.09.2019, 07:00 AM #RDV19 #भुखमरी #इश्तिहार
meena mallavarapu
मेरी छोटी सी यह नैया पार लगेगी या नहीं कौन बता सकता है चारों ओर यह अथाह सागर दिलाता है अहसास मुझे मेरी छोटी सी हस्ती का- बढाचढ़ा कर पाले मैंने कितने रोग अहंकार की लौ में हो गई भस्म भूल गई, है अपनी औकात, केवल बूंद बराबर- वैश्विक चेतना का अब हुआ अहसास शाायद ,अब पा जाऊं छुटकारा अहं के प्राचीर से यह अथाह सागर भर देगा मुझमें अथाह प्रेम,स्नेह,सौहार्द्य आ गया वह सार्थक पल! ------------- वैश्विक चेतना #कविता
वैश्विक चेतना #कविता
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