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Khushi Kandu
गहरे घाव छोड़ जाते हैं सुनकर ज़माने भर की बातें अगर मुदावा हो सकता तो सुकून से कटती मेरी रातें *मुदावा- इलाज ©Khushi Kandu #galiyaan #इलाज #गहरे #घाव #khushikandu #cure #Wounds हिंदी शायरी शेरो शायरी शायरी खूबसूरत दो लाइन शायरी
Anjali Singhal
"यादें हैं थकी हुईं और एहसास पड़ा निढाल है, टूट रहा मुझमें कुछ आज दिल उदास है। साँसों का बिखरना लाज़िमी और दर्द का रुकना मुहाल है, दिल के इ
read morekavi Dinesh kumar Bharti
टीका बन गया रोग ©kavi Dinesh kumar #टीका बन गया रोग कविता
#टीका बन गया रोग कविता
read moreAnjali Singhal
"मेरे हृदय की बंजर भूमि पर, तेरे प्यार का अंकुर फूटा है। एहसासों से जन्मा पौधा, रोम-रोम में महका है।।" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी खो गयी आजादी नैतिकता सरकारों ने खो दी है सर्व समाज को खतरे में डाल धर्म सम्प्रदाय की तान छेड़ी है टेक्स और कानून इतने बढ़ा दिये भर भर हाथों से लूट रहे है गाँधी वाद बौना कर दिया नस्ले फसले बर्बादी की गाथा कह रहे जोर जुल्म अंग्रेजो वाला है हिंसा से भारत को लहुलुहान कर रहे है अहिँसा का हथियार, वनवास झेलता गांधी की आजादी खतरे में है सर्वहारा वर्ग जुल्मो का शिकार हुआ प्रताड़ना शासन सत्ताओ की सहता है केंसर गुलामी का भारत में पनप रहा इलाज कोई गाँधी बन नही करता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #gandhi_jayanti इलाज कोई गाँधी बन नही करता है #nojotohindi
#gandhi_jayanti इलाज कोई गाँधी बन नही करता है #nojotohindi
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी मन के संचित भावो ने ही आवरण भव भवो के ओड़े है आकुल व्याकुल हर्ष विषाद में अनजाने पापो के पाप आत्मा में जोड़े है करो चिकित्सा इनकी अब दस दिन दसधर्म को प्रगटाओ एक एक धर्म का सार समझो बोधिसत्व चेतना तक पहुँचायो कैम्प समझो आत्मशुद्धि का दस दिन विकारों को दूर भगाये सत्य शौच संयम त्याग तपस्या और व्रतों से मुक्तिपथ अपनाकर जन्म मरण का रोग भगाये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi
#Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi
read moreHeer
रोग ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना, जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा, सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। लेकिन फिर अचानक से, इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, कब तक रहेगा सब ऐसा, हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, रह जाए बस खाली पिंजरा, समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। Alfazii 🖊️💙 ©Heer #रोग
amnewsnational
केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम की पत्नी का निधन, अस्पताल में चल रहा थे डेंगू का इलाज। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) के भुवनेश्वर जि
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