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MaMtAa
जीवन तभी ख़ूबसूरत होता है जब सब संतुलित होता है ©MमtA Maया 28/04/24 सब असंतुलित है
28/04/24 सब असंतुलित है
read moreRohan Roy
दूषित मन असंतुलित अवस्थाओं का, सदैव स्मरण करता रहता है। और किसी भी कार्य को प्रमुख समझकर इन्हीं अवस्थाओं में, करते रहने की भूल करता है। जिसका तात्पर्य उचित और अनुचित के भेदभाव से, कोई संबंध नहीं रह जाता है। ©Rohan Roy दूषित मन असंतुलित अवस्थाओं का, सदैव स्मरण करता रहता है। #RohanRoy #motivationalpage #SuccessKaLover
दूषित मन असंतुलित अवस्थाओं का, सदैव स्मरण करता रहता है। #RohanRoy #motivationalpage #SuccessKaLover
read moreAvinash Gadhadara
जितना बाहर से असंतुलित दिखता हूं, उससे कहीं गुना शांत हू 🤗🤗🤗
जितना बाहर से असंतुलित दिखता हूं, उससे कहीं गुना शांत हू 🤗🤗🤗
read moreRohan Roy
इंसान अपने ही मन की असंतुलित परिस्थितियों में बार-बार लगातार गोते लगाता है। तैरना सीख जाता है। लेकिन डूबता तब है, जब अपने ही मन को नियंत्रित करना भूल जाता है। ©Rohan Roy इंसान अपने ही मन की असंतुलित परिस्थितियों में बार-बार लगातार गोते लगाता है। #RohanRoy #motivationalpage #SuccessKaLover
इंसान अपने ही मन की असंतुलित परिस्थितियों में बार-बार लगातार गोते लगाता है। #RohanRoy #motivationalpage #SuccessKaLover
read moreRAAJ
तुमसे जो ख़ामोश है कहीं और वो शोर मचा रहा होगा घिरा जो बादल उड़ चला कहीं और वो बरसा रहा होगा| ✍-राजकुमारी #NojotoQuote प्रकृति हमेशा संतुलन रखती है।पर जब एक जैसी स्थिति ही होती रहे तो असंतुलित होती है। --- #nojoto #nojotohindi #quotes
प्रकृति हमेशा संतुलन रखती है।पर जब एक जैसी स्थिति ही होती रहे तो असंतुलित होती है। --- #Nojoto #nojotohindi #Quotes
read moreअनमोल सिंह "निरंजन"
#WorldHealthDay In homeopathy, a key premise is that every person has energy called a vital force or self-healing response. When this energy is disrupted or imbalanced, health problems develop. Homeopathy aims to stimulate the body's own healing responses. होम्योपैथी में, एक प्रमुख आधार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा होती है जिसे एक महत्वपूर्ण शक्ति या स्व-उपचार प्रतिक्रिया कहा जाता है। जब यह ऊर्जा बाधित या असंतुलित होती है, तो स्वास्थ्य समस्याएं विकसित होती हैं। होम्योपैथी का उद्देश्य शरीर की स्वयं की उपचार प्रतिक्रियाओं को प्रोत्साहित करना है। ©अनमोल सिंह "निरंजन" होम्योपैथी में, एक प्रमुख आधार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा होती है जिसे एक महत्वपूर्ण शक्ति या स्व-उपचार प्रतिक्रिया कहा जाता है। ज
होम्योपैथी में, एक प्रमुख आधार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा होती है जिसे एक महत्वपूर्ण शक्ति या स्व-उपचार प्रतिक्रिया कहा जाता है। ज
read moreRavendra
ई रिक्शा पलटा चालक हुआ घायल ©Ravendra ई रिक्शा के पलट जाने से चालक चोटहिल बाबागंज। पोषण सामग्री लेकर गांव जा रहा ई-रिक्शा पलट गया जिसमें रिक्शा चालक चोटहिल हो गया। ब्लॉक नवाबगंज
ई रिक्शा के पलट जाने से चालक चोटहिल बाबागंज। पोषण सामग्री लेकर गांव जा रहा ई-रिक्शा पलट गया जिसमें रिक्शा चालक चोटहिल हो गया। ब्लॉक नवाबगंज
read moreअशेष_शून्य
~©Anjali Rai मां रोटियां इसलिए गोल नहीं बनाती की उसे कोई और आकार देना नहीं आता; अपितु इसलिए बनाती है कि वो इस सृष्टि को एक ऐसी
मां रोटियां इसलिए गोल नहीं बनाती की उसे कोई और आकार देना नहीं आता; अपितु इसलिए बनाती है कि वो इस सृष्टि को एक ऐसी
read moreDr Jayanti Pandey
हर शाम मेरी, तेरे ग़म की शाम हो,जरूरी तो नहीं हर वक्त लबों पर तेरा ही नाम हो , जरूरी तो नहीं इतनी शर्तों के साथ तेरा होने की,मजबूरी तो नहीं खुद को गवां कर तुझे पाना चाहूं,जरूरी तो नहीं यह कैसा प्रेम हुआ जो दुनिया की जुबान रखता है एक तरफा शर्तें और मेरे हज़ारों इम्तिहान रखता है अब तो लगता है कि प्रेम नहीं सियासी मामला था जो वजूद मिटाने का अंतहीन सिलसिला रखता है कभी कभी लगता है कि किरदार बदल कर देखो मेरे और अपने हिस्से का संसार बदल कर देखो देखो ज़रा मेरी नज़रों से अपनी दी हुई दुनिया को एक लम्हा ही अपने प्रेम का व्यापार बदल कर देखो शायद तुम भी समझ सको मेरे हिस्से की दुनिया को तुम्हारे और मेरे लिए इस्तेमाल असंतुलित गुनिया को जो समझ सके तो सहज हो सकता है साझा सफर नहीं समझे तो मलाल नहीं रहेगा छोड़ देने का तुमको जरूरी तो नहीं..... हर शाम मेरी, तेरे ग़म की शाम हो,जरूरी तो नहीं हर वक्त लबों पर तेरा ही नाम हो , जरूरी तो नहीं इतनी शर्तों के साथ तेरा होने
जरूरी तो नहीं..... हर शाम मेरी, तेरे ग़म की शाम हो,जरूरी तो नहीं हर वक्त लबों पर तेरा ही नाम हो , जरूरी तो नहीं इतनी शर्तों के साथ तेरा होने
read moreShree
प्रेम सबके अंतर में है.. फिर इतना अंतर क्यों? प्रेम सब जीतता है.. फिर हार कैसे क्यों? प्रेम अगर सबसे भला है.. फिर ग़म इसका सानी क्यों? प्रेम अपनत्व का पर्याय है फिर मंतव्य तिरस्कृत क्यों? प्रेम सबसे धनवान है.. फिर इतना निर्धन क्यों? प्रेम हरदम प्रेमिल है फिर इतना बोझिल क्यों? प्रेम सरल सुलझा है, फिर इतना उलझा क्यों? सांसें रुक गईं अगर.. एक बार.. मेरा नाम पुकारना हां तुम एक बार मुझे बुलाना हर टूटती हुई सांस पर गीरह और गांठ पड़ जाएगी मद्धम होती हुई धड़कने
सांसें रुक गईं अगर.. एक बार.. मेरा नाम पुकारना हां तुम एक बार मुझे बुलाना हर टूटती हुई सांस पर गीरह और गांठ पड़ जाएगी मद्धम होती हुई धड़कने
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