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Parasram Arora
शिनाख्त नहीं कर पाए मेरी अपने ही घर क़े लोग अपने ही घर मे मैं अजनबी बन कर रह गया हूँ. मेरी जिंदगी एक अधूरा सफऱ बन कर रह गई है मैं अपने हर पल को तूफ़ानो से गुज़ार कर देख चुका हूँ नींद मे मेरे ही ख्वाब अक्सर मुझे भृमित करते रहे मैं अपने हर ख्वाब को टूट कर बिखरता हुआ देख चुका हूँ अब नहीं रहा हौसला मुझमे कुछ सुनने का न कुछ कहने का अब मैं अपने सन्नाटों को जीने का हुनर सीख चुका हूँ सब जगह बदल चुके हैँ पैमाने इबादत क़े अब तो मैं खुदा कॉ इस उलझन से बचाने की कोशिश कर चुका हूँ रंग नस्ल और स्थान ने पूरी दुनिया को तकसीम कर दिया है मैं तो इस दुनिया को एक रंग मे रंगा हुआ देखना चाहता हूँ ©Parasram Arora शिनाख्त
शिनाख्त
read moreÎmaginativę Sukhdev Singh
ज़माने से छुप छुप कर रोता हूं डरता हूं कहीं मेरे आंसुओं में वो तेरी शिनाख्त न कर ले #शिनाख्त
Azeem Khan
इक लाश पड़ी है,शिनाख्त को । जानने वाले,इसे ज़िंदगी बताते हैं। azeem khan #शिनाख्त # azeem khan#
#शिनाख्त # azeem khan#
read moreदीक्षा
शिनाख्त ना हो सके बज़्म में गुस्ताखों की हर मासूम को सर झुकाये रखने का फरमान मिला है शिनाख्त - पहचान , बज़्म - सभा #urdu #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #yourquotedidi #diaryofdiksha #politicsinindia
शिनाख्त - पहचान , बज़्म - सभा #urdu #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #yourquotedidi #diaryofdiksha #politicsinindia
read moreWriter Bikash Singh
हम उन सवालों को लेकर उदास कितने थे जवाब जिनके यहीं आसपास कितने थे मिली तो आज किसी अजनबी सी पेश आई इसी हयात को लेकर कयास कितने थे हंसी, मज़ाक, अदब, महफिलें, सुखनगोई उदासियों के बदन पर लिबास कितने थे पड़े थे धूल में अहसास के नगीने सब तमाम शहर में गौहरशनाश कितने थे हमें ही फ़िक्र थी अपनी शिनाख्त की 'बिकाश' नहीं तो चहरे जमाने के पास कितने थे।। //✍️:बिकाश सिंह// #NojotoQuote हमें ही फ़िक्र थी अपनी शिनाख्त की 'बिकाश' नहीं तो चहरे जमाने के पास कितने थे!!
हमें ही फ़िक्र थी अपनी शिनाख्त की 'बिकाश' नहीं तो चहरे जमाने के पास कितने थे!!
read moreWordsofGyan
बस ठहर जाती हैं उँगलियाँ तुम्हारा नाम लिखते ही.. रिश्ते रूह के अपनी शिनाख्त पूछते हैं मुझसे....! बस ठहर जाती हैं #उँगलियाँ तुम्हारा #नाम लिखते ही.. #रिश्ते रूह के अपनी #शिनाख्त पूछते हैं मुझसे....! #Nojoto
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
खुद मैं झाँकने के लिये जिगर चाहिये दोस्तों, दूसरो की शिनाख्त मे तो हर शख्स माहिर है, ___________________________ मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, खुद मैं झाँकने के लिये जिगर चाहिये दोस्तों,, दूसरो की शिनाख्त मे तो हर शख्स माहिर है,, मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा
खुद मैं झाँकने के लिये जिगर चाहिये दोस्तों,, दूसरो की शिनाख्त मे तो हर शख्स माहिर है,, मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा
read moreAnil Ahuja
खुद में झाँकने के लिए जिगर चाहिए, दूसरों की शिनाख्त में तो हर शख़्स माहिर है. ## Motivational Speaker Anil Ahuja ##
खुद में झाँकने के लिए जिगर चाहिए, दूसरों की शिनाख्त में तो हर शख़्स माहिर है. ## Motivational Speaker Anil Ahuja ##
read morePrashant Jadoun
शिनाख्त हमारी भी कर लेना कहीं मसरूफ न हो जाएं । तुम सुबह के इंतजार में बैठे रहो हम कही रात में ही दफन ना हो जाए । ©Prashant Jadoun शिनाख्त हमारी भी कर लेना कहीं मसरूफ न हो जाएं । तुम सुबह के इंतजार में बैठे रहो हम कही रात में ही दफन ना हो जाए । #rayofhope
शिनाख्त हमारी भी कर लेना कहीं मसरूफ न हो जाएं । तुम सुबह के इंतजार में बैठे रहो हम कही रात में ही दफन ना हो जाए । #rayofhope
read moreAditya Rao
" जनाज़े खाक " part 2 of " जनाज़े शिनाख्त " ✍🌾🚶♂️🔥👣 जीनहोने पिछली कविता "जनाज़े शिनाख्त " नहीं सुनी वो ये भी न सुने । क्योकि ये समझ से बहार हो
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