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नवनीत ठाकुर
पिता की यादों में है वो ख़ामोश रहमत, उनके लफ़्ज़ों में आज भी वफ़ा का पैग़ाम बाकी है। हर मुश्किल घड़ी में वो हौसला बनकर आते हैं, वो दुनिया से रुख़्सत हुए, पर उनका असर बाकी है। वो चले गए, छोड़ गए ज़िंदगी की तालीम, उनके नक्श-ए-राह पर हर कदम का निशां बाकी है। जब भी टूटता हूँ सफर की ठोकरों में कहीं, उठाने को आज भी उनका अरमां बाकी है। पिता का साया आज भी है मेरे साथ यूं, उनकी दुआओं का साया हर राह पे बाकी है। चले गए वो फलक के सफर पर दूर कहीं, पर उनकी मौजूदगी का एहसास हर सांस में बाकी है। वो जुदा हुए, पर छोड़ गए अनमोल ख़ज़ाना, यादों में बसा है महकता उनका गुलिस्तां बाकी है। अब वो सितारा बनकर आसमां में रोशन हैं, उनकी रौशनी से मेरी हर रात और सुबह बाकी है। जैसे अंधेरों में चिराग़ की लौ जलती है, वैसे ही उनकी यादों का उजाला हर लम्हा बाकी है। इस फानी दुनिया से वो चले गए हैं भले, मगर मेरे दिल में वो जिंदा हैं, उनका हर वो लम्हा बाकी है। ©नवनीत ठाकुर #पिता का साया
#पिता का साया
read moreKhushi Kandu
सभी को ख़ुद में समेटे सभी को साथ लिए चलता है जनाब ये पिता है जो साए की तरह साथ फिरता है ©Khushi Kandu #पिता #father
Satish Kumar Meena
माता पिता की छांव में पले बच्चे वयस्क रूप धारण कर लेते हैं जो परिवार के वातावरण से संस्कार ग्रहण करते हैं कुछ अच्छे संस्कार तो कोई बुरे, अच्छे संस्कार वाले माता पिता को धन्य कर देते हैं और बुरे वाला जीवन को हमेशा ही कोसता रहता है। ©Satish Kumar Meena माता पिता की छांव
माता पिता की छांव
read moreSatish Kumar Meena
जब भी सीने की धड़कन बढ़ती है, वो पिता अपने परिवार की सोच रहा होता है। आंखो के आंसू की कीमत कितनी है,, बेटा अंगुलियां गिन के बालों को नोच रहा होता है। पिता के अंदर कितनी जरूरतों का बोझ है, उसी बोझ तले पिता दब जाता है। वक्त की धुरी को पिता रोक नहीं पाता,, और उस धुरी के नीचे ही पिता आ जाता है।। एक पिता ही है जनाब जो मां की ममता को, अपने परिवार के ऊपर न्यौछावर कर देता है। और लाड प्यार का सारा हिस्सा जो उन्हें मिला,, अपने परिवार पर चंद लम्हों में लुटा देता है। पिता का हाथ जब तक माथे पर रहता है, संतान को कभी दुख महसूस नहीं हो पाता है। वक्त की धुरी को पिता रोक नहीं पाता,, और उस धुरी के नीचे ही पिता आ जाता है।। ©Satish Kumar Meena पिता
पिता
read moreSatish Kumar Meena
माता पिता को तुम मिले हो,तुम तो उनकी देन हो माता अमृत से सींचती है और पिता सम्मान, संस्कार, संस्कृति और गुणों की ख़ान है जिनके सानिध्य में रहकर ही तुम उनसे ज्ञान और समाज से परिचित हो सकते हो। ©Satish Kumar Meena माता पिता
माता पिता
read moreSarkaR
White पिता वो शख्स है जो अपने बच्चो के भविष्य के लिए खुद बच्चो के नजरो में सक्त इंसान बन जाता है। ©SarkaR #पिता
धाकड़ है हरियाणा
Deepali Singh
पिता ज़िम्मेदारियों की कसौटी पर वो बैठा ख्वाहिशें अपनी अंदर ही रौंदाता, सर पर मेरेउसके आशीष का पहरा दुःख क्लेश पर उनके प्रेम का परदा, परेशानियाँ खुद की खुद तक छिपाये संकट संतान के वो खुद पर ले आये, जैसे पास कोई उनके रामबाण हो समस्या उनके लिए कोई आम बात हो, जो भी मुसीबत आये चाहे जब भी दिखाये जैसे कुछ हुआ ही नहीं, पता नहीं कैसे करते ये सब अब भी हर पल बिताता होगा बस चिंता में ही, नींद -चैन जो अपने दिन- रात गँवाए तो दर्द कोई हमको कैसे छु पाए..? पिता की उन पावन चरणों की हम तो भाग्यशाली धूल माटी.., प्रणाम है ऐसे संकट मोचन को..! जो मोती बनाया हम धूल कणों को । ©Deepali Singh पिता
पिता
read moreSatish Kumar Meena
जब भी सीने की धड़कन बढ़ती है, वो पिता अपने परिवार की सोच रहा होता है। आंखो के आंसू की कीमत कितनी है,, बेटा अंगुलियां गिन के बालों को नोच रहा होता है। पिता के अंदर कितनी जरूरतों का बोझ है, उसी बोझ तले पिता दब जाता है। वक्त की धुरी को पिता रोक नहीं पाता,, और उस धुरी के नीचे ही पिता आ जाता है।। एक पिता ही है जनाब जो मां की ममता को, अपने परिवार के ऊपर न्यौछावर कर देता है। और लाड प्यार का सारा हिस्सा जो उन्हें मिला,, अपने परिवार पर चंद लम्हों में लुटा देता है। पिता का हाथ जब तक माथे पर रहता है, संतान को कभी दुख महसूस नहीं हो पाता है। वक्त की धुरी को पिता रोक नहीं पाता,, और उस धुरी के नीचे ही पिता आ जाता है।। ©Satish Kumar Meena पिता
पिता
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