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Yogesh Pratap
यहाँ मां दुर्गा की आरती का एक श्लोक है: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी॥ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। मंग सिंदूर विराजत, टिको मृगमद को॥ हरिणी रंगमद रंगात, कोहिनूर ज्ञानको। मैया जय अम्बे गौरी, जय श्यामा गौरी॥ जैसे दीपक जलात, जैसे बादल गाय। जैसे गंधर्व गात, जैसे नरद नाराध को॥ जैय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। शुम्भ निशुम्भ विदारिनी, महिषासुर ग्यारो॥ रूप कराल कालिका, दिखलावत अति श्यामा। जैय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥ लक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गात। उर अनंग महादेव की, पावन पुत्र मात॥ मैया जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। हरि ब्रह्मा शिवजी॥ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। ©Yogesh Pratap #navratri maa Durga aarti
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जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति । तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥ मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥ कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥ केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी । सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥ कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती । कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥ शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥ चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू। बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥ भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी। मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥ कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती । श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥ श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै । कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥ ©Rakesh Mishra MAA durga ki aarti #navratri2020
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