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Azaad Pooran Singh Rajawat
"साहित्यिक दोस्ती के साथ-साथ दिल से दोस्ती का एहसास होने लगा है जब भी आते हो तुम नज़र के सामने इश्क हमारा उभरने लगा है माना कि संकोच करना तुम्हारी आदत में शुमार है सिद्धांत सुदृढ़ हैं, ए साकी हमारे भी इकरार ए इशारा, आंखों से तुम्हारी जब तलक मिल न जाए इज़हार ए इश्क, अधर अल्फाजों से तुम्हारे जब तलक छलक न जाए तब तलक बेतहाशा मोहब्बत होते हुए भी तुमसे कह नहीं सकते "आजाद" हम कि हमें तुमसे प्यार है हमें तुमसे प्यार है।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #diary #इश्क हमारा उभरने लगा है#
Ek villain
आप क्या सचमुच राजनीति की पोस्टर गर्ल बनना चाहते हैं अपनी पहचान आरक्षण की दुर्गेश सीढ़ी पर चढ़कर ही बनना चाहती है अब्बा बेचारी की टुकड़ी आपके माथे पर लगाकर टिका दिया जाए आप ऐसे ही चुनाव लड़ना चाहती है यह सेलिब्रिटी की पहचान से आक्रमण के जाल में वोट कर लेनी चाहती है एक और आखरी सवाल है कि वाकई आपको अच्छा फील हो रहा है तो जब एक पार्टी 40% टिकट टिकट आरक्षण में आधी आबादी को तो बोल रही है तो यह जरूरी सवाल उन लोगों से है जो इस मॉल का गाने वाला यह समाज से उनकी करनी कटी हुई है आज आधी आबादी स्वभाविक मान के साथ स्वालंबन भूत खड़ा होना सीख चुकी है उसे ऐसे व्यक्तियों की आड़ में कोमल समझने का समय नहीं रहा नेताजी सुभाष चंद्र बोस काय करते हैं कि धर्म का लाभ उठाकर वोट मांगना धर्म का अपमान है आज की राजनीतिक में इस कथन को देख तो कुछ ऐसा दिखता है कि आधी आबादी की निर्बलता का लाभ उठाकर वोट मांगना नारी का अपमान है दरअसल हाल ही में मतदाता दिवस था और इस अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक पंक्ति मीडिया पर सरपट लाइन हुई जा रही थी नेताजी यदि आज जीवित होते तो यह सोचते की आधी आबादी की राजनीतिक दलों ने कैसे सेलिब्रिटी की पुतली बनाकर चुनावी अखाड़े में उतार दिया तो उन्होंने इस कठिन दौर में रानी झांसी रेजिमेंट खाड़ी का स्त्री के स्वभाव और को जागृत किया था ©Ek villain #बजरंगी के दबंगों से उभरने की दर करात #Travel
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी पत्थरो से दिल,कठोर होते देखे है बिना दर्द के,रिश्ते बिखरते देखे है उनकी आँखों मे,नीर जमे देखे है मर गयी भावनाये, अहसास मरे बैठे है सहानभूति के सब द्वार बंद कर देते है कोई उग ना जाये,उन जैसा इसलिये अपनो को बंजर समान कर लेते है टूटते बिखरते रहते है खुद मगर दूसरे को उभरने नही देते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #banjar उग ना जाये उन जैसा,किसी को उभरने नही देते है #banjar
ओम नमः शिवाय
ओम नमः शिवाय
styanarayan Kumar
समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोच डूबने से पहले... गहराई का अंदाज़ा लगा।
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