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somnath gawade
कधी-कधी बायकोचा 'रौद्र' अवतार पाहणारा सामान्य माणूस आता 'विष्णूचा' अवतार पाहून कृतार्थ होईल. अवतारी पुरुष
अवतारी पुरुष
read moreAmit Saini
भारत की सभ्यता और भारतीय संस्कृति सबसे महान है हमें इसका गौरवपूर्ण आदर करना चाहिए #भारतीय नारी परम अवतारी
#भारतीय नारी परम अवतारी
read moreपूर्वार्थ
White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ #पुरुष
पूर्वार्थ
पुरुष का दर्द औरत के दुख को सब समझते हैं पर पुरुष का दर्द नहीं समझते हैं औरत रोती है तो सब रुक जाते हैं पर पुरुष रोता है तो सब हँसते हैं औरत के संघर्ष को सब पहचानते हैं पर पुरुष के संघर्ष को नहीं पहचानते हैं औरत लड़ती है तो सब उसका साथ देते हैं पर पुरुष लड़ता है तो सब उसका विरोध करते हैं औरत की पीड़ा को सब महसूस करते हैं पर पुरुष की पीड़ा को नहीं महसूस करते हैं औरत को सहारा देते हैं पर पुरुष को अकेला छोड़ देते हैं पुरुष भी इंसान है उसका भी दिल होता है उसके भी सपने होते हैं उसके भी दुख होते हैं पर समाज उसे नहीं समझता उसके दर्द को नहीं सुनता उसके संघर्ष को नहीं देखता आओ हम पुरुष के दर्द को समझें उसके संघर्ष को पहचानें उसकी पीड़ा को महसूस करें और उसे सहारा दें ©पूर्वार्थ #पुरुष
पूर्वार्थ
मैं पुरुष हूँ विधाता की हूँ रचना,मैं नारी का अभिमान हूँ, हाँ मैं एक पुरुष हूँ! मन की बात मन में रख,ऊपर से हरदम खुशमिजाज़ हूँ माँ की ममता,पिता का स्वाभिमान हूँ, हाँ मैं एक पुरुष हूँ! मैं जीवन में आया जबसे,अपेक्षा के बोझ से लदा हरदम पिता के फटे जूते से लेकर,बहन की शादी के सपनों का आधार हूँ,मैं उम्मीदों का पहाड़ हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ! थकान हो गई तो क्या,पाँव रुक गए तो क्या मुझको चलना है हरदम,मैं बिटिया की गुड़ियों का खरीदार हूँ मैं आशाओं का मीनार हूँ हाँ मैं पुरूष हूँ! रो मैं सकता नहीं,कह मैं सकता नहीं डर अपना यह,मैं सह सकता नहीं ऊपर से बहुत अभिमानी,पर अंदर से निपट असहाय हूँ मैं परिवार का एतबार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ! पत्नी की इच्छा,माँ के सपने बच्चों की ख्वाहिशें,पिता के गुस्से का शिकार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ! आदर देता मैं हरदम,प्यार लुटाता हूँ हर इक कदम फिर भी कुछ हैवानों के कारण,मैं नफरत का शिकार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ ©पूर्वार्थ #पुरुष
Anoop Mohan
पुरूष के लिए स्त्री का स्पर्श उतना ही महत्वहीन हो जाता है,,, जितना दिन में दीपक का ; जब कोई पुरुष किसी स्त्री द्वारा छला जाता है ! #मैं पुरुष हूँ !! ©Anoop Mohan #पुरुष
Ankit yaduvanshi
असीमित दर्द , सूखी आंखें अनगिनत जिम्मेदारियां पारिवारिक अपेक्षाओं का बोझ दिल में नमी , होठों पर मुस्कान विभिन्न किरदारों में ढल जाता हूं हां , मैं पुरुष कहलाता हूं..! ©Ankit yaduvanshi #पुरुष